पाकिस्तान को सख्त हिदायत
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पहलगाम आतंकी हमले को आर्थिक युद्ध का नया कृत्य बताया। अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ‘न्यूजवीक’ के साथ मैनहट्टन में हुई बातचीत में उन्होंने परमाणु ब्लैकमेल की पाकिस्तान की नीति का जवाब देने की बात भी कही।
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जयशंकर ने पाकिस्तान के साथ हुए संघर्ष पर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि हम अब यह स्वीकार नहीं करेंगे कि आतंकवादी छद्म हैं। इस मामले में पाकिस्तान पूरी तरह दोषी है। पहलगाम में छब्बीस पर्यटकों की निर्मम हत्या के लगभग दो महीनों बाद उन्होंने विस्तार में यह बात की। भारत ने इस आतंकवादी घटना के बाद सीमापार स्थित आतंकी ठिकानों पर हमला कर दिया था। विदेश मंत्री ने साफ कहा, हम सुरक्षा करेंगे। अपने लोगों की रक्षा करने के अधिकार का हम प्रयोग करेंगे।
साथ ही कहा कि हम आतंकवाद पर बातचीत करने को इच्छुक हैं। लेकिन यदि वे आतंकवाद जारी रखते हैं तो मुझे लगता है यह यथार्थवादी नहीं है। यह भी कहा कि आप एक साथ अच्छे पड़ोसी और आतंकवादी नहीं हो सकते। हालांकि पाक सरकार विभाजित कश्मीर में हत्याओं या हमलों में किसी भी तरह का हाथ होने से इंकार करती रही है। उनकी तरफ से भारत पर जवाबी हमले भी किए गए थे और चेतावनी दी गई थी कि यदि पाकिस्तान को अपने अस्तित्व पर खतरा महसूस हुआ तो वह परमाणु हथियारों का सहारा भी ले सकता है।
यह शायद पहली मर्तबा था, जब भारत ने दुश्मन मुल्क के भीतर घुसकर आतंकी ठिकानों का जबरदस्त तौर पर सफाया किया जिसका समूची दुनिया में स्पष्ट संदेश गया कि भारत अब आतंकवादियों के प्रति कोई मुर्वत नहीं करने वाला। पाक में जारी राजनीतिक अस्थिरता और उथल-पुथल के दौरान आतंकवादियों के हौंसले बुलंद होते जा रहे थे। हालांकि सीमापार आतंकवाद की यह मामला बेहद जटिल है, इसलिए इसका समाधान आसानी से नहीं किया जा सकता। परंतु भारत द्वारा अपने पड़ोसी मुल्कों से संबंध सुधारने के प्रयासों पर गंभीर बात करने के संकेत दिए जा रहे हैं।
पहले भी पाकिस्तान सरकार द्वारा वांछित आतंकवादियों को प्रश्रय देने के कारण उनकी नीयत पर संदेह किया जाता रहा है। प्रशिक्षित आतंकवादियों के सीमापार से चोरी-छिपे घुसपैठ से देश की न सिर्फ शांति भंग होती है, बल्कि जान-माल का भी भारी नुकसान होता है। सरकार द्वारा उठाए गए सख्त कदमों से अब समूची दुनिया को सहमत होना ही होगा। मानना होगा कि यह किसी मुल्क विशेष की बजाय आतंकवाद के खिलाफ जारी मुहिम है।
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