मीडिया : उसकी आजादी के पक्ष में

Last Updated 18 Oct 2020 12:48:24 AM IST

अब तक जो सबकी खबर लेता था अब उसकी ही खबर ली जा रही है। यहां हमारा मतलब उस नामी एंकर से है जिसको एक राज्य की विधानसभा ने ‘विशेषाधिकार हनन’ के आरोप में जवाबदेही के लिए बुलाया है।




मीडिया : उसकी आजादी के पक्ष में

पत्रकारिता के इतिहास में किसी पत्रकार को किसी विधानसभा में इस तरह नहीं बुलाया गया। एंकर का कहना है कि वो विधानसभा  में नहीं जाने वाला। चाहे तो सरकार उसे गिरफ्तार  कर ले। उसका मानना है कि इसके पीछे ‘बदलेखोरी’ की भावना है। समकालीन विवाद के कई कारण हैं: एंकर मानता है कि सुशांत की ‘हत्या’ को ‘आत्महत्या’ सिद्ध करके राज्य पुलिस सरकार के एक खास नेता को बचाना चाहती है, दूसरा कारण है टीआरपी विवाद, तीसरा कारण है ‘विचारधारात्मक’ और चौथा कारण है ‘बॉलीवुड’ का ‘बैकलेश’। एंकर द्वारा रोज कठघरे में खड़ा किया जाता बॉलीवुड प्रत्याक्रमण की मुद्रा में आ गया है। अपने शो में एंकर ने बार-बार कहा है कि वह किसी से डरता नहीं है और उसकी असली अदालत ‘उसकी जनता’ (दर्शक) है। लेकिन हम बता दें कि दर्शक किसी के सगे नहीं होते। अपने स्वभाव से ही परस्पर ‘ईष्र्या-द्वेष’ में जीने वाली पत्रकार बिरादरी में से किसी को ‘लुटियंस गैंग’ और किसी को ‘टुकड़े टुकड़े गैंग’ कह कर हमारे इष्ट एंकर ने बहुत से पत्रकारों को दुश्मन बनाया है। शायद इसीलिए इस एंकर की आजादी के पक्ष में एक भी पत्रकार संगठन नहीं बोला है। यह ‘शुभ संकेत’ नहीं है। तिस पर कथित ‘लिबरल पत्रकारों’ से भरी दुनिया में वह अपने को ‘नेशनलिस्ट पत्रकार’ कहकर लिबरलों की खिल्ली उड़ाता है। उसकी भाषा में ‘नेशन फस्र्ट’ है। पत्रकारिता का ब्रांड ‘देशभक्ति’ और ‘राष्ट्रभक्ति’ है।

इसके बावजूद उसकी लोकप्रियता अन्यों से अधिक नजर आती है, जिसे देख बहुत से एंकर पत्रकार लोग उसकी ‘कीर्ति’ या कहें ‘कुकीर्ति’ से जलते हैं। वह हर शाम उत्तेजित और आक्रामक मिजाज की बहसों को ‘डब्लूडब्लूएफ शो’ की तरह पेश करता है। कभी  अपना दायां हाथ मेज पर मार-मार कर तोड़ लेता है। कभी अपने बुलाए पैनलिस्टों को ही ‘यू शट अप’ या ‘शेम ऑन यू’ कर देता है। जिसे पसंद नहीं करता उसके लिए खाली कुरसी रख कर उसे नीचा दिखाता है। कांग्रेस को वह फूटी आंख पंसद नहीं और उसे कांग्रेस पसंद नहीं। पहले एक नेता का मूल नाम लेकर वह चिढ़ाता है। जब उस नेता का दल उस पर ‘केस’ कर देता है तो इसे वह तमगे की तरह पहनता है। कभी ‘नेशन’ बन जाता है, कभी ‘एक सौ तीस करोड़’ जनता। और कभी ‘देश’ और ‘दुनिया’ ही बन जाता है। सब उसके लिए ‘शो’ बेचने के टोटके हैं।
ऐसे ही ड्रामे उसे ‘सुपर एंकर’ बनाते हैं और सब बदतमीजियों के बावजूद लोग उसे पसंद करते हैं तो इसलिए कि वह दुर्दमनीय है, दुस्साहसी है। इस बदतमीज जमाने में उसकी बदतमीजियां भी भली लगती हैं। वह हमारा ‘विरेचन’ करता है। इसी स्टाइल के जरिए उसने कई चैनलों से क्लासीकल शिष्टाचारी चरचाओं को विदा कर दिया है। बहुत से हिंदी एंकर उसकी नकल करते हैं। वो ‘ट्रेंड सेटर’ है। ऐसे में उसके दुश्मन न होंगे तो किसके होंगे? उसे भी दुश्मन बनाने में मजा आता है।
अपने ‘नेशनलिज्म’ की खातिर वह अपने प्रिय को भी कूटे बिना नहीं रहता। और भी बहुत सी बातें हैं जो इसको फॉलो करने वाले हमारे जैसे मीडिया समीक्षकों ने देखी हैं, जो इस एंकर के बारे में कही जा सकती हैं जो उसे एक ही समय में ‘घृण्य’ और उसी समय ‘प्यारा दुश्मन’ और ‘अनिवार्य’ बनाती हैं। वह सोशल मीडिया के ‘तुरंतावाद’, ‘दो टूक प्रश्न’ और ‘तू तू मैं मैं’ के साथ ‘ट्रोलिंग’ तक को मुख्य मीडिया में ले आया है। किसी किसी मुद्दे के पीछे ही पड़ जाता है। इसीलिए किसी दल की तरह ‘अभियान’ चलाता है। यही उसकी ‘यूएसपी’ है, ‘आकषर्ण’ है। इन तमाम गुन-अवगुनों के बावजूद है तो वह एक पत्रकार ही। ऐसे में भी अगर कोई पत्रकार संगठन उसकी आजादी के लिए नहीं बोलता तो वे अपना कर्त्तव्य करने से चूकता माना जाएगा। अगर एंकर का दोष है तो सिद्ध करके सजा दें लेकिन नहीं है तो इस तरह से ‘हैरास’ न करें, परेशान करें। आप खबर चैनलों के आचरण का नियमन करने के लिए कानून लाएं और उन्हें तोड़ने वाले को सजा दें लेकिन यों इस उस बहाने से ‘परेशान’ न करें।  
उधर, इस एंकर को भी चाहिए कि आत्मालोचना करे और गलतियों से सबक ले। अगर आप अतिवादी हैं तो आपसे बड़ा कोई दूसरा अतिवादी आकर एक दिन आपको ही ठीक कर देगा और आप सिर्फ ‘आजादी आजादी’ चिल्लाते रह जाएंगे।

सुधीश पचौरी


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment