लोन वुल्फ : आतंक का नया चेहरा
इस्तांबुल के एक नाइट क्लब में नया साल मौत का पैगाम लेकर आया. सांता क्लाज बना आदमी आतंकी निकला.
![]() लोन वुल्फ : आतंक का नया चेहरा |
उसने अपनी बंदूक से 40 लोगों को हत्या कर दी. कहावत है अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता. लेकिन इन दिनों कई देशों में अकेले आतंकवादी ही आतंक की भाड़ फोड़ रहे हैं. आतंक की दुनिया का यह नया ट्रेंड है, जिसे लोन वुल्फ या अकेले भेड़िये का हमला माना जा रहा है. लोन वुल्फ हमले का मतलब है, अपनी धार्मिंक और कट्टर विचारधारा के नाम पर अकेले हथियार लेकर आम लोगों पर हिंसक हमले करना.
आईएसआईएस की लोन वुल्फ आतंकी हमले की सोच काफी पुरानी है. सितम्बर, 2014 में आईएस ने निर्देश दिए थे कि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों पर ‘लोन वुल्फ’ के ढंग के हमले किए जाएं. पहले ये हमले छोटे स्तर पर होते थे. अब बड़ा रूप लेते जा रहे हैं. लोन वुल्फ आतंकी नए-नए ज्यादा खौफनाक तरीके खोजते जा रहे हैं, जिनके लिए किसी खास तैयारी की जरूरत न हो. कुछ समय पहले फ्रांस के नीस शहर में ऐसा ही एक आतंकी हमला हुआ. आतंकी 30 साल का नौजवान था, ट्यूनिशिया से आकर फ्रांस में बसे समुदाय का. वह फ्रांस का राष्ट्रीय दिवस मना रही भीड़ में ट्रक लेकर उन्हें कुचलता हुआ बढ़ा. हमले में 70 लोग मारे गए. अमेरिका के ओरलैंडो के गे क्लब में ऐसा ही खौफनाक वाकया हुआ था. अंधाधुंध फायरिंग करके 50 से ज्यादा लोगों की जान लेने वाले उमर मतीन के बारे में इतना ही पता चल सका है कि वह इस्लामिक स्टेट (आईएस) से प्रभावित था, लेकिन यह हत्याकांड उसने इस्लामिक स्टेट के निर्देश पर नहीं किया था. इस घटना से 2015 में कैलिफोर्निया के सैन ब्रैंडिनो में हुई शूटिंग याद आती है, जहां हमलावर ने एक क्लिनिक में गोलीबारी करके 14 लोगों की जान ले ली थी.
सोशल मीडिया में स्वीकार किया था कि वह आईएस के प्रति आस्था रखता है. इन हमलों के पीछे आईएस की बौखलाहट भी काम कर रही है. रूस, पश्चिमी सैनिक गठबंधन और अरब देशों से घिर जाने के कारण अपनी जमीन पर उसकी हालत खस्ता है. इसका बदला चुकाने के लिए कई देशों में आतंकवादी वारदात को अंजाम दे रहा है. आईएस की रणनीति है कि लगातार ऐसे समर्थक तैयार करे जो अपनी तरह से उसके लिए कुछ करते रहें. इसके लिए सिर्फ ब्रेन वॉश चाहिए. ऐसे आईएस समर्थकों के हमले कई बार छोटे स्तर के भी होते हैं. दक्षिण जर्मनी में एक शख्स ने चार लोगों को ट्रेन में कुल्हाड़ी मार कर जख्मी कर दिया. जर्मनी के म्यूनिख शहर के मॉल में गोलीबारी करने वाले अकेले बंदूकधारी ने नौ लोगों की जान लेने के बाद आत्महत्या कर ली. लोन वुल्फ की ये आतंकी घटनाएं बताती हैं कि आईएस की विचारधारा साधारण लोगों को हिंसक तरीके अपनाने के लिए उकसाती है. पहले आतंकवादी घटनाओं के पीछे बड़ी संगठित ताकत सक्रिय रहती थी. मगर अब आतंकवाद के नए रूप में किसी संगठन को लंबे अरसे तक योजना बनाकर करोड़ों रुपये खर्च कर हमले करवाने की जरूरत नहीं है बल्कि कोई भी अकेला इंसान इन्हें अंजाम देकर दहशत फैला सकता है. ऐसे इंसान के लिए कोई धार्मिंक आतंकवादी या अलगाववादी संगठन प्रेरणा का स्रोत बनता है.
बहरहाल, अकेला भेड़िया जिस तरह पनप रहे हैं उनसे निबटने के लिए सैन्य या पुलिस ताकत से काम नहीं चलेगा क्योंकि कोई भी सामान्य-सा दिखने वाला व्यक्ति आतंकी बन जाता है. ऐसे आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं यूरोप के मुसलमान जिन्हें अब संभावित आतंकवादी माना जाता है. फ्रांस के एक शिक्षाविद् के मुताबिक अकेला भेड़िया वे लोग हैं, जो किसी भी समाज में एडजस्ट नहीं हो सकते. काल्पनिक दुनिया में रहते हैं. इस्लाम के कट्टरपंथ से नहीं, अपने ही मन के कट्टरपंथ से प्रभावित हैं. इंटरनेट ने आतंकवाद के खेल को बदल दिया है. उसने इन आतंकवादियों को अवसर दिया है कि आतंकवादी संगठन के वेब पेजेज, ट्वीट्स और ब्लॉग पढ़कर स्वयंमेव उग्रवादी बन सकते हैं. इसलिए हाल ही में लोन वोल्फ की संख्या भी बढ़ती जा रही है, और उनके द्वारा की जाने वाली तबाही भी. हमें जानना चाहिए कि आईएस इराक और सीरिया में घिर चुका है. निकट भविष्य में वह हार जाए मगर वह विकेंद्रित वैश्विक ताकत के रूप में बना रहेगा. इंटरनेट और सोशल मीडिया के जरिये लोगों के आत्मघाती हमले करने को उकसाता करता रहेगा. उसे आतंकवादी मिलते रहेंगे क्योंकि इस्लाम में मान्यता है कि जिहाद करने वाला सीधे जन्नत जाता है.
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