जलवायु परिवर्तन, खतरे का संकेत

Last Updated 25 Jun 2025 01:52:49 PM IST

जलवायु परिवर्तन पर एक हालिया रिपोर्ट ने मानव जाति के लिए अत्यंत चिंतित कर देने वाले संकेत दिए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया महाद्वीप का भूभाग वैश्विक औसत तापमान के मुकाबले दोगुनी गति से गर्म हो रहा है।


खतरे का संकेत

एशिया दुनिया का सबसे बड़ा महाद्वीप है और विश्व की 60 प्रतिशत आबादी यहां बसती है। इस क्षेत्र में वातावरण ही नहीं समुद्र की सतह भी बाकी दुनिया की तुलना में दोगुनी गति से गर्म हो रही है। यह रिपोर्ट विश्व मौसमविज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने जारी की है।

रिपोर्ट के मुताबिक, 1961-1990 और 1991-2024 की अवधि में आर्कटिक तक फैला एशिया भूभाग चिंतित कर देने वाली तेजी से गर्म हुआ है।

2024 में तो एशिया में औसत तापमान 1991-2020 के औसत तापमान से लगभग 1.04 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। क्षेत्र में गर्मी  हर साल नये नये रिकार्ड बना देती है। हर नया साल पिछले साल से ज्यादा गर्म दर्ज हो रहा है। इस वर्ष भी एशिया के कई हिस्सों में भीषण गर्मी दर्ज की गई।

पूर्वी एशिया में इस साल काफी महीने तक गर्म हवाएं चलती रहीं हैं। जापान, दक्षिण कोरिया और चीन में बार-बार मासिक औसत तापमान के रिकॉर्ड टूटे हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा। भीषण गर्मी के कारण लू लगने के हजारों मामलों में 159 लोगों की मौत हुई है।

डब्ल्यूएमओ के मुताबिक बढ़ती गर्मी के कारण एशिया के प्रशांत और हिंद महासागर, दोनों ओर समुद्र का स्तर वैश्विक औसत की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रहा है, जिससे निचले तटीय क्षेत्रों के लिए अस्तित्व का खतरा पैदा हो गया है।

सर्दियों में बर्फबारी में कमी आने और गर्मियों में उच्च तापमान के कारण हिमनद बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और तेजी से सिमटते जा रहे हैं।

मध्य हिमालय और चीन के तियान शान में 24 में से 23 हिमनदों में बर्फ बढ़ने की बजाए बुरी तरह से घट रही है। हिमनदों की कगार टूटने, बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाओं में तेजी से वृद्धि हो रही है। कुल मिलाकर देखें तो जल सुरक्षा के लिए ही खतरा पैदा हो गया है।

मौसम चक्र बुरी तरह बिगड़ गया है। कई देशों में अत्यधिक वर्षा के कारण भारी क्षति हुई है और चक्रवातों के कारण तबाही बढ़ी है।

बाढ़, भूस्खलन और सूखा क्षेत्र की नियति बनते जा रहे हैं। क्षेत्र में समाज, अर्थव्यवस्थाएं और पारिस्थितिकी तंत्रों पर असर पड़ रहा है। यही तो जीवन की जरूरी आवश्यकताएं हैं। कुल मिलाकर मानवजाति पर ही खतरा मंडराने लगा है। 



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