बतंगड़ बेतुक : अब हम क्रांति करके ही रहेंगे
इस बार झल्लन आया तो सर पर लाल टोपी और हाथ में लाल झंडा उठा लाया। हमने कहा, ‘ये तुझे क्या हो रहा है, सर से लेकर हाथ तक लाल क्यों हो रहा है?’
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वह बोला, ‘ददाजू, नहीं समझते थे कि आप इतनी नासमझी दिखाएंगे और हमारे रंग से हमारा ढंग तक नहीं जान पाएंगे। ये क्रांति का रंग है जिसमें हम खुद को रंग लिये हैं, क्रांति को दिल में भर लिये हैं।’
हमने कहा, ‘कल तक तो तू भला-चंगा था, आज अचानक तुझे क्या हो गया है जो तेरे दिमाग का संतुलन खो गया है। क्रांति का यह पगलैटिया खयाल तेरे अंदर किसने भर दिया जो तूने भगवा की जगह ललवा धारण कर लिया।’ वह बोला, ‘लगता है ददाजू आप सचमुच बुढ़िया गये हो तभी ऐसी बात बतिया रहे हो। आपको ये तक पता नहीं कि हार के तुरंत बाद हमारे अखिलेश भइया क्रांति का आह्वान कर दिये थे और नौजवानों में क्रांति की आग भर दिये थे। भइया तो क्रांति की बात बिसरा दिये हैं पर हम नहीं बिसराएंगे, क्रांति हमारे सीने में धधक उठी है सो हम क्रांति करने कहीं न कहीं जरूर जाएंगे।’
हमने कहा, ‘अरे बेवकूफ, क्रांति हवा से नहीं झड़ती है, उसके के लिए बहुत सी चीजों की जरूरत पड़ती है। आपको मालूम होना चाहिए कि आप किसी मकसद के लिए लड़ रहे हैं या आपका कोई निजी मकसद पूरा नहीं हो रहा सो आप खामखां क्रांति के गले पड़ रहे हैं। आपकी क्रांति का आधार क्या है, उसकी विचारधारा व नया विचार क्या है?’ वह बोला, ‘देखिए ददाजू, विचार, विचारधारा ये सब फालतू बातें हैं इन्हें हम नहीं मानते हैं, हमें क्रांति करनी है सो हम क्रांति को ही जानते हैं।’ हमने कहा, ‘आखिर तुझे यह तो पता होना चाहिए कि क्रांति के लिए आखिर क्या-क्या करेगा और क्रांति करने से तुझे क्या-क्या मिलेगा। ये क्रांति तेरी और तेरे परिवार के लिए होगी या फिर इसमें लोक की भी भागीदारी होगी। वैसे सिस्टम की कौन सी कील तेरे पांव में गढ़ गयी है जो तुझे क्रांति की जरूरत पड़ गयी है?’ वह बोला, ‘देखिए ददाजू, हमें ज्यादा तो कुछ नहीं मालूम पर इतना जानते हैं कि ईवीएम हमारे विपक्षी भइयों को हरवा दिये हैं और उनके दलबदल दलदलिया गठबंधन को हड़का दिये हैं, इसलिए हमारे भइया हमारे भीतर क्रांति भड़का दिये हैं।’ हमने कहा, ‘बचवा तेरे भइया चुनाव लड़े, जीत की उम्मीद में लड़े पर योगी ने उन्हें हरा दिया और सरकार बनाने का उनका सपना ढहा दिया। योगी सरकार लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार है जो अब आगे पांच साल रहेगी और अपना काम करती जाएगी, इसमें तेरी क्रांति कहां काम आएगी?’
झल्लन बोला, ‘देखिए ददाजू, पहले तो अपने आपको सुधार लीजिए और अपनी जानकारी को थोड़ा निखार लीजिए। योगी जी की सरकार लोकतांत्रिक तरीके से चुनकर नहीं आयी है बल्कि ईवीएम से निकलकर आयी है। इसमें सरकारी मशीनरी की सांठ-गांठ रही है, सांठ-गांठ में चुनाव आयोग की व्यवस्था भी भागीदार रही है और इस भागीदारी में केंद्र की सरकार भी भागीदार रही है। सो हम इन सबके विरुद्ध क्रांति लाएंगे और क्रांति का झंडा फहराएंगे।’ हमने कहा, ‘अगर तेरे भइया जीत जाते और उनकी सरकार बन जाती तो शायद तेरी क्रांति वहीं निपट जाती। तुझे इतना समझना चाहिए कि क्रांति समूची व्यवस्था में बदलाव के लिए होती है, व्यवस्था की खामियों को दूर करने के लिए होती है और यह क्रांति भी तब होती है जब जनता साथ होती है। पर यहां तो जनता योगी के साथ है और तेरे साथ तो ना हाथी है ना हाथ है, फिर तू कैसे क्रांति कर पाएगा और क्रांति करेगा भी तो आखिर उसे कहां ले जाएगा?’ वह बोला, ‘देखिए ददाजू, हमें भ्रमित मत कीजिए, हम क्रांति को अच्छी तरह जानते हैं और क्योंकि क्रांति हमारी है सो इसका रगरेशा हमीं पहचानते हैं। जानते हैं कि हम कैसे क्रांति करेंगे और कहां रुकेंगे, कहां चलेंगे। सबसे पहले हम ईवीएम बदलवाएंगे और इस ईवीएम की जगह वो ईवीएम लगाएंगे जो सिर्फ हमें जिताए और बाकी सबकी वाट लगाए। हम सरकारी मशीनरी को भी बदलवाएंगे और जो सिर्फ हमारे साथ रहे ऐसी नयी सरकारी मशीनरी लाएंगे। हम चुनाव आयोग को बदलवाएंगे और उसकी जगह विपक्ष जिताऊ आयोग बनाएंगे। और इसमें केंद्र सरकार आड़े आती है तो हम सरकार के केंद्र को उखाड़ देंगे, इसे पूरी तरह उजाड़ देंगे।’
हमने कहा, ‘और जनता, जनता का क्या करेगा, उसे ध्यान में रखेगा कि नहीं रखेगा?’ वह बोला, ‘देखिए ददाजू, जो जनता हमें वोट देगी हम सिर्फ उसे ही जनता मानेंगे बाकी को जनता के तौर पर नहीं पहचानेंगे।’ हमने कहा, ‘तो तेरी क्रांति इसलिए है कि भले सब कुछ मिट-निपट जाये पर येन-केन-प्रकारेण तेरी सरकार बन जाये।’ वह बोला, ‘सही पहुंचे हो ददाजू, जिस दिन हमारी सरकार बन जाएगी उसी दिन हमारी क्रांति आराम से अपने घर चली जाएगी और जब तक हमारी अगली हार नहीं होती तब तक घर में ही आराम फरमाएगी। और ददाजू, अब हम क्रांति करने जा रहे हैं, चाहें तो आप हमारे साथ आ जायें नहीं तो चुपचाप उठें और घर चले जायें।
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