दीवाना बना गई वीमेन इन ब्लू
मिताली राज से महिला क्रिकेट विश्व कप शुरू होने से पहले पूछा गया था कि आपका पसंदीदा कौन सा भारतीय क्रिकेटर है.
![]() दीवाना बना गई वीमेन इन ब्लू |
इस पर उनका जवाब था कि क्या आपने कभी पुरुष क्रिकेटरों से पूछा है कि आपकी पसंदीदा महिला क्रिकेटर कौन है. ुउनको यह सवाल करने का पूरा हक है क्योंकि वह वनडे क्रिकेट में 6000 रन बनाने वाली इकलौती क्रिकेटर हैं. अब तो विश्व कप के फाइनल तक चुनौती पेश करके भारतीय महिला क्रिकेट की तस्वीर ही बदलकर रख दी है.
यह सही है कि भारतीय खिलाड़ियों ने आखिरी समय में धड़कनों को काबू में रखा होता तो आज उनके ऊपर विश्व चैंपियन का टैग लग गया होता. देशवासियों को फाइनल में हारने का अफसोस है. पर टीम ने फाइनल तक के सफर में जो धमाके किए हैं, उससे सारा देश इसकी प्रशंसा में कसीदे पढ़ रहा है. याद करिए विश्व कप से पहले तक देशवासी कप्तान मिताली राज और झूलन गोस्वामी से तो वाकिफ थे. लेकिन अन्य खिलाड़ियों के बारे में कुछ खास नहीं जानते थे.
लेकिन इस विश्व कप ने इन दोनों क्रिकेटरों के अलावा स्मृति मंधाना, पूनम राउत, हरमनप्रीत कौर, दीप्ति शर्मा, पूनम यादव, वेदा कृष्णमूर्ति सहित सभी महिला क्रिकेटरों को देशवासियों की हीरोइन बना दिया है. माना जा रहा है कि 1983 के विश्व कप में कपिल देव ने जिस तरह से जिम्बाब्वे के खिलाफ 17 रन पर पांच विकेट निकल जाने के बाद 175 रन की पारी खेलकर भारतीय चुनौती टूटने से ही नहीं बचाई बल्कि वेस्ट इंडीज जैसी दिग्गज टीम को फतह करके भारत को पहली बार विश्व चैंपियन बनाया. इस सफलता ने भारतीय क्रिकेट की शक्ल को एकदम से बदल कर रख दिया.
इसी तरह क्या महिला टीम का प्रदर्शन भी देश में महिला क्रिकेट की हालत की कायापलट करेगा? भारतीय टीम के प्रदर्शन में महिला क्रिकेटरों के प्रति बीसीसीआई के रवैये में भी बदलाव आया है. जिस बीसीसीआई ने 2006 में महिला क्रिकेट का अपने में विलय होने के बाद लगभग एक दशक तक कोई ध्यान नहीं दिया उसने जब शशांक मनोहर के दूसरे कार्यकाल के लिए 2013 में बीसीसीआई अध्यक्ष चुने जाने के बाद इस तरफ मामूली सा ध्यान दिया और इसके परिणाम अब सामने आने लगे हैं. उन्होंने महिला क्रिकेटरों को केंद्रीय अनुबंध दिया. इसके बाद महिला क्रि केट टीम को पहली बार विश्व कप में भाग लेने के लिए बिजनेस क्लास में भेजा गया.
यही नहीं इस बार खिलाड़ियों को प्रति मैच एक लाख रुपए के अलावा 125 डालर प्रति दिन भत्ता दिया गया. पहले खिलाड़ियों को पूरे टूर्नामेंट के लिए तीन लाख रुपए और 50 डॉलर प्रति दिन के हिसाब से भत्ता मिलता था. इस लिहाज से देखा जाए तो सुविधाओं में आई बढ़ोतरी अच्छी खासी है. लेकिन जब इन्हें पुरुषों को मिलने वाली सुविधाओं के सामने रखते हैं, तो शर्मिदगी महसूस होने लगती है. हम पुरुष क्रिकेटरों के केंद्रीय अनुबंध की बात करें तो तो ए ग्रेड के खिलाड़ियों को दो करोड़ और बी ग्रेड वालों को एक करोड़ रुपए मिलते हैं. अगर महिला क्रिकेटरों के दोनों ग्रेड को देखें तो यह राशि दस और 15 लाख रुपए है. इस टीम की खिलाड़ियों को बीसीसीआई ने 50-50 लाख रुपए देने का ऐलान किया है. लेकिन पुरुष टीम को मिलने वाले पुरस्कारों को देखने के बाद यह सब अवार्ड काफी कमजोर दिखने लगते हैं.
बहरहाल, अब महिला क्रिकेट को ज्यादा सुविधाएं देने पर ध्यान देने की जरूरत है. महिला क्रिकेट टीम को ज्यादा सुविधाएं देने में टीम का सपोर्टिग स्टाफ बढ़ाना भी आता है. सोचिए कि टीम के साथ पुरुष टीम की तरह मनोवैज्ञानिक और होता तो टीम ने जिस तरह मैच पर पकड़ बनाने के बाद इसे हाथ से जाना दिया, वह स्थिति आती ही नहीं. पूनम राउत और हरमनप्रीत के प्रदर्शन से जीत की स्थिति बना ली थी. लेकिन आखिरी सात विकेट 28 रन पर खोकर मैच से हाथ धो दिया. यह सब खिलाड़ियों की घबराहट में हुआ. मिताली राज ने तो देश में महिला आईपीएल शुरू करने की बात कही है. इसके पीछे की कहानी यह है कि स्मृति और हरमनप्रीत विदेश में टी-20 लीग में खेलने गई. इससे उनके प्रदर्शन में बहुत सुधार देखने को मिला. महिला आईपीएल की शुरुआत हो जाए तो स्तर में सुधार आना तय है. एक बात जरूर कहना चाहता हूं कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने देश में महिला क्रिकेट के प्रति माहौल बना दिया है. इस माहौल का फायदा उठाने की जरूरत है. यदि ऐसा कर सके तो हम दिग्गज महिला क्रिकेटरों की लाइन लगाकर इस मामले में भी विश्व की अगुआई कर सकते हैं.
| Tweet![]() |