बतंगड़ बेतुक : कोरोना से ज्यादा खतरनाक वायरस
‘कोई इंसान इतना मूर्ख, इतना लापरवाह, इतना जाहिल कैसे हो सकता है जो समूचे विवेक को परे उछाल दे और करोड़ों लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल दे।’ हमने अपना दुख व्यक्त किया तो झल्लन ने तुरंत प्रतिवाद किया, ‘न ददाजू, न तो यहां मूर्खता थी, न लापरवाही थी, न जहालत थी, अगर कुछ था तो हिंदुस्तान को हराने की गंदी साजिश थी।
बतंगड़ बेतुक : कोरोना से ज्यादा खतरनाक वायरस |
जो हिंदुस्तान कोराना से जीतता हुआ लग रहा था वह कहां से कहां आ गया, एक धूर्त मौलाना के कारण झटके में मात खा गया। न जाने कितने लोग मर जाएंगे, कितने परिवार निपट जाएंगे पर आप इस मौलाना के चेहरे पर शिकन तक नहीं पांएगे।’ हमने कहा, ‘मौलाना के खिलाफ ऐसा मत बोल झल्लन, मौलाना तो मजहबी आदमी था, दीन पर चलने वाला था। उसे भरोसा था कि कोरोना उसका और उसकी जमात का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा, वे सब अल्लाह के मरकज में हैं, इसलिए कोरोना यहां घुसने से पहले ही मर जाएगा।’
झल्लन बोला, ‘आप काहे खेह पर गोबर लीप रहे हैं, धर्मनिरपेक्षों की तरह काहे इधर का उधर टीप रहे हैं। इस मौलाना का पक्का इरादा था कि वह अपने मरकज में कोरोना लाएगा, फिर उसे सारे हिंदुस्तान में फैलाएगा और मनचाही तबाही मचाएगा।’ हमने कहा, ‘कोई जानबूझकर ऐसा नहीं करता झल्लन, इंसान से चूक हो जाती है, चूक कभी छोटी होती है तो कभी देशव्यापी हो जाती है।’ झल्लन बोला, ‘आप बुद्धिजीवियों का यही संकट है, कभी सीधी करवट नहीं बैठते हो, कभी किसी मुद्दे पर सीधे नहीं पैठते हो। किसके पक्ष में बोलना है, किसको गरियाना है, किसके पाप ढंकने हैं, किसके उजागर करने हैं उसे पहले ही जोड़-तोड़ लेते हो और सच्चाई की आंखों में झांके बिना कहानी को इधर-उधर मोड़ देते हो। सरकार समझा रही थी, मीडिया और पुलिस-प्रशासन समझा रहा था लेकिन यह मौलाना खुलेआम सबको धता बता रहा था। पुलिस-प्रशासन के निर्देशों को शैतान के निर्देश बता रहा था और जमातियों को इन्हें न मानने के लिए उकसा रहा था।’
हमने कहा, ‘देख झल्लन, इस जाहिल मौलाना ने इंसानियत के साथ जो गुनाह किया है, अल्लाह इसे कभी माफ नहीं करेगा, इसके गुनाहों की सजा इसे जरूर देगा।’ झल्लन बोला, ‘क्या ददाजू, आप तो किसी मौलाना जैसी ही बात कर रहे हो। अल्लाह जब सजा देगा तब देगा, अभी इस मौलाना का क्या हो इस पर कुछ नहीं कह रहे हो। इसको तुरंत पकड़ा जाना चाहिए और लाखों इंसानों की जिंदगी खतरे में डालने के लिए सरेआम फांसी पर चढ़ाया जाना चाहिए।’ हमने कहा, ‘जाहिल मौलाना जैसी बात तो अब तू कर रहा है झल्लन जो तेरे मुंह से ऐसे अल्फाज निकल रहे हैं। यह तो सोच, हम लोकतांत्रिक समाज में रह रहे हैं और इसी के कायदे-कानूनों के हिसाब से चल रहे हैं।’ झल्लन बोला, ‘ददाजू, क्या लोकतांत्रिक समाज इतना नपुंसक-नाकारा होता है कि ऐसे जाहिलों का कुछ नहीं कर पाये और कोई भी खुदा के नाम पर लाखों जिंदगियों को खतरे में डालकर आराम से निकल जाये। और अब देखिए, ये जाहिल क्या कर रहे हैं जो डॉक्टर-नर्स इन्हें बचाना चाहते हैं उन पर हमले कर रहे हैं, थूक रहे हैं, उन पर पत्थर फेंक रहे हैं। यह सब देखकर क्या आपको डर नहीं लगता, आपका मन नहीं सिहरता? ये जानबूझकर कोरोना फैलाना चाहते हैं, भारत में तबाही मचाना चाहते हैं।’
हमने कहा, ‘देख झल्लन, ऐसे जाहिल लोग हर धर्म, हर मजहब में हैं। ये वो हैं जो न धर्म-मजहब को जानते हैं न उसकी सही बातों को पहचानते हैं। ईश्वर-अल्लाह के नाम पर भोले भाले लोगों को बेवकूफ बनाते हैं, धर्म-मजहब का गलत अर्थ पढ़ाते हैं और अपने शुद्र स्वाथरे के लिए उनका दोहन करते हैं, उन्हें भड़काते हैं। ऐसे लोग जिस धर्म-मजहब में होते हैं उसके लिए कलंक होते हैं, आम इंसानों के लिए जहरीला डंक होते हैं। ऐसे लोगों की जहालत को किसी धर्म या मजहब से नहीं जोड़ना चाहिए, मजहब इन्हें जहालत सिखाता है ऐसा नहीं सोचना चाहिए।’ झल्लन बोला, ‘ददाजू, आपकी बात मानें या न मानें, समझ नहीं पा रहे हैं पर ये लोग अपनी दुकान तो धर्म-मजहब के नाम पर ही चला रहे हैं, यहां भी बहुत से लोग मौलाना को बचा रहे हैं।’ हमने कहा, ‘तू सही कह रहा है झल्लन, जो जाहिल है वही इस मौलाना का बचाव कर रहा है वरना देख, हर समझदार मुसलमान इस मौलाना की मजम्मत कर रहा है।’ झल्लन बोला, ‘ददाजू, बहुत से मुस्लिम बुद्धिजीवी इस मौलाना की तरफदारी भी कर रहे हैं और इस मौलाना ने जो किया उसका दोष पुलिस और प्रशासन पर धर रहे हैं। मौलाना के प्रवक्ता कह रहे हैं कि न उन्होंने गलत किया है, न कोई जमाती कोरोना का शिकार हुआ और न किसी ने कोरोना फैलाया है, यह तो सिर्फ हिंदूवादी सरकार का षड़यंत्र है जो उसने मुसलमानों को बदनाम करने के लिए रचाया है।’
हमने कहा, ‘यही तो जहालत का वायरस है झल्लन, जो सभ्यता के लिए शर्मनाक है और कोरोना से ज्यादा खतरनाक है। कोरोना का इलाज तो निकल आएगा पर जहालत के वायरस का कोई कुछ नहीं कर पाएगा।’
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