डिजिटल अर्थव्यवस्था : नया नवेला परिदृश्य
हाल ही में पच्चीस अक्टूबर को र्वल्ड इकोनॉमिक फोरम ने कहा है कि कोविड-19 के बाद भारत के सामने अधिक डिजिटल और मजबूत अर्थव्यवस्था की ओर छलांग लगाकर बढ़ने का सबसे बड़ा अवसर है।
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इतना ही नहीं, भारत के पास वैश्विक आर्थिक एजेंडा को आकार देने और सामूहिक भविष्य को परिभाषित करने की ताकत भी है।
निस्संदेह कोविड-19 की चुनौतियों के बीच भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था के तेजी से आगे बढ़ने का सुकूनभरा परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है। कोरोना महामारी के बीच डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए अप्रैल से जुलाई, 2020 में 16.26 अरब डॉलर का एफडीआई भारत आया है। खास तौर से अमेरिकी टेक कंपनियां भारत में स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि तथा रिटेल सेक्टर के ई-कॉमर्स बाजार की चमकीली संभावनाओं को मुट्ठियों में करने के लिए निवेश के साथ आगे बढ़ी हैं। ऐसी तेजी से बढ़ती हुई डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी कौशल-प्रशिक्षित और व्यावसायिक शिक्षा से सुसज्जित पंद्रह करोड़ युवाओं को पांच वर्ष में तैयार करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय रणनीतिक रूप से आगे बढ़ा है। वस्तुत: देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ने और डिजिटल क्षेत्र में विदेशी निवेश बढ़ने के पीछे कई कारण हैं। कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन में ऑनलाइन एजुकेशन तथा वर्क फ्रॉम होम प्रवृत्ति आगे बढ़ना, बढ़ते हुए इंटरनेट के उपयोगकर्ता, देशभर में डिजिटल इंडिया के तहत सरकारी सेवाओं के डिजिटल होने, इकतालीस करोड़ से अधिक जन धन खातों में लाभार्थियों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से भुगतान, प्रति व्यक्ति डेटा खपत तथा मोबाइल ब्रॉडबैंड ग्राहकों की तादाद के मामले में भारत का तेजी से आगे बढ़ना वे प्रमुख कारण हैं, जिनसे भारत लाभ की स्थिति में कहा जा सकता है।
यह भी स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था के तहत डिजिटल भुगतान उद्योग, ई-कॉमर्स तथा डिजिटल मार्केटिंग जैसे सेक्टर तेजी से आगे बढ़े हैं। यदि हम डिजिटल भुगतान उद्योग की ओर देखें तो पाते हैं कि नोटबंदी में भी डिजिटल भुगतान ऐसी छलांग नहीं लगा पाया, जितनी कोरोना महामारी के बीच अप्रैल से अक्टूबर, 2020 के पिछले सात महीनों में दिखाई दी है। खास बात यह भी दिखाई दे रही है कि छोटे उद्योग-कारोबार का रु झान ऑनलाइन भुगतान की ओर तेजी से बढ़ा है। देशभर में डिजिटल भुगतान की स्वीकार्यता बिना किसी दबाव के स्वेच्छा से बढ़ी है। कोविड-19 के बीच लॉकडाउन के कारण लोगों ने घरों पर रहते हुए ई-कॉमर्स और डिजिटल मार्केटिंग को जीवन का अंग बना लिया। अब अनलॉकडाउन के बीच भी लोग भीड़भाड़ से बचते हुए ऑनलाइन ऑर्डर करते दिखाई दे रहे हैं। जैसे-जैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था डिजिटल होती जा रही है, वैसे-वैसे रोजगार बाजार का परिदृश्य बदलता जा रहा है। स्थिति यह है कि भविष्य में कई रोजगार ऐसे भी होंगे, जिनके नाम हमने अब तक सुने भी नहीं हैं। दुनिया के कई शोध संगठनों द्वारा कहा जा रहा है कि डिजिटलीकरण से भारत में रोजगार के नये मौके तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। इसमें कोई दोमत नहीं कि दुनियाभर में ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और आर्टििफशियल इंटेलिजेंस के चलते जहां कई क्षेत्रों में रोजगार कम हो रहे हैं वहीं डिजिटल अर्थव्यवस्था में रोजगार भी बढ़ रहे हैं।
निसंदेह देश में सरकार ने डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नीतिगत स्तर पर कई सराहनीय कदम उठाए हैं और इनसे डिजिटलीकरण को बढ़ावा मिला है। लेकिन अभी इस दिशा में बहुआयामी प्रयासों की जरूरत बनी हुई है। हमें डिजिटलीकरण के लिए आवश्यक बुनियादी जरूरतों संबंधी कमियों को दूर करना होगा। चूंकि देश की ग्रामीण आबादी का एक बड़ा भाग अभी भी डिजिटल रूप से अशिक्षित है। अतएव डिजिटल भाषा से ग्रामीणों को सरलतापूर्वक शिक्षित-प्रशिक्षित करना होगा। चूंकि बिजली डिजिटल अर्थव्यवस्था की महत्त्वपूर्ण जरूरत हैं, अतएव ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की पर्याप्त पहुंच बनाया जाना जरूरी है।
चूंकि देश की आबादी का एक बड़ा भाग अब भी डिजिटल बैंकिंग व्यवस्था की दृष्टि से पीछे है। अतएव उन्हें डिजिटल बैंकिंग की ओर आगे बढ़ना होगा। खास तौर से अभी ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोगों के पास डिजिटल पेमेंट के तरीकों से भुगतान के लिए बैंक-खाता, इंटरनेट की सुविधा वाला मोबाइल फोन या क्रेडिट-डेबिट कार्ड की सुविधा नहीं है, अतएव ऐसी सुविधाएं बढ़ाने का अभियान जरूरी होगा। साथ ही, वित्तीय लेन देन के लिए बड़ी ग्रामीण आबादी को डिजिटल भुगतान तकनीकों के प्रति प्रेरित करना होगा। चूंकि डिजिटल भुगतान के समय होने वाली ऑनलाइन धोखाधड़ी की बढ़ती हुई घटनाओं के कारण बड़ी संख्या में ग्रामीणों का ऑनलाइन लेन देन में अविश्वास बना हुआ है, अतएव ऑनलाइन धोखाधड़ी रोकने के लिए सरकार को साइबर सुरक्षा मजबूत करनी होगी।
निसंदेह देश में डिजिटलीकरण को आगे बढ़ाने के लिए मोबाइल ब्रॉडबैंड स्पीड के मामले में देश को आगे बढ़ाया जाना होगा। मोबाइल ब्रॉडबैंड स्पीड टेस्ट करने वाली वैश्विक कंपनी ओकला के मुताबिक अप्रैल, 2020 में मोबाइल ब्रॉडबैंड स्पीड के मामले में 139 देशों की सूची में भारत 132वें पायदान पर है। ऐसे में भारत को डिजिटल अर्थव्यवस्था में रोजगार के मौकों का फायदा लेने के लिए मोबाइल ब्रॉडबैंड स्पीड को बढ़ाने के अधिकतम प्रयास करने होंगे।
स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि अभी सीमित संख्या में ही भारत की कौशल-प्रशिक्षित प्रतिभाएं डिजिटल अर्थव्यवस्था की रोजगार जरूरतों को पूरा कर पा रही हैं। अब दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी वाले भारत को बड़ी संख्या में युवाओं को डिजिटल दौर की नई तकनीकी रोजगार योग्यताओं से सुसज्जित करना होगा। डिजिटल दुनिया में कॅरियर बनाने के लिए डिजिटल अर्थव्यवस्था की विशेषज्ञता के साथ अच्छी अंग्रेजी, कंप्यूटर दक्षता, कम्युनिकेशन स्किल, जनसंचार तथा विज्ञापन क्षेत्र से जुड़ी हुई स्किल्स लाभप्रद होती हैं।
हम उम्मीद करें कि हाल ही में एक ओर देश में डिजिटलीकरण को बढ़ाने तथा दूसरी ओर नई शिक्षा नीति में जिस तरह डिजिटल दुनिया के नये दौर के कौशल विकास पर काफी जोर दिया गया है, उसके प्रभावी क्रियान्वयन से देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था में रोजगार के मौके बढ़ेंगे। हम उम्मीद करें कि देश की नई पीढ़ी डिजिटल अर्थव्यवस्था के पीछे छिपे हुए अवसरों को तलाशेगी। हम उम्मीद करें की र्वल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा प्रस्तुत की गई संभावना के मद्देनजर देश की अर्थव्यवस्था तेजी से डिजिटल होगी और भारत वैश्विक आर्थिक एजेंडा को आकार देने में अहम भूमिका निभाएगा।
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