तिरंगा : आन-बान-शान, पर..
मौजूदा समय में अधिकांश लोगों की तिरंगे के प्रति न तो कोई प्रतिबद्धता है, और न ही सम्मान.
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स्वतंत्रता या गणतंत्र दिवस महज उनके लिए अवकाश और मस्ती का दिवस बन गया है. ऐसे में राष्ट्र ध्वज के मान-सम्मान की चिंता कौन करता है. इस संदर्भ में एक दूसरा पहलू राष्ट्र ध्वज एवं इससे जुड़े विविध पहलुओं से अपरिचित होना भी है. वर्तमान में राष्ट्र ध्वज का अपमान करने में किसी वर्ग को अपवाद नहीं माना जा सकता है. गरीब व अमीर सभी इस कृत्य को अंजाम देते हैं. लोग-बाग बिना सोचे-समझे अपनी गाड़ियों में राष्ट्र ध्वज लगाए रहते हैं, जबकि राष्ट्र ध्वज लगाने या फहराने के कायदे-कानून हैं, जिनका अनुपालन आवश्यक है.
देश आजाद हो गया है, किन्तु हम आजादी की महत्ता को नहीं समझ पाए हैं. राष्ट्र ध्वज का अपमान करना आजकल फैशन बन गया है. राष्ट्रगान के सम्मान में दो मिनट मौन खड़े होने में भी लोगों को शर्म महसूस होती है. स्पष्ट है कि देश के स्वाभिमान से हमारा कोई सरोकार नहीं है, जबकि राष्ट्रध्वज देश की मान-मर्यादा का प्रतीक होता है. राष्ट्रध्वज को फहराने का अधिकार नागरिकों के मूलभूत अधिकार और अभिव्यक्ति के अधिकार का ही एक हिस्सा है. यह अधिकार संसद द्वारा वैसी परिस्थितियों में ही बाधित किया जा सकता है, जिनका उल्लेख संविधान की कण्डिका 2 अनुच्छेद 19 में किया गया है. खंडपीठ में साफ तौर पर कहा गया है कि नागरिकों द्वारा राष्ट्र ध्वज का सम्मान किया जाना चाहिए. इसके उचित उपयोग पर कोई बंदिश नहीं है.
साथ ही उक्त खंडपीठ में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि भारतीय नागरिकों को ध्वज संहिता द्वारा भविष्य में शिक्षित किया जाए. सर्वोच्च न्यायलय के 22 सितम्बर, 1995 के निर्णय के अनुसार भी भारत का हर नागरिक राष्ट्र ध्वज के घ्वजारोहण के लिए स्वतंत्र है.
परन्तु यह देश की विडम्बना ही है कि हमारे देश के नागरिक अपने अधिकारों से तो अवगत हैं, लेकिन कर्तव्यों से विमुख. आजादी के इतने सालों के बाद भी अधिकांश लोगों को न तो राष्ट्र ध्वज के बारे में किसी तरह की जानकारी है, और न ही उनके मन में राष्ट्र ध्वज के प्रति किसी तरह का सम्मान है. आम व खास लोगों के सतही व अधकचरे ज्ञान की वजह से अक्सर राष्ट्र ध्वज का अपमान होता है. आज जरूरत इस बात की है कि सभी राष्ट्र ध्वज के ध्वजारोहण से पूर्व इससे जुड़े तमाम तथ्यों, जैसे राष्ट्र ध्वज के आकार का ज्ञान नागरिकों को होना चाहिए.
सामान्य तौर पर ध्वज की लंबाई, चौड़ाई से डेढ़ गुना होती है, राष्ट्र ध्वज साफ-सुथरा तथा कटा-फटा नहीं होना चाहिए, राष्ट्र ध्वज का ऊपरी रंग केसरिया और नीचे का रंग हरा होना चाहिए. मध्य में स्थित अशोक चक्र में 24 श्लाकाएं हैं या नहीं हैं, इसका भी पूरा ध्यान सभी को रखना चाहिए.
राष्ट्र ध्वज को सदैव सम्मानजनक स्थान पर फहराना चाहिए. ऊंचाई इतनी हो कि वह दूर से ही दिखाई दे.
ध्वजारोहण के समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वह जमीन, दीवार, वृक्ष या मुंडेर इत्यादि से न सटे, राष्ट्र ध्वज और स्तंभ को माला इत्यादि से विभूषित नहीं करना चाहिए, निजी वाहनों पर कदापि राष्ट्र ध्वज न फहराएं, एक स्तंभ पर राष्ट्र ध्वज के साथ कभी भी दूसरा ध्वज नहीं फहराएं, राष्ट्र ध्वज का इस्तेमाल कभी भी सजावट की वस्तु की तरह नहीं करें, सूर्योदय पश्चात राष्ट्र ध्वज फहराएं तथा सूर्यास्त होने पर सम्मानपूर्वक उतार लें, राष्ट्र ध्वज का मौखिक या लिखित शब्दों या किसी भी प्रकार की गतिविधि द्वारा अपमान करना राष्ट्रीय प्रतिष्ठा के अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के अधीन दंडनीय अपराध है, बिना केंद्र सरकार की अनुमति के राष्ट्र ध्वज का प्रयोग करना ‘प्रिवेंशन ऑफ इम्प्रापर यूज’ एक्ट, 1950 के तहत अपराध है आदि से अवगत हो जाएं ताकि मामले में किसी भी प्रकार की गलती की गुंजाइश नहीं रहे.
निश्चित रूप से हमारे राष्ट्र ध्वज का स्वर्णिम इतिहास है. हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान देकर इसके मान-सम्मान की रक्षा की है. राष्ट्र ध्वज को सिर्फ एक ध्वज की संज्ञा नहीं दी जा सकती है. वस्तुत: यह देश की स्वतंत्रता, स्वाभिमान, आकांक्षा तथा आदर्श का प्रतीक है. अगर हम स्वयं इसका सम्मान नहीं करेंगे तो दूसरे देश से इस मामले में किसी भी प्रकार की अपेक्षा करना बेमानी होगा. ऐसा हो ही नहीं सकता.
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