बाइडेन को कमान : बढ़ेगा द्विपक्षीय व्यापार
निश्चित रूप से डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडेन के अमेरिका के राष्ट्रपति बन जाने से भारत-अमेरिकी कारोबार संबंधों को रफ्तार मिलेगी।
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अमेरिका-भारत व्यापार परिषद की अध्यक्ष निशा देसाई बिस्वाल के मुताबिक अमेरिकी के द्वारा कारोबार को लेकर भारत के साथ व्यापक रु ख अपनाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि भारत के साफ्टवेयर संगठन नैस्कॉम का मानना है कि प्रतिभाओं की कमी का सामना कर रहे अमेरिका के लिए कोविड-19 की चुनौतियों के बीच उद्योग-कारोबार को गतिशील करने के लिए भारतीय प्रतिभाओं के सहयोग से रोजगार के नए मौके निर्मिंत हो सकेंगे। इतना ही नहीं जो बाइडेन ईरान को लेकर रुख नरम कर सकते हैं। इसका मतलब है कि भारत फिर से ईरान से तेल खरीदारी शुरू कर पाएगा। यह भारत के लिए बड़ी आर्थिक अनुकूलता होगी। जो बाइडेन के आने से डब्ल्यूटीओ जैसे बहुराष्ट्रीय संस्थानों को नया जीवन मिलेगा, जिससे भारत को लंबित व्यापार विवादों को निपटाने में मदद मिलेगी। इस समय डब्ल्यूटीओ के तहत अपीलीय निकाय लगभग गायब है। इससे भारत को फायदा मिल सकता है। नि:संदेह जो बाइडेन के कारण भारत का सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेक्टर के बढ़ने की संभावनाएं बढ़ेगी। डेमोक्रेटिक पार्टी के घोषणा पत्र में एच-1बी नीति को जारी रखने की बात कई गई है। इससे भारतीय कुशल कर्मचारियों को वीजा नियमों के स्तर पर राहत मिल सकती है।
चूंकि भारत की आईटी सेवाएं सस्ती और गुणवत्तापूर्ण है तथा ये आईटी सेवाएं अमेरिका के उद्योग कारोबार के विकास में अहम भूमिका निभा रही हैं। अतएव अमेरिका के नये राष्ट्रपति अमेरिका की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए भारत की आईटी सेवाओं का अधिक उपयोग लेना चाहेंगे। वस्तुत: कोविड-19 के बीच अमेरिका में वर्क फ्राम होम (डब्ल्यूएफएच) करने की प्रवृत्ति को व्यापक तौर पर स्वीकार्यता से आउटसोर्सिग को बढ़ावा मिला है। नैसकॉम के अनुसार, आईटी कंपनियों के अधिकांश कर्मचारियों के द्वारा लॉकडाउन के दौरान घर से काम किया गया है। आपदा के बीच समय पर सेवा की आपूर्ति से कई अमेरिका उद्योग-कारोबार इकाइयों का भारत की आईटी कंपनियों पर भरोसा बढ़ा है। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कोविड-19 के बीच अमेरिका में डिजिटल और क्लाउड जैसे क्षेत्रों में ग्राहकों की मांग बढ़ी है। स्थिति यह है कि कोरोना शुरू होने के बाद अमेरिका उद्योग का सेवा से संबद्ध कई आईटी कंपनियों ने मंदी की आशंका के चलते बड़ी संख्या में कर्मचारियों की छंटनी की थी, लेकिन अब कई आईटी कंपनियां अमेरिका के लिए आउटसोर्सिग के कामकाज के तेजी से बढ़ने से अपने पुराने कर्मचारियों को नौकरी पर बुला रही हैं। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 भारत के लिए अमेरिका में आउटसोर्संिग के मद्देनजर आपदा में अवसर लेकर आया है। कोविड-19 के समय में वर्क फ्रॉम होम और स्थानीय तौर पर नियुक्तियों पर जोर दिए जाने से भारत की प्रमुख आईटी कंपनियों का कार्बन उत्सर्जन घटना भारत के लिए लाभप्रद हो गया है।
कोविड-19 के पूर्व तक भारतीय आईटी कंपनियों द्वारा व्यावसायिक यात्राओं और आवाजाही के तहत बड़ी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन किया जाता रहा है, लेकिन कोविड-19 ने आईटी कंपनियों को डब्ल्यूएफएच मॉडल अपनाने के लिए बाध्य किया है। साथ ही अमेरिका जैसे बाजारों में बढ़ती वीजा सख्ती की वजह से भी आईटी कंपनियों को स्थानीय तौर पर कर्मचारियों को नियुक्त करना पड़ रहा है। इससे भारतीय आईटी कंपनियों की यात्रा और दैनिक आवाजाही घटी है और कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आई है। आईटी कार्बन उत्सर्जन में कमी के आधार पर भी अमेरिका में आउटसोर्संिग कारोबार में भारी वृद्धि की नई संभावनाएं भी निर्मिंत हुई हैं। यद्यपि जो बाइडेन के आने के बाद अमेरिका में वीजा नियमों में उदारता आएगी, लेकिन यदि यह उदारता नहीं भी आई तो अमेरिकी से भारत में आईटी आउटसोर्स बढ़ने की संभावना रहेगी। इतना ही नहीं इस समय अमेरिका में जिस तरह अमेरिका नागरिकों को रोजगार देना पहली प्राथमिकता बनती जा रही है, उससे भी भारतीय आईटी सेवा कंपनियां काफी काम भारत में आउटसोर्स करने की रणनीति पर आगे बढ़ रही हैं।
विगत 7 अक्टूबर को अमेरिका के श्रम मंत्रालय ने एच-1बी, एच-1बी1, ई-3 और आई-140 वीजा के लिए न्यूनतम वेतन में इजाफा कर दिया है, जिनके कारण विदेशी कर्मचारियों को नियुक्ति देने के लिए अमेरिकी कंपनियों को ज्यादा धनराशि खर्च करनी पड़ेगी। इतना ही नहीं उसने वीजा आवेदकों के लिए भी दायरा सीमित किया है। इन बदलावों का प्रमुख उद्देश्य यह है कि मौजूदा वेतन ढांचा कुछ ऐसा बने कि अमेरिकी कामगारों द्वारा अर्जित किया जाने वाला वास्तविक वेतन उसी काम में लगे विदेशी कामगारों से कम नहीं हो सके। ऐसे नये बदलाव के पीछे प्रमुख वजह यह है नियोक्ता कम वेतन पर विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए प्रेरित नहीं होंगे। यदि जो बाइडन के आने के बाद वीजा संबंधी लाभ भारत के आईटी उद्योग को नहीं मिलता है, तो भी भारत की आईटी कंपनियां नई रणनीति से लाभान्वित होंगी।
ज्ञातव्य है कि एच-1बी वीजा प्रणाली में बदलाव करने और घरेलू कामगारों को नौकरी से निकालने से रोकने के लिए अमेरिकी संसद के निचले सदन में कुछ समय पहले विधेयक पेश हुआ है। अमेरिकियों को पहले नौकरी संबंधी इस विधेयक में यह प्रावधान है कि यदि नियोक्ता ने अपने अमेरिकी कर्मिंयों को छुट्टी पर भेजा है तो वह एच-1बी वीजा धारक विदेशियों की नियुक्ति कर सकेगा, लेकिन नियोक्ता के द्वारा वीजा धारक को अमेरिकी कामगार से अधिक वेतन का भुगतान करना होगा। यह प्रावधान इसलिए किया गया है, ताकि बहुत जरूरी होने पर ही विदेशी कामगार की नियुक्ति हो और अमेरिकी कामगारों को अपने ही देश में किसी तरह का नुकसान नहीं हो। ऐसे में जो बाइडेन के आने के बाद भी अमेरिका में कार्यरत भारतीय आईटी सेवा कंपनियों अमेरिका में स्थानीय नियुक्तियां बढ़ाने और अधिक से अधिक काम को भारत भेजने पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति पर आगे बढ़ते हुए दिखाई देती रहेंगी।
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