पुराने वाहनों पर चला डंडा
मंगलवार को दिल्ली में कड़ी सुरक्षा के बीच पुरानी गाड़ियों को पेट्रोल-डीजल देने पर प्रतिबंध की शुरुआत हो गई। इस अभियान के तहत।5 साले से ज्यादा पुराने पेट्रोल-चालित वाहनों और 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल-चालित वाहनों को पेट्रोल पंपों से ईधन नहीं लेने दिया जाएगा।
![]() पुराने वाहनों पर डंडा |
अभियान में जुटी यातायात एवं परिवहन विभाग, यातायात पुलिस और दिल्ली नगर निगम की संयुक्त टीमों ने पहले दिन की कार्रवाई में 25 ईओएल (समय-सीमा पूरी कर चुके वाहन) जब्त किए। पेट्रोल पंपों को ऐसे वाहनों को ईधन न देने को निर्देशित किया गया है, और दिल्ली में 350 से ज्यादा पेट्रोल पंपों पर स्वचालित नंबर प्लेट रीडर कैमरे (एएनपीआर) लगाए गए हैं। वायु गुणवत्ता आयोग ने भी पेट्रोल पंप कर्मचारियों को सतर्क कर दिया था।
दरअसल, काफी पहले नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (एनजीटी) नियत अवधि से ज्यादा पुराने हो चुके वाहनों को दिल्ली में चलने से रोकने के आदेश पारित कर चुका है। आदेश की अनुपालना में समय-समय पर सख्ती भी की गई लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं निकल पा रहे थे।
डंप किए गए पुराने वाहनों, जिन्हें सार्वजनिक जगहों पर पार्क किया गया था, को जब्त भी किया गया लेकिन ऐसे वाहनों के मालिकों में किसी तरह का कोई डर या कानून की अनुपालना की ललक नहीं दिखलाई दी।
लेकिन वाहनों से होने वाले प्रदूषण के नुकसान को देखते हुए जरूरी बन पड़ा था कि सख्ती से पुराने वाहनों को सड़क से हटवाया जाए। इस काम में अब तकनीक बड़ी मददगार साबित हो रही है। पुराने वाहनों की पहचान के लिए जो कैमरे पेट्रोल पंपों पर लगाए गए हैं, वे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से संचालित हैं।
उनमें स्वचालित हूटर सिस्टम भी लगाया गया है। प्रतिबंधित वाहन के पेट्रोल पंप पर पहुंचते ही कैमरे तुरंत उसका पता लगा लेते हैं, और अभियान में जुटे कर्मियों को सचेत करने के लिए हूटर बजा देते हैं। कार्रवाई के बाद कई वाहन चालक अपने वाहन के बिना ही घर जाने को मजबूर हो गए।
बेशक, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के साथ ही उद्योग आदि पर सख्ती की दरकार है। लेकिन यह भी जरूरी है कि नये वाहन खरीदने के लिए आवधिक ऋण जैसी सहूलियतों की शत्रे आसान की जाएं ताकि यह अभियान नागरिक-विरोधी करार न दिया जा सके।
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