मुद्दा : सिगरेट के बटों का जानलेवा कचरा
हर प्रकार के कचरे के बारे में आपने सुना होगा लेकिन शायद इसकी कल्पना भी नहीं की होगी कि सिगरेट भी भारी मात्रा में कचरा फैलाती है, और पूरी दुनिया में सिगरेट का कचरा लाखों टन में पाया जाता है।
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एक आंकड़े के मुताबिक हर साल सिगरेट से 76.6 करोड़ किलोग्राम हानिकारक कचरा पैदा होता है, जो दुनिया के लिए सरदर्द से कम नहीं। कहते हैं कि दुनिया भर में हर साल 6 लाख करोड़ से ज्यादा सिगरेट का उत्पादन किया जाता है। ज्यादातर सिगरेट में फिल्टर या बट लगे होते हैं। जब आप सिगरेट पीकर इसे फेंक देते हैं, तो यह धीरे-धीरे जमा होकर बड़े खतरनाक कचरे का रूप ले लेती है।
हम सभी केवल इतना ही जानते हैं कि-सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है-मगर शायद यह नहीं जानते कि उसके फिल्टर या बट से पैदा होने वाले कचरे से हमारे स्वास्थ्य या पर्यावरण को कितना ज्यादा नुकसान पहुंचता है। एक अध्ययन के मुताबिक समुद्री तटों पर सैलानी सिगरेट पीकर उसका बट फेंक देते हैं। यह बट धीरे-धीरे जमा होकर समुद्र के किनारे एक बड़े कचरे का रूप ले लेता है। प्रति वर्ष समुद्र के किनारे सिगरेट के बट की वजह से लाखों टन कचरा निकाला जाता है। जब हम कचरे की बात करते हैं, तो प्लास्टिक, कागज, लोहा, लकड़ी या अन्य चीजों के कचरे पर ही ज्यादा ध्यान जाता है। पर्यावरण के लिहाज से ये सभी प्रदूषण फैलाने वाले तत्व हैं। साधारणतया गाड़ियों के धुएं का प्रदूषण, सड़कों की धूल, फैक्ट्री की गैस आदि से प्रदूषण या पराली आदि जलाने से हुए प्रदूषण पर हमारा ध्यान जाता है, लेकिन इससे भी ज्यादा जिन चीजों से हमारा पर्यावरण प्रदूषित होता है, उनमें सिगरेट भी किसी से कम नहीं है। सिगरेट के धुएं से जहां हमारा स्वास्थ्य और वायुमंडल दूषित होता है वहीं उसका फिल्टर या बट पर्यावरण के लिए बहुत खतरनाक है। यह जलीय जीव-जंतुओं के साथ पेड़-पौधों को प्रभावित कर रहा है।
दरअसल, इस कचरे से मिट्टी की गुणवत्ता वाले जीवाणुओं और कीटाणुओं के जरिए होने वाली प्रक्रिया घट जाती है। इस वजह से पौधों की जड़ों का वजन 50 फीसदी तक कम हो जाता है, इस लिहाज से उनके अंकुरण का विकास अवरुद्ध हो जाता है। यह पौधों की जड़ों को खोखला कर रहा है। साथ ही, पानी में फेंके जाने पर यह विभिन्न जैविक जातियों के विकास को भी बाधित कर रहा है। ज्ञात हो कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम और विश्व स्वास्थ्य संगठन के संयुक्त प्रयासों से फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल नामक सोशल मीडिया अभियान शुरू किया गया है, जो 63 देशों का विस्तरीय गठबंधन है, और इसका मकसद समुद्र में बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण को दूर करना है। इस दिशा में उठाया गया यह कदम सराहनीय है। समुद्र का किनारा ही नहीं, बल्कि देश-विदेश के बड़े शहरों में भी सिगरेट पीने के बाद कचरा जमा हो रहा है, यह चिंताजनक है। यह कई टनों में जमा हो रहा है। हर सिगरेट का फिल्टर या बट माइक्रो प्लास्टिक का बना होता है, जिसे सेल्यूलोज एसीटेट फाइबर के रूप में जाना जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय में यह कचरा जल्दी नष्ट नहीं होता, बल्कि धूप और नमी के चलते यह बिखरने और अपना प्रकृति बदलने लगता है। इसमें से रसायन निकलने लगते हैं। ये रसायन हानिकारक तत्व के रूप में बाहर निकलते हैं, जो हमारे इकोसिस्टम और स्वास्थ्य को दुर्दशा की ओर ले जा रहे हैं। इस कचरे की वजह से समुद्री इकोसिस्टम रिसाव के प्रति कहीं ज्यादा संवेदनशील होता है। इस कचरे को जीव-जंतु, पक्षी, मछलियां और अन्य जलीय जीवों द्वारा निगल लिया जाता है, जो लंबे समय में इन जीवों के स्वास्थ्य पर गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।
अक्सर हम अन्य कचरों के बारे में खूब चर्चा करते हैं, लेकिन सिगरेट के फिल्टर या बट से होने वाले कचरे को अनदेखा और अनसुना कर देते हैं। इस कचरे पर कोई चर्चा नहीं होती। ठीक उसी प्रकार ई-कचरे को लेकर भी जागरूकता नहीं दिखाई देती। देश को इन कचरों के प्रति सतर्क होना चाहिए और इस पर चिंता की जानी चाहिए। यह अच्छी बात है कि बहुत से देशों में सिगरेट से होने वाले कचरे के निस्तारण और उसकी रिसाइक्लिंग पर काम कर रहे हैं। यूरोप में कॉलेज में पढ़ने वाले एक छात्र ने कचरे की रिसाइक्लिंग कर उपयोगी उत्पाद बनाना शुरू कर दिया। यह बिजनेस शुरू करने वाले टॉम स्जाकी के पास ऐसा तरीका है, जिससे रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं। वह इसे परिवर्तित कर प्लास्टिक के उत्पाद बना रहे हैं। जैसे फैशनेबल चीजें, कुर्सी, जूस के खाली पैकेट, खाली बोतलें, चाय-कॉफी के लिए यूज एंड थ्रो के पैकेट्स, कप, कैंडी के रैपर, टूथब्रश से लेकर कंप्यूटर कीबोर्ड आदि।
टॉम कहते हैं कि अन्य देशों में भी सिगरेट के बट से फैले कचरे की रिसाइक्लिंग की जानी चाहिए। इससे न केवल प्रदूषण के नुकसान से बचा जा सकता है, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा किए जा सकते हैं। सिगरेट के बट से फैलने वाले कचरे के निस्तारण करने के लिए भी सरकार को गंभीर कदम उठाने चाहिए।
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