ऋणदाता फंसे हुए कर्ज में छूट दें : जेटली

Last Updated 29 Dec 2017 07:34:24 PM IST

बैंक और ऋणदाताओं को चाहिए कि वे अपने फंसे हुए कर्जो की समस्या सुलझाने के लिए कर्जदारों को कर्ज में छूट दें, ताकि कर्जदार प्रमोटर्स अपना कारोबार दोबारा शुरू कर सकें और बकाए कर्ज का ब्याज चुका सकें.


वित्तमंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो)

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में शुक्रवार को दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) संशोधन विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए यह बात कही. यह संशोधन इसलिए लाया जा रहा है, ताकि इस विधेयक की कमियों को दूर किया जा सके और जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवाले बकाएदार खुद की परिसंपत्तियों की बोली नहीं लगा सकें.

जेटली ने कहा, "कामकारों, ऋणदाताओं, बैंकों, असुरक्षित ऋणदाताओं.. सभी को चाहिए कि वे कर्ज में छूट दें, ताकि समाधान प्रक्रिया न्यायसंगत हो." उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों का फंसा हुआ कर्ज 8.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है.

जेटली के पास कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय भी है. उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि यदि फंसे हुए कर्ज के बकाया ब्याज का भुगतान कंपनियां कर देती हैं, तो उन्हें अपने कारोबार के परिचालन से रोका नहीं जाएगा.

वहीं, लोकसभा में शुक्रवार को दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) में संशोधन का विधेयक पारित कर दिया गया, ताकि इस विधेयक की कमियों को दूर किया जा सके और जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवाले बकाएदार खुद की परिसंपत्तियों की बोली नहीं लगा सकें.

दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक, 2017 वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पेश किया. यह पहले पारित अध्यादेश की जगह लेगा.



आईबीसी का क्रियान्वयन कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है, जिसे 2016 के दिसंबर से लागू किया गया है, जो समयबद्ध दिवालिया समाधान प्रक्रिया प्रदान करता है.

प्रस्तावित परिवर्तनों से तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए खरीदारों का चयन करने की प्रक्रिया को सरल बनाने में मदद मिलेगी.

उदाहरण के लिए, वर्तमान संहिता में यह निर्धारित नहीं किया गया है कि दिवालियापन प्रक्रिया के तहत तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए कौन बोली लगा सकता है.

आईएएनएस


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