बतंगड़ बेतुक : क्योंकि हम जिम्मेदार विपक्ष हैं
क्योंकि हम जिम्मेदार विपक्ष हैं, एक निकम्मी नाकारा सरकार के प्रतिपक्ष हैं और क्योंकि जब तक सरकार तुम्हारी है, अपने बेसहारा, आवारा लोकतंत्र को साधने-संभालने की जिम्मेदारी हमारी है।
![]() बतंगड़ बेतुक : क्योंकि हम जिम्मेदार विपक्ष हैं |
इसलिए हमने अपने तई कुछ शात सिद्धांत गढ़े हैं, जिनके सहारे हम दृढ़ता से आगे बढ़ रहे हैं, कहीं गिर रहे हैं तो कहीं चढ़ रहे हैं।
हमारा पहला अटल सिद्धांत यह कि सरकार कभी कोई काम नहीं करती है और अगर करती है तो उसका हर काम जनविरोधी होता है, जिससे खुशहाल जनता को कोई न कोई कष्ट अवश्य होता है। फिर भी अगर उसने कुछ किया हो तो उसे किया हुआ नहीं माना जाना चाहिए और अगर कोई काम दिखता हो तो उसे हर सूरत में अनदेखा किया जाना चाहिए। सरकार नोटबंदी करे तो वह सिर्फ स्कैम, घोटाला या बवाल होता है और अगर कर सुधार करे तो जनता के जी का जंजाल होता है। सरकार का हर चैकीदार चोर होता है, हर प्रवक्ता मुंहजोर होता है, हर बयान सिर्फ शोर होता है।
दूसरा सिद्धांत यह कि सरकार कभी भी सच नहीं बोलती है, जब भी मुंह खोलती है सिर्फ झूठ बोलती है। सरकार कहे कि वह उज्ज्वला लायी है, उसने गांवों में सबेरा किया है तो हम मानेंगे कि उसने भ्रम पैदा किया है, वास्तव में अंधेरा किया है। सरकार कहे कि उसने किसानों के खाते में पैसा पहुंचाया है और किसानों ने इसका लाभ लिया है तो हम कहेंगे कि किसानों को धोखा दिया है, उनका अपमान किया है। सरकार कहे कि स्ट्राइक सर्जिकल था तो हम मानेंगे कि स्ट्राइक पूरी तरह फर्जीकल था। सरकार कहे कि जहाज बम गिराकर आये हैं तो हम कहेंगे कुछ पेड़ गिराए हैं, कुछ कौवे उड़ा आये हैं। सरकार कहे कि राफेल से उसने सेना का बल बढ़ाया है तो हम कहेंगे कि उसने देश का धन चुराया है, दोस्तों की जेब में पहुंचाया है। सरकार कहे कि वह सबका विकास करती है तो हम कहेंगे कि झूठ कहती है, सबका विनाश करती है। वह कहे कि सबको साथ लेकर चलती है तो हम कहेंगे वह विभेद करती है, फूट डालती है, आपस में लड़ाती है, भिड़ाती है। सरकार जिसे सफाई बताती है, जिसमें वह सबकी भलाई बताती है, हमारी नजर में वह सिर्फ अपने तई मलाई बनाती है। सरकार कहे कि वह गरीबों की मददगार है तो हम मानेंगे कि वह सिर्फ चंद पूंजीपतियों की माई-बाप है, उन्हीं का परवरदिगार है। सरकार कहे कि वह देश को मजबूत बना रही है तो हम मानेंगे कि वह देश को कमजोर और मजबूर बना रही है, देश को लाचार कर रही है, उसका बंटाधार कर रही है। अगर सरकार सच कहती लगे तो भूलकर उसे सच नहीं मानना चाहिए, समूची ताकत झोंककर उसमें झूठ तलाशना चाहिए। सरकार कुछ भी कहे-करे हम कभी सहमत नहीं दिखेंगे, क्योंकि हम जिम्मेदार विपक्ष हैं, विरोध ही करेंगे।
तीसरा सिद्धांत यह कि देश में या किसी प्रदेश में जब भी कुछ अच्छा हुआ केवल तभी हुआ जब हमारी सरकार रही, नहीं तो कहीं कुछ नहीं हुआ। आगे भी जब कुछ अच्छा होगा तो हमारी सरकार आएगी तभी होगा, अन्यथा कहीं कुछ नहीं होगा। इसलिए हमारा स्थायी घोषणापत्र होता है कि चाहे कुछ भी करो मगर इस सरकार को हटाओ और देश को सुख के समुद्र में नहलाने के लिए हमारी सरकार लाओ। जब हमारी सरकार आती है या जाकर फिर आती है तभी किसान सुखी रहता है, मजदूर भरपेट खाता है, नौकरीपेशा खूब पाता है और व्यापारी खूब कमाता है। हमारे शासन में न कोई बाबू गड़बड़ करता है, न अफसर कुछ घर ले जाता है। न नेता का कोई रिश्तेदार उलटफेर करता है, न ठेकेदार तीन के तेरह करता है। तब न कोई जातिवादी होता है, न सम्प्रदायवादी और न अवसरवादी। अगर नेता कुछ होता है तो शुद्ध ईमानदार या सत्संवादी या फिर शुद्ध समाजवादी। सबको शिक्षा मिलती है, सबको इलाज मिलता है, सबको रोजगार मिलता है। अगर देश में स्वर्ग लाना है तो इस सरकार को हटाना है, हमें सरकार में लाना है।
चौथा सिद्धांत यह कि जो सवाल निहायत ही मूर्खतापूर्ण हों उनको पहले तो उठने मत दो और अगर उठ जाएं तो गले पड़ने मत दो। मसलन, आप किसान का सिर्फ कर्ज माफ करेंगे या उसे कर्ज न लेना पड़े ऐसा कुछ करेंगे? बेरोजगारी हवा में दूर करेंगे या दूर करने के लिए कोई संरचनात्मक परिवर्तन करेंगे? सबको रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए कौन सा सूत्र अपनाएंगे, इसे गोपन रखेंगे या कभी बताएंगे? भ्रष्टाचार के साथ हमेशा की तरह गलबहियां करेंगे या उसे मिटाएंगे, मिटाएंगे तो कौन से तरीके अपनाएंगे? पानी-पर्यावरण-प्रदूषण की हमेशा की तरह अनदेखी करेंगे या ये भी कभी आपके विचार केंद्र में आएंगे? मंदिर-मस्जिद, आतंक, अलगाव, कश्मीर पर सरकार को सिर्फ गाली देंगे या अपनी कोई ठोस कार्य योजना प्रस्तुत करेंगे, अगर प्रस्तुत करेंगे तो उसे कब उजागर करेंगे? इन और इन जैसे अन्य सवालों का जनता संज्ञान नहीं लेती, चुनाव के मौसम में इनके आधार पर वोट नहीं देती। इसलिए ऐसे गैर-जिम्मेदार सवालों का बोझ जिम्मेदार विपक्ष नहीं उठाता है, इनमें सर नहीं खपाता है।
| Tweet![]() |