साइबर क्राइम का कुटीर उद्योग
साइबर क्रांति को देश में सरकार और समाज ने आम जनता को फायदा पहुंचाने की नजर से देखा है.
![]() साइबर क्राइम का कुटीर उद्योग. |
डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सरकार देश के हर व्यक्ति के विकास की उम्मीद लगाए हुए है. पर इस बीच यह डिजिटल क्रांति जिस तरह से हर दूसरे व्यक्ति को चूना लगाने की तरफ मुड़ गई है-उसे देखकर हर कोई हैरान है. यूपी के सैकड़ों पेट्रोल पंपों पर एक मामूली चिप लगाकर लाखों उपभोक्ताओं को कम पेट्रोल दिए जाने के गोरखधंधे का भंडाफोड़ हो चुका है. इसी तरह, देश के सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल झारखंड के बारे में दावा है कि इस प्रदेश के गिरिडीह, देवघर और जामताड़ा जैसे इलाके साइबर क्राइम की धुरी हैं.
गिरिडीह के एक गांव बिंसमी के बारे में तो दावा है कि यहां कुल 1000 घर हैं, जबकि 900 साइबर अपराधी. यूपी के नोएडा में वेबसाइट पर क्लिक करने के नाम पर हुए फर्जीवाड़े ने कथित विकास की अलग ही तस्वीर पेश की है. इस बीच हर दूसरे दिन देश के किसी न किसी कोने से एटीएम फ्रॉड, बीपीओ के जरिये देश-विदेश में ठगी, क्लोनिंग के जरिये क्रेडिट कार्ड से बिना जानकारी धन-निकासी और बड़ी कंपनियों के अकाउंट व वेबसाइट की हैकिंग और फिरौती वसूली की घटनाएं हो रही हैं. ये घटनाएं हमें यह सोचने को मजबूर कर रही हैं कि आखिर हमारे डिजिटल जानकार आखिर कर क्या रहे हैं?
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल तक झारखंड साइबर क्राइम के मामले में पहले नंबर पर था. पिछले दो वर्षो में इस राज्य में साइबर धोखाधड़ी के 740 मामले दर्ज किए गए. साइबर क्राइम का गढ़ माने जाने वाले राज्य के जामताड़ा जिले से कई साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी हुई. हाल में गुजरात पुलिस के सर्च ऑपरेशन में खुलासा हुआ कि मोहम्मद जिलानी अंसारी नामक एक आरोपित हर रोज करीब 200 लोगों को फोन के जरिये मूर्ख बनाने की कोशिश करता रहा है, जिसमें से 20 से 30 फीसद लोगों को वह अपने जाल में फंसाकर उनसके एटीएम कार्ड नंबर से जुड़ी सारी जानकारियां ले लेता और फिर उनके खातों से रकम उड़ा लेता है.
पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में अंसारी ने झारखंड के ही टीकू मंडल का नाम लिया जो 14 लोगों के गैंग का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है. ये घटनाएं बता रही हैं कि अब देश का कोई कोना साइबर अपराधियों से सुरक्षित नहीं है. पैसे के लेन-देन और खरीदारी के जितने भी डिजिटल तौर-तरीके हैं, उनमें सेंध लगाने का हर इंतजाम साइबर अपराधियों ने कर रखा है. ऐसे ज्यादातर डिजिटल घोटालों के पीछे ऐसे पढ़े-लिखे युवाओं की भूमिका देखी जा रही है, जिन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स और इंटरनेट जैसी तकनीकों की अच्छी जानकारी है और उन्होंने इस जानकारी के बल पर रातोंरात अरबों रु पये कमाने का जुगाड़ ढूंढ़ निकाला है.
साइबर धोखाधड़ी के तौर-तरीकों को देखकर आज कोई इसे लेकर आस्त नहीं हो सकता है कि जहां कहीं भी पैसे और सामान के लेन-देन का कोई डिजिटल उपाय काम में लाया जा रहा है, वह पूर्णतया सुरक्षित है और उसमें धांधली की कोई गुंजाइश नहीं है. साइबर क्राइम के कुछ और उदाहरण हमारे सामने इधर आए हैं. फर्जी बीपीओ खड़े करके देश और विदेश में कुछ युवाओं ने अपनी कथित प्रतिभा का इस्तेमाल लोगों को ठगने में किया है. महाराष्ट्र के सागर उर्फ सैगी नामक युवा ने जिस प्रकार रातोंरात बीपीओ फर्जीवाड़े के तहत विदेशियों को करोड़ों का चूना लगाया, उससे साबित हो गया है कि अगर कोई तकनीक की जानकारी का बेजा इस्तेमाल करना चाहे, तो शुरु आत में ही उसे रोकने और उसकी धरपकड़ के ज्यादा इंतजाम अपने देश में नहीं हैं.
बैंक खातों से रकम की हेरफेर, एटीएम से अपने आप पैसे निकलना और बिना उपभोक्ता की जानकारी के उसके बैंक खाते की रकम का उड़ जाना-ये घटनाएं काफी तेजी से बढ़ी हैं. असल में, बैंकिंग का सारा कामकाज घर बैठे कराने से लेकर कई तरह के वित्तीय लेन-देन का जो इंतजाम उपभोक्ताओं को इंटरनेट से जोड़कर किया गया है, उसने सुविधा के साथ-साथ कई मुसीबतें भी पैदा कर दी हैं. इंटरनेट, मोबाइल और एटीएम के मार्फत बैंकिंग के इंतजाम करते हुए एक तरफ बैंकों ने अपने दफ्तरों का आकार और कर्मचारी संख्या में कटौती की है, तो दूसरी तरह ग्राहकों को इसके लिए हतोत्साहित किया है कि हर वाणिज्यिक काम के बैंकों की शाखा में न जाएं. इसके लिए बैंकों ने भारी-भरकम फीस भी हर ट्रांजेक्शन के साथ जोड़ दी है.
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