मुद्दा : हर मुल्क अपनी रणनीति में मशगूल

Last Updated 07 Mar 2022 12:16:12 AM IST

रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के राष्ट्रपति बलोडिमिर जेलेंस्की और ग्रैंड प्रिंस बलोडिमिर, 980 से 1015 तक कीवनरस (रूसी साम्राज्य) के शासक, इन सबके पहले नामों में समानता है।


मुद्दा : हर मुल्क अपनी रणनीति में मशगूल

रूसी में ब्लादिमीर और स्लाव में बलोडिमिर का अर्थ है ‘महान शक्ति का’, ‘दुनिया का शासक’, ‘शांति का शासक’, ‘प्रसिद्ध शक्ति’, ‘उज्ज्वल और प्रसिद्ध’। रूसी, यूक्रेनियन और बेलारूसवासी कीवनरस के वंशज हैं। इतिहास के अधिकांश भाग में यूक्रेन रूसी साम्राज्य का हिस्सा था। 1793 में आज के यूक्रेन का बड़ा हिस्सा कैथरीन द ग्रेट के तहत रूसी साम्राज्य में मिला दिया गया था। 1922 में यूक्रेन और रूस सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ (यूएसएसआर) के संस्थापक सदस्यों में थे और दिसम्बर, 1991 में संघ को समाप्त करने वाली संधि के हस्ताक्षरकर्ता भी थे। 2014 में क्रीमिया पर कब्जा करने के बाद रूस और क्रीमिया 1,974.04 किमी. जमीनी और 321 किमी. की समुद्री सीमा साझा करते हैं।

सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस आर्थिक रूप से कमजोर था और चेचन आतंकवादियों से निपट रहा था। सत्ता संभालने के बाद पुतिन ने रूस को मजबूत करना शुरू कर दिया और नाटो को रेडलाइन पार न करने की चेतावनी देना शुरू कर दिया। पुतिन ने 21 फरवरी, 2021 को टेलीविजन पर कहा कि रूस के खिलाफ नाटो के आक्रमण के लिए यूक्रेन को ‘स्प्रिंगबोर्ड’ के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। रूस अपने हितों की रक्षा के लिए किस हद तक जा सकता है, इसका संकेत देने के लिए पुतिन ने 2014 में क्रीमिया पर कब्जा कर लिया।

18 जून, 2015 को प्रो-रूसी राष्ट्रपति यानुकोविच को हटा दिया गया। 2019 के चुनाव में कॉमेडियन बलोडिमिर जेलेंस्की यूक्रेन के राष्ट्रपति बन गए, जिन्होंने नाटो और यूरोपीय संघ का सदस्य बनने पर जोर दिया। यूक्रेन रूसी संघ का अंडरबेली है। यदि यूक्रेन नाटो का सदस्य बन जाता है, तो यह रूस के लिए गंभीर सुरक्षा समस्याओं का कारण बनेगा। भारतीय संदर्भ में यह नेपाल के चीन के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल होने जैसा है। एक ओर अमेरिका रूस के निकट पड़ोस में आना चाहता है, और दूसरी ओर 1823 के मुनरो सिद्धांत के अनुसार अमेरिकी महाद्वीपों पर किसी अन्य देश के एक ब्लॉक को भी बर्दाश्त नहीं करता। 1962 का क्यूबा मिसाइल संकट ऐसा मामला है, जहां यूएसएसआर क्यूबा में मिसाइलें लगाना चाहता था।

अमेरिका और सोवियत संघ के बीच टकराव की यह शीत युद्ध की ‘सबसे गर्म’ घटना थी। हालांकि क्यूबा का सबसे उत्तरी बिंदु फ्लोरिडा के सबसे दक्षिणी बिंदु से लगभग 150 किमी. की दूरी है, और बीच में फ्लोरिडा स्ट्रेट है जबकि रूस और यूक्रेन भूमि के साथ-साथ समुद्री सीमा भी साझा करते हैं। स्वयंभू रणनीतिकार पुतिन की योजनाओं की विफलता की भविष्यवाणी कर रहे हैं क्योंकि वह 72/96 घंटों के भीतर यूक्रेन पर कब्जा नहीं कर पाए। क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए जमीनी बलों की आवश्यकता होती है। 1971 के भारत-पाक युद्ध का अनुभव साथ रहने के कारण मुझे लगता है कि रूसी अभियान योजना के अनुसार आगे बढ़ रहे हैं। अमेरिका द्वारा यूक्रेनियन को धोखा दिया जा रहा है। नाटो की सदस्यता देने का लॉलीपॉप दिखाकर उसने यूक्रेन को रूस के खिलाफ उकसाया है। और उसे हथियारों का आश्वासन देकर जो बाइडेन यूक्रेनियन को बेवजह खून-खराबे का शिकार बना रहे हैं।

जेलेंस्की ने हीरो बनकर लोगों को बेवकूफ बनाया है। उन्होंने पहले ही अपने देश को पचास साल पीछे कर दिया है। यूक्रेन के सर्वोत्तम हित में यह है कि तुरंत रूस को आश्वस्त करे कि उसके सुरक्षा हितों का सम्मान किया जाएगा और अपनी सेना को तुरंत युद्धविराम के लिए कहना चाहिए। संघर्ष में भारत की तटस्थता की सराहना की जानी चाहिए। रूस भारत का जरूरतमंद दोस्त रहा है। 1971 में भारतीय सेना में कप्तान के रूप में मैंने युद्ध के दौरान सोवियत संघ को हवाई मार्ग से भारत को हथियार भेजते देखा। मास्को ने भारत के पक्ष में कई बार वीटो का इस्तेमाल किया। यह पहली बार है जब रूस भारत से मदद चाहता है। बदले हुए रणनीतिक समीकरणों में भारत को अमेरिका की जरूरत से ज्यादा अमेरिका को भारत की जरूरत है।

क्वाड सैन्य गठबंधन नहीं है, बल्कि रणनीतिक सहयोग है, जो विशेष रूप से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए है। क्वाड में शामिल होने से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया था कि भारत अपनी स्वतंत्रता के उपयोग को बरकरार रखता है। रणनीतिक विकल्प और भारत की आशंकाओं को दूर करने के लिए ही अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने चीन के खिलाफ एक सैन्य गठबंधन ऑक्स का गठन किया है।

ब्रि. आर.पी. सिंह (रि)


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