बतंगड़ बेतुक : अतिप्रचंड बहुमत से बनेगी झल्लन सरकार

Last Updated 06 Mar 2022 01:13:12 AM IST

झल्लन आते ही बोला, ‘एक बात तो पक्की है ददाजू, अगर आप कहें तो बताएं और आपकी बधाई पहले ही पा जाएं।’


बतंगड़ बेतुक : अतिप्रचंड बहुमत से बनेगी झल्लन सरकार

हमने उसकी ओर सवालिया नजर उठाई तो उसने अपनी बात आगे बढ़ाई, ‘बात यह है ददाजू कि इस बार बाकी सब खीजेंगे, छीजेंगे पर हम प्रचंड बहुमत से जीतेंगे।’
हमने कहा, ‘मीडिया में तू कहीं दिखाई नहीं दिया, किसी सर्वे ने तेरा नाम तक नहीं लिया और तू कह रहा है कि तू प्रचंड बहुमत पाएगा और सरकार बनाएगा।’ वह बोला, ‘देखिए ददाजू, ये सर्वे वगैरह सब झूठ होते हैं, पैसे वाली पार्टियों के प्रायोजित होते हैं। सो सर्वे और मीडिया क्या कहते हैं इसे भूल जाइए, बस हमारी जीत का जश्न मनाने को तैयार हो जाइए।’ हमने कहा, ‘न तेरे पास पार्टी है, न कार्यकर्ता हैं, न संगठन है, न पैसा है फिर भी तू हवा में उड़ रहा है और अपनी जीत के दावे कर रहा है।’ वह बोला, ‘देखिए ददाजू, हमने अब तक अपनी चुनावी रणनीति गुप्त रखी है, किसी को नहीं बताई है पर आप हमारे भरोसे के हैं सो अपनी रणनीति आपको समझाएंगे और आप से उम्मीद रखेंगे कि आप किसी को नहीं बताएंगे।’
हमने कहा, ‘ऐसी तूने कौन-सी गोपनीय रणनीति बनायी है जो अब तक किसी की पकड़ में नहीं आयी है?’ वह बोला, ‘ददाजू, हम रामलला के मंदिर हो आये हैं, सर नवा आये हैं, भक्तों से पहले ही अपनी भक्ति का प्रदर्शन कर आये हैं और रामभक्त बजरंगबली से वादा कर आये हैं कि इस बार हमारे ऊपर अपनी कृपा बरसा दें, हमें मुख्यमंत्री बनवा दें तो हम जीवनभर उनके गुण गाएंगे और कहीं अच्छा सा ठीया देखकर अयोध्या से भी बड़ा मंदिर बनवाएंगे।’ हमने कहा, ‘अगर रामलला और बजरंगबली ही जितवा देते तो चुनावी उम्मीदवार द्वार-द्वार वोट मांगने के लिए चक्कर क्यों लगाते, क्यों पैसा पानी की तरह बहाते, क्यों सभा-जुलूसों के लिए नंगों-लफंगों की फौज जुटाते? जीतने के लिए दुहाई लगाने और सर नवाने से ही काम नहीं चलता है, अपने मतदाता को समझाना भी होता है और इसके लिए घर-घर जाना भी होता है।’ वह बोला, ‘ददाजू, हम मतदाता को समझा दिये हैं, अपने पक्ष में कर लिये हैं। पिछली बार हम जो अपना घोषणा-पत्र जारी किये थे, जिसे आप ध्यान से सुन लिये थे, उसे हम अपने लल्लू-कल्लू कार्यकर्ताओं के जरिए जहां तक पहुंचा सकते थे वहां तक पहुंचा दिये हैं और सबसे जीत का आशीर्वाद पा लिये हैं।’

हमने कहा, ‘कमल वाले, साइकिल वाले, हाथी वाले और न जाने क्या-क्या वाले सब जनता में अपनी-अपनी हवा भर रहे हैं, अपनी-अपनी प्रचंड जीत के दावे कर रहे हैं, ऐसे में तेरा दावा कहां टिक पाएगा, तू कैसे मुख्यमंत्री बन पाएगा?’ वह बोला, ‘देखिए ददाजू, ये सब प्रचंड बहुमत पाने और सरकार बनाने की बात कर रहे हैं पर इन सबके पहिए पंक्चर हो जाएंगे, हमारे आगे ये कहीं नहीं टिक पाएंगे। हमने बजरंगबली से त्रिवाचा भरवा लिया है कि कोई भी प्रत्याशी चाहे जिसके टिकट पर जीते, जिस सिंबल से जीते, पर जीत के बाद सीधे हमारे पास आएगा और मुख्यमंत्री हमें ही बनवाएगा। सो हम अतिप्रचंड बहुमत पाएंगे और अतिप्रचंड सरकार बनाएंगे। दावे सिर्फ हमारे ही पूरे होंगे बाकी सब हारेंगे, सबके दावे हवा हो जाएंगे।’
हमने कहा, ‘दो दिन में हार-जीत के परिणाम आ जाएंगे, सबके पत्ते खुल जाएंगे। दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा और कौन सरकार बनाएगा ये भी साफ हो जाएगा। सोच, तू हार गया तो तेरे सारे दावों की पोल खुल जाएगी, कितनी जगहंसाई होगी और तेरी कितनी किरकिरी हो जाएगी।’ झल्लन बोला, ‘देखिए ददाजू, आजकल न किसी की जगहंसाई होती है, न किरकिरी होती है। हम हारे तो हार जाएंगे, पर हमारे दावे-वादे अगले चुनाव में काम आ जाएंगे। वैसे, हारने की नौबत नहीं आएगी, बस एक खतरे से बच जायें तो सरकार पक्की हमारी बन जाएगी।’ हमने कहा, ‘तू किस खतरे की बात कर रहा है, जिससे तू डर रहा है?’ झल्लन बोला, ‘अरे वही आपकी ईवीएम, अगर हम हारेंगे तो सिर्फ ईवीएम की वजह से हारेंगे। पता नहीं ये ईवीएम क्या गुल खिलवा दे और हमारे हिस्से के वोट न जाने किसके खाते में डलवा दे। ईवीएम का इतिहास रहा है कि जीती हुई पार्टी को हराती रही है और हारी हुई पार्टी को जिताती रही है, सरकार किसी और की बननी चाहिए थी पर किसी और की बनवाती रही है। बस, यही डर सता रहा है कि ईवीएम कोई गड़बड़ न करवा दे और हमारी सरकार हम से न छिनवा दे। ददाजू, ईडी का खतरा भी मंडरा रहा है और भीतर ही भीतर यह भी हमें खा रहा है।’
हमने कहा, ‘तूने कौन सी हेराफेरी की है, कौन सी मंहगी जमीन सस्ते में खरीदी है और कौन से बैंक को धोखा दिया है जो ईडी तेरे जैसे निखट्टू के घर आएगा और फालतू में अपना समय गंवाएगा?’ झल्लन बोला, ‘देखिए ददाजू, आजकल किसी का कोई ठिकाना नहीं है कि कौन हमारे खिलाफ कहां क्या शिकायतें  दर्ज करवा रहा हो और ईडी को हमारे पीछे लगवा रहा हो। बस, ईवीएम और ईडी से हमें बचवा लीजिए और हमसे पक्की हमारी सरकार बनवा लीजिए।’

विभांशु दिव्याल


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