क्रिकेट : नीलामी में लॉजिक नहीं चलता

Last Updated 22 Feb 2017 06:45:53 AM IST

आईपीएल की नीलामी में पहली बार अहसास हुआ कि देश में अब नोटबंदी का असर खत्म हो गया है.


क्रिकेट : नीलामी में लॉजिक नहीं चलता

यही वजह है कि इंग्लैंड के ऑलराउंडर बेन स्टोक्स और तेज गेंदबाज टाइमल मिल्स क्रमश: 14.5 और 12 करोड़ रुपये की भारी-भरकम रकम पाने में सफल हो गए. आईपीएल की हर नीलामी में कुछ ऐसा होता है, जब सभी अचरज जाहिर करते हैं कि ऐसा क्यों हो गया है. युवराज को 2014 में 16 करोड़ और पवन नेगी को पिछले साल 8.5 करोड़ रुपये मिलने के समय भी लोगों ने ऐसा ही महसूस किया था.

सच यह है कि फ्रेंचाइजियों का अब रुख पेशेवर हो गया है. उनके काम के ढंग से लगता है कि फायदा देखकर ही कदम उठाती हैं. टीमें पूरा होमवर्क करके आती हैं.  नीलामी से पहले उन्हें पता होता है कि किस खिलाड़ी को लेना है, और किसे नहीं. कई बार एक खिलाड़ी का कई टीमों की योजना का हिस्सा होने पर उसकी बेन स्टोक्स जैसी लॉटरी निकल जाती है. सभी फ्रेंचाइजी अपनी टीम की जरूरतों के हिसाब से खिलाड़ी लेती हैं. पर किसी खिलाड़ी को लेने और नहीं लेने के बारे में कोई लॉजिक नहीं चलता. भारत के बेहतरीन पेसर ईशांत शर्मा को किसी के नहीं खरीदने पर कहा गया कि वह एक तो टी-20 खेलते नहीं हैं, 

और फिर उन्होंने अपना बेस प्राइज दो करोड़ रुपये रख दिया. पर यदि ऐसा था तो चोट की समस्या से लौटे वरुण आरोन को किंग्स इलेवन पंजाब ने 2.8 करोड़ रुपए क्यों दे दिए गए. मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं कि टीम सोचकर आती है कि उसे क्या चाहिए? इसलिए जो खिलाड़ी उसकी योजना का हिस्सा नहीं होते तो उनकी कोई वैल्यू नहीं रह जाती है. इसका शिकार दक्षिण अफ्रीका का स्पिनर इमरान ताहिर बने हैं. वह आईसीसी की टी-20 गेंदबाजी में पहले नंबर पर हैं, और उनका बेस प्राइज भी 50 लाख ही था. लेकिन दो राउंड में उनके ऊपर किसी ने भी बोली लगाना उचित नहीं समझा. वजह शायद यह हो सकती है कि वह दक्षिण अफ्रीका टीम के साथ पिछले दौरे पर आए थे और बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं कर सके थे.

सभी यह अच्छे से जानते हैं कि भारतीय विकेट पर विदेशी स्पिनरों के मुकाबले देश के स्पिनरों के चलने की ज्यादा संभावना रहती है, इस कारण ही कर्ण शर्मा को 3.20 करोड़ रुपये मिल जाते हैं. इस नीलामी में एक बात और नजर आई कि फ्रेंचाइजियों ने स्पिनरों को चुनते समय भारतीयों और पेस गेंदबाजी के बारे में विदेशी गेंदबाजों पर भरोसा किया. इस कारण ही टाइमल को 12, ट्रेंट बोल्ट को 5 और क्रिस वोक्स को 4.20 और नाथन कूल्टर नाइल को 3.50 और कगिसो रबाडा को 5 करोड़ रुपये में खरीदा गया. आईपीएल के पिछले सत्र में सनराइजर्स हैदराबाद अपनी गेंदबाजी के बूते पर जीती थी, इसलिए सभी टीमों ने इस नीलामी में अपनी जरूरत के मुताबिक गेंदबाजों को खरीदकर टीमों को संतुलित बनाने का प्रयास किया है.

इंग्लैंड के ऑलराउंडर बेन स्टोक्स ने हाल में ही में भारतीय दौरे पर शानदार प्रदर्शन करके सभी को अपना मुरीद बना लिया था और वह अपनी जबर्दस्त क्षमता से मैच का पांसा पलटने की क्षमता रखते हैं, इसलिए वह आईपीएल की इस नीलामी में सबसे महंगे खिलाड़ी बने. मजेदार बात यह है कि इस नीलामी के सबसे महंगे खिलाड़ी को लेने वाली टीम को यह मालूम है कि बेन पूरे टूर्नामेंट के लिए उपलब्ध नहीं हैं. उन्हें 15 मई से पहले लौटना होगा और यह वह समय होगा जब टीम को प्लेऑफ दौर में भाग लेने की तैयारी करनी होगी. पर बेन को लेने वाली टीम की  सोच है कि प्लेऑफ तक ले जाने के लिए किसी खिलाड़ी की ज्यादा जरूरत है. एक बार ऐसा हो जाए तो आगे की भी रणनीति बन जानी है.

आईपीएल एक काम जरूर बहुत अच्छा कर रहा है कि वह कुछ बहुत ही गरीब क्रिकेटरों को मालामाल बना देता है. इस बार इस श्रेणी में बाएं हाथ के तेज गेंदबाज थंगारासू नटाराजन और पेस गेंदबाज मोहम्मद सिराज के नाम को रखा जा सकता है. यह दोनों ही मुफलिसी में जीवन जीकर इस मुकाम तक पहुंचे हैं. नटराजन को किंग्स इलेवन पंजाब ने तीन करोड़ रुपए में और सिराज को सनराइजर्स हैदराबाद ने 2.6 करोड़ रुपए में खरीदा है. इस बार इस सत्र में दो अफगानी खिलाड़ी मोहम्मद नबी और राशिद खान भी खेलते नजर आएंगे. आईपीएल में चमत्कार को नमस्कार है. इस कारण पवन नेगी को 8.5 करोड़ देने के बाद एक करोड़ दिया जाता है.

मनोज चतुर्वेदी
लेखक


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