मोदी सरकार : हवाई नहीं, बुनियादी उपलब्धियां
जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्रवाद की बात करते हैं, तो विपक्ष उन्हें बुनियादी समस्याओं को लेकर घेरता है, और जब बुनियादी जरूरतों पर बात करते हैं, तो विपक्ष अन्य मुद्दों को तुल देता है।
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विपक्ष के आरोपों के इतर बुनियादी जरूरतों को लेकर मोदी के पिछले पांच साल के कार्यकाल पर नजर डालें तो आंकड़ें कुछ और ही कहते हैं। व्यक्ति के जीवन में सबसे पहले उसे रोटी, कपड़ा और मकान की जरूरत होती है। तीनों चीजें मिलने के बाद वह अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देता है, ताकि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ दिमाग का विकास हो सके और वह देश का बेहतर नागरिक बन सके।
मोदी ने अपने पांच साल के कार्यकाल में इन बुनियादी जरूरतों पर फोकस किया। इससे आज वह देश की महिलाओं, गरीबों, छोटे किसानों के बीच खासा लोकप्रिय हैं। मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने 2022 तक सबको पक्का मकान का जो वायदा किया है। उस लक्ष्य को पूरा करने में उन्होंने काफी सफलता हासिल की है। मोदी सरकार ने अब तक देश के ग्रामीण क्षेत्रों में 92.64 लाख आवासों का निर्माण किया है। इनमें से सर्वाधिक लगभग 13 लाख आवासों का निर्माण उत्तर प्रदेश में किया गया है।
इसी तरह, देश के शहरी क्षेत्रों में मार्च, 2019 तक 79,78,066 आवासों के निर्माण की मंजूरी दी गई है। इनमें से 1,90,5,379 आवासों का निर्माण हो चुका है, और 4,41,1,410 का निर्माण-कार्य जारी है। लोक सभा चुनाव 2019 की इस बेला में जब जनप्रतिनिधि ग्रामीण जनता के सामने जा रहे हैं, तो जनता उनसे आवास की मांग कर रही है। जनता को अभी भी आशा है कि मोदी उनकी इस इच्छा को जरूर पूरा करेंगे। मोदी ने आर्थिक तौर से कमजोर वर्ग को आवास मुहैया कराने के अलावा देश की आर्थिक तौर से कमजोर महिलाओं को फ्री गैस सिलेंडर मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत की।
मोदी द्वारा पूर्वाचल के बलिया से 1 मई, 2016 को शुरू की गई इस योजना के तहत पिछले तीन सालों में देश की 7.19 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को नि:शुल्क कनेक्शन मुहैया कराए जा चुके हैं। सर्वाधिक 1,29,63.534 एलपीजी गैस कनेक्शन उत्तर प्रदेश में मुहैया कराए गए। इसके तहत उत्तर प्रदेश की 6 करोड़ से ज्यादा आबादी लाभान्वित हुई जो प्रदेश की कुल आबादी का 30 प्रतिशत से ज्यादा है। बिहार में 78,97393 महिलाओं और प. बंगाल में 80,62277 एलपीजी गैस कनेक्शन नि:शुल्क मुहैया कराए गए हैं।
मोदी सरकार द्वारा छोटे किसानों के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की खासी चर्चा है। इससे 2022 तक किसानों की आय दो गुनी करने के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिल सकेगी। इसके तहत दो हेक्टेयर तक की भूमि वाले छोटे किसानों को सलाना 6 हजार रु पये की आर्थिक सहायता राशि दी जा रही है। यह राशि तीन किस्तों में डायरेक्ट बेनिफिट योजना (डीबीटी) के तहत शुरू की गई है। एक दिसम्बर, 2018 से शुरू इस योजना के तहत अब तक दूसरी किस्त भी जारी कर दी गई है। इस योजना का लाभ 12 करोड़ किसानों को मिलेगा। हालांकि कुछ कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह राशि बहुत कम है। राशि कम हो सकती है, इसे लेकर या इसे बढ़ाने की मांग को लेकर आप नाराजगी जता सकते हैं, लेकिन वास्तव में देखा जाए तो किसानों के लिए यह एक अच्छी शुरुआत है।
बता दें कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आजादी से ज्यादा स्वच्छता को प्राथमिकता दी थी। मोदी ने बापू के इसी संदेश को अंगीकृत किया। पांच साल पहले जहां 2014 में ग्रामीण स्वच्छता महज 38 फीसद थी, वहीं आज 95 फीसद से ज्यादा हो गई है। नौ करोड़ से ज्यादा घरों में शौचालय का निर्माण हो चुका है। भारत में खुले में शौच से मुक्त (ओपेन डेफिकेशन फ्री) गांवों की संख्या 5,59000 से ज्यादा हो गई है। देश की 248208 ग्राम पंचायतें, 6049 ब्लॉक और 617 जिले खुले में शौच से मुक्त हो गए हैं।
हालांकि प्रधानमंत्री ने जब इस अभियान की शुरुआत की थी तो सवाल उठा था कि इस योजना पर बहुत पैसा खर्च करना पड़ेगा। लेकिन सरकार ने पैसे से ज्यादा इस सामाजिक बदलाव को प्राथमिकता दी। स्वच्छता से संबंधित इस समस्या को दूर करने से ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रामक बीमारियों में काफी हद तक कमी आई है। इलाज पर होने वाला खर्च कम हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किए गए इस महाअभियान की प्रशंसा संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी की है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता पर निवेश पर आर्थिक तौर पर भी बुद्धिमानी है। इसलिए लोकतंत्र में आप सरकार की निंदा करने अथवा आलोचना करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन हर बात में बेवजह आलोचना करना और उसकी निंदा करना ठीक नहीं है।
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