सरोकार : औरतों के मेकअप से भागेगा कोरोना?
मलयेशिया की सरकार ने औरतों से माफी मांगी है। उसने कोविड-19 के प्रकोप के भय से लोगों को वर्क फ्रॉम होम का आदेश दिया था।
सरोकार : औरतों के मेकअप से भागेगा कोरोना? |
लोग कुंठित और हताश हो रहे थे, सो सरकार ने देश की औरतों को सलाह दी कि लॉक-डाउन के दौरान घरों में मेकअप करके रहें और अपने पतियों को तंग न करें। अपने फेसबुक पोस्ट में महिला मंत्रालय ने औरतों को टिप्स दिए कि उन्हें लॉक-डाउन के दौरान कैसा व्यवहार करना चाहिए। पोस्ट में एक तस्वीर लगाई गई थी, जिसमें एक कपल कपड़े सुखा रहा है-उसके नीचे कैप्शन में लिखा था कि पत्नियां, अपने पतियों को तंग न करें और कार्टून रोबोट कैट डोरेमॉन की आवाज की नकल करें। बाद में पोस्ट हटा दी गई। दूसरी पोस्ट में कामकाजी औरतों से कहा गया था कि उन्हें मेकअप करना चाहिए और आरामदेह कपड़ों की जगह पर अच्छे से ड्रेसअप होकर काम करना चाहिए। इन पोस्ट्स और सलाह-मशविरे से लोगों में गुस्सा भड़का। सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति ने पूछा- ड्रेसअप होने और मेकअप करने से क्या कोरोना हमें छोड़ देगा? जन प्रतिक्रिया के बाद मंत्रालय ने लोगों से माफी मांगी पर अजीबो-गरीब दलील दी। कहा कि उसकी सलाह का कारण था कि इस दौरान परिवार के सभी सदस्य घर में रह रहे हैं, इसलिए उनके बीच सामंजस्य बना रहना जरूरी है।
दिलचस्प बात है कि मलयेशिया ही नहीं, दुनिया के किसी भी देश की सरकार परिवार के पुरु ष सदस्यों को कोई सलाह नहीं दे रही। वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था में भी घर के काम की पूरी जिम्मेदारी अधिकतर औरतों पर ही आ जाती है। पर उनके काम में हाथ बंटाने की सलाह कोई नहीं दे रहा। यह सलाह भी नहीं दे रहा कि परिवार के पुरु ष सदस्यों को अपने व्यवहार में बदलाव करना चाहिए। चूंकि लॉक-डाउन या सामाजिक दूरी या एकांतवास के लिए औरतें जिम्मेदार नहीं हैं। लेकिन इसका खमियाजा औरतों को ही उठाना पड़ रहा है। बहुत से देशों में घरेलू हिंसा बढ़ रही है। चीन के हुबेई प्रांत के जिंग्जऊ शहर के एक एंटी डोमेस्टिक वॉयलेंस नॉन प्रॉफिट संगठन ने जानकारी दी थी कि इस महामारी में घरेलू हिंसा बहुत बढ़ी। फरवरी में घरेलू हिंसा के मामलों में पिछले साल के मुकाबले तीन गुनी बढ़ोतरी हुई। भारत में राष्ट्रीय महिला आयोग ने बताया है कि 23 से 30 मार्च के दौरान उसे घरेलू उत्पीड़न की 58 शिकायतें ई मेल से मिली हैं। बाकी चिट्ठी लिखकर शिकायत दर्ज कराने वाली महिलाओं की संख्या तो आने वाले दिनों में पता चलेगी। मलयेशिया में संवेदनशील लोगों के लिए चलाई जाने वाली सरकारी हेल्पलाइन में लॉक-डाउन के बाद से घरेलू हिंसा संबंधी कॉल्स की संख्या दोगुनी हो गई है। घरेलू हिंसा के मामले ब्राजील से लेकर जर्मनी और ग्रीस तक में बढ़ रहे हैं। लोग आर्थिक मंदी और रोजगार से जुड़ी असुरक्षा से आशंकित हैं और सारा गुस्सा अपनी पार्टनर या बीवियों पर निकाल रहे हैं। पर पुरु षों को एडवाइजरी जारी करने वाला कोई नहीं। उनके व्यवहार पर आपको आपत्ति भले हो, पर उन्हें कौन सलाह देगा? आखिर, सत्ता के शीर्ष पर पुरुष ही बैठा है जो पुरु षों को सलाह नहीं देना चाहता। उनसे नहीं कहता कि उन्हें अपनी बीवियों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। अच्छे व्यवहार से परिवार में रिश्ते अच्छे बने रहते हैं। अगर बीवी घर से दफ्तर का काम कर रही है तो बाकी के कामों में उसका हाथ बंटाएं, या टीवी के रिमोट और मोबाइल फोन से हाथ हटाकर झाडू और बर्तनों में लगाएं। चूंकि कोई काम जेंडर से तय नहीं होता।
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