अर्थव्यवस्था : समायोजन मौद्रिक रुख सही
आठ अप्रैल 2022 को भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया।
![]() अर्थव्यवस्था : समायोजन मौद्रिक रुख सही |
रेपो दर 4 प्रतिशत पर, रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी दर और बैंक दर 4.25 प्रतिशत पर यथावत है। इसका यह अर्थ हुआ कि केंद्रीय बैंक फिलहाल समायोजन के अपने रुख को बरकरार रखने वाला है। कुछ समय पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री दास ने कहा था कि अर्थव्यवस्था को सहारा देने और महामारी के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए केंद्रीय बैंक को अभी समायोजन वाले अपने रुख को बरकरार रखना होगा। हालांकि बढ़ती महंगाई और रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की वजह से रिजर्व बैंक को आने वाले दिनों में अपने समायोजन के रु ख में बदलाव करना पड़ सकता है, क्योंकि वैश्विक बाजार में अभी भी आपूर्ति श्रृंखला बाधित है और घरेलू और वैश्विक बाजार में दबाव की स्थिति बनी हुई है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने लगातार 11वीं बार रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे पहले, केंद्रीय बैंक ने 22 मई 2020 को की गई मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में बदलाव किया था। रेपो दर वह दर है, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक, बैंकों को कर्ज देता है। बैंक रिजर्व बक से लिए कर्ज और बैंकों में जमा पैसे से जरूरतमंदों, कारोबारियों और उधमियों को ऋण देते हैं।
ताजा मौद्रिक समीक्षा में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और महंगाई दर दोनों के अनुमानों में संशोधन से इस बात का संकेत मिलता है कि आने वाले दिनों में नीतिगत दरों में वृद्धि की जा सकती है, क्योंकि एक तरफ रिजर्व बैंक ने जीडीपी वृद्धि दर के कम होने का अनुमान लगाया है तो दूसरी तरफ महंगाई दर में इजाफा होने का। दस साल के बॉन्ड के ब्याज दर में भी बढ़ोतरी हो रही है और इसका प्रतिफल 3 साल के उच्च स्तर 7.12 प्रतिशत पर पहुंच गया है, जो 3 साल का उच्चतम स्तर है। इस साल इसका ब्याज दर 7.25 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है। पांच सालों का ओवरनाइट इंडेक्स स्वैप भी 30 आधार अंक बढ़कर मई 2019 के बाद उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।
ये सारे संकेत नीतिगत दरों में जल्द बढ़ोतरी किए जाने के हैं। वर्तमान परिदृश्य में बाजार को उम्मीद है कि जून की मौद्रिक समीक्षा में केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में इजाफा कर सकता है। एक अनुमान के अनुसार रेपो दर में वर्ष 2022 में 0.50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की जा सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2022 के दौरान बैंक ऋण में 8.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें खुदरा व कृषि ऋण का विशेष योगदान रहा है, जबकि वित्त वर्ष 2021में बैंक ऋण में 5.6 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई थी। औद्योगिक क्षेत्र में ऋण वृद्धि एमएसएमई की गतिविधियों में आई तेजी के कारण संभव हुआ है। बड़े उद्योगों की गतिविधियों में भी धीरे-धीरे तेजी आ रही है। सितम्बर 2021 तक कोरोना महामारी के कारण अर्थव्यवस्था में वृद्धि रुक सी गई थी, लेकिन अक्टूबर 2021 से खासकर खुदरा और औद्योगिक क्षेत्र को दिए जा रहे कर्ज में तेजी आई। पहली छमाही में पिछले साल की तुलना में ऋण वृद्धि दर 5.5 से 6.7 प्रतिशत के बीच रही और उसके बाद इसमें तेज वृद्धि हुई।
बैंकों ने वित्त वर्ष 2022 में 9.41 लाख करोड़ रुपये कर्ज दिए हैं, जबकि वित्त वर्ष 2021 में 5.8 लाख करोड़ रु पये और वित्त वर्ष 2020 में 5.99 लाख करोड़ रु पये कर्ज दिए। वित्त वर्ष 2022 के कुल कर्ज में 1.78 लाख करोड़ रु पये कर्ज 25 मार्च, 2022 को समाप्त अंतिम पखवाड़े में दिए गए। वहीं, वित्त वर्ष 2022 में जमा में वृद्धि 8.94 प्रतिशत रही, जो वित्त वर्ष 2021 में 11.4 प्रतिशत थी। बैंकों में वित्त वर्ष 2022 के अंतिम पखवाड़े में 1.89 लाख करोड़ रु पये जमा किए गए। बैंक ऋण में वृद्धि से यह पता चलता है कि आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ रही है, वहीं बैंक जमा में कमी आना इस बात का सूचक है कि निजी खर्च में तेजी आ रही है, जिससे मांग और औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आने की संभावना है। अप्रैल 2021 से फरवरी 2022 के दौरान 11 महीनों में खुदरा क्षेत्र यानी हाउसिंग, क्रेडिट कार्ड, वाहन, व्यक्तिगत ऋण आदि में 11.4 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है और 3.12 लाख करोड़ रु पये का कर्ज दिया गया है। अप्रैल 2020 और फरवरी 2021 के बीच खुदरा कर्ज में वृद्धि दर 8.9 प्रतिशत रही। वित्त वर्ष 2022 के 11 महीनों में औद्योगिक क्षेत्र में ऋण वृद्धि दर 3.4 प्रतिशत रही, जबकि फरवरी 2021 में इसमें 2.6 प्रतिशत का संकुचन हुआ था।
रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी वृद्धि दर के 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है, जबकि पहले केंद्रीय बैंक ने 7.8 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने अनुमान जताया था। श्री दास के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर के 16.2 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4 प्रतिशत रह सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक वित्त वर्ष 2023 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति 5.7 प्रतिशत रह सकता है, जो अप्रैल से जून 2022 में 6.3 प्रतिशत, जुलाई से सितम्बर 2022 में 5 प्रतिशत और अक्टूबर से दिसम्बर 2022 में 5.4 प्रतिशत और चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 5.1 प्रतिशत रह सकता है। महंगाई को लेकर श्री दास का कहना है कि फरवरी के अंत से कच्चे तेल की कीमतों में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव और जियो पॉलिटिकल टेंशन से वैश्विक स्तर पर बहुत ज्यादा अनिश्चितता बनी हुई है, जिसके कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में भी दबाव की स्थिति बनी हुई है। मौद्रिक समीक्षा के दौरान श्री दास ने कहा कि अब यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) का उपयोग करते हुए सभी बैंकों और एटीएम नेटवर्क पर कार्ड-रहित नकद निकासी की सुविधा उपलब्ध कराया जाएगा।
कहा जा सकता है कि रिजर्व बैंक के समायोजन रु ख से फिलवक्त अर्थव्यवस्था को संबल मिला है, लेकिन बढ़ती महंगाई और रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की वजह से रिजर्व बैंक अपने समायोजन के रु ख को ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रख सकता है। इसलिए, कयास लगाए जा रहे हैं कि जून में होने वाली मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में इजाफा कर सकता है। वैसे, बैंक क्रेडिट में वृद्धि होने लगी है और बैंक जमा में कमी आई है, जो यह दर्शाता है कि निजी खर्च और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ रही है। इसलिए, नीतिगत दरों में वृद्धि से अर्थव्यवस्था पर आंशिक रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन समग्रता में आने वाले दिनों में भी भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी रहेगी।
| Tweet![]() |