सरोकार : ..तो क्या महिलाएं सोशल मीडिया से दूर रहें?
ऑस्ट्रेलिया की मीडिया इंडस्ट्री की महिलाएं इन दिनों आग बबूला हैं। कई मशहूर महिला पत्रकारों की व्यक्तिगत तस्वीरें एक सेक्सिएस्ट फोरम ने बिना उनकी सहमति के पोस्ट की हैं और उन पर भद्दे कमेंट्स भी किए हैं।
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ये तस्वीरें कहां से आ रही हैं। बेशक, उन महिलाओं के सोशल मीडिया एकाउंट्स से आ रही हैं। तस्वीरों में कोई कसरत कर रही है, कोई दोस्तों के साथ घूम रही है। कुछ तस्वीरें टॉपलेस भी हैं। जिन महिलाओं की ऐसी तस्वीरें पोस्ट की गई हैं, उनमें से एक छह साल पहले मॉडल हुआ करती थी।
ऐसे रवैये पर कोई सबसे पहले क्या कहेगा? क्या महिलाओं को अपनी कोई तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट ही नहीं करनी चाहिए? जवाब एबीसी की रिपोर्टर लिली मायर्स देती हैं। उनकी एक बिकनीधारी फोटो भी पोस्ट की गई जो कभी उन्होंने हवाई यात्रा के दौरान अपने इंस्टाग्राम एकाउंट पर पोस्ट की थी। उनका कहना है कि यह सहमति की बात है- महिलाओं को क्या पहनना चाहिए और लोग इस बारे में क्या सोचते हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस फोरम का एकाउंट हजारों महिला पत्रकारों को फॉलो करता है। जब उन पत्रकारों ने उस एकाउंट को ब्लॉक कर दिया, तब भी अपलोड्स बंद नहीं हुए। यूं ये मशहूर महिलाएं हैं, सेलिब्रिटी हैं, इसलिए उन पर सभी का ध्यान जाना स्वाभाविक है। इनके पक्ष में कुछ लोग खड़े हो भी जाते हैं। ये खुद भी अपनी बात कहने की हिम्मत रखती हैं। पर सामान्य औरतों का क्या!
पिछले साल भारत में गैर-सरकारी संगठन फ्रीडम हाउस के एक सर्वे का कहना था कि ऑनलाइन उत्पीड़न का शिकार होने वाली 38 फीसद औरतें इसके खिलाफ आवाज उठाने से बचती हैं। 28 फीसद ने कहा था कि उत्पीड़न का शिकार होने के बाद उन्होंने अपनी ऑनलाइन मौजूदगी ही कम कर दी। 30 फीसद ने इसे अपसेटिंग कहा और 15 फीसद ने कहा था कि इससे उन्हें जबरदस्त मानसिक संत्रास जैसे डिप्रेशन, स्ट्रेस और नींद न आने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा। फिर भी उनमें से बहुत कम ऐसा मानती हैं कि ऑनलाइन एब्यूज, हिंसा के बराबर है। सर्वे में शामिल 30 फीसद औरतों को तो यह भी नहीं मालूम था कि हमारे देश में ऑनलाइन उत्पीड़न से बचाने वाला कोई कानून भी है। शिकार होने वाली एक तिहाई औरतों का कहना है कि उन्होंने उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई लेकिन शिकायत दर्ज कराने वाली 38 फीसद को कोई मदद नहीं मिली। वैसे कोविड-19 के दौर में महिलाओं की तस्वीरों के दुरुपयोग के जरिए उनका उत्पीड़न भी बढ़ा है। यह दुनिया भर में हो रहा है। ब्रिटेन और दूसरे देशों में भी। ब्रिटेन में रिवेंज पोर्न हेल्पलाइन में दर्ज होने वाले मामले दोगुने हो गए हैं।
बेशक, दुनिया भर में इंटरनेट का उपयोग करने वालों की सालाना विकास दर तेजी से बढ़ रही है। इंटरनेट तक आसान पहुंच ने बहुत से लोगों को ताकतवर बनाया है। खासकर महिलाओं और हाशिए पर पड़े समुदायों को। वे अपनी परंपरागत बाधाओं को तोड़ने में कामयाब हुए हैं और सामाजिक दायरे का हिस्सा बन रहे हैं। लेकिन इंटरनेट की वर्चुअल दुनिया कई चुनौतियां भी लेकर आई है। महिलाएं तरह-तरह से इसकी शिकार हो रही हैं। लोगों को उनके धर्म, नस्ल और जाति, विकलांगता, सेक्सुअल ओरिएंटेशन और बहुत बार अपने विचारों के कारण अपमानित किया जाता है। और यह मानवाधिकारों के हनन और लैंगिक समानता की दिशा में बहुत बड़ी बाधा है।
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