Israel-Iran War: कबीलाई होती जंग
Israel-Iran War: ईरान-इजरायल के एक-दूसरे पर हमले जारी हैं। इजरायली मीडिया के अनुसार तेल अवीव के अस्पताल को ईरानी मिसाइल से हमला हुआ। जिसमें कम से कम चालीस लोग घायल हैं।
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हजार बिस्तरों वाला यह अस्पताल दक्षिणी इजरायल के तकरीबन दस लाख लोगों को सेवा प्रदान करता है। जिसके कई हिस्से क्षतिग्रस्त बताये जा रहे हैं। हफ्ते भर पहले इजरायल ने ईरान के सैन्य स्थलों, परमाणु वैज्ञानिकों व अन्य महात्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बना कर हमला चालू किया था। उसने अराक भारी जल रिएक्टर पर भी हमला किया। इजरायल का आरोप है कि वह ईरान को अपने खतरे के रूप में देखता है और पिछले कुछ महीनों से परमाणु हथियार बनाने की योजना को गति दी है। इसलिए उसके पास हमले के अतिरिक्त कोई हल नहीं है। उसका तर्क है, वह परमाणु हथियार का प्रयोग उसे नेस्तनाबूद करने के लिए कर सकता है।
आरोप हैं कि उसने चार सौ किलोग्राम यूरेनियम एकत्र कर लिया है। इजरायल के पास नब्बे परमाणु हथियार होने की आशंका व्यक्त की जाती है। हालांकि उसने कभी इसकी पुष्टि नहीं की है। मगर वह परमाणु अप्रसार संधि का हिस्सा नहीं है। बचाव में या कहें कि बदले के तौर पर ईरान ने लगातार हमले किए। मगर अस्पताल, स्कूल या रिहाइशी इलाकों में इस तरह के खतरनाक हमलों को मानवीय नहीं ठहराया जा सकता।
कुल मिलाकर यह संघर्ष न सिर्फ दो मुल्कों तक सीमित रहने वाला है बल्कि विश्व को दो धड़ों में बांट सकता है। ईरानी सर्वोच्च नेता अली खामेनेई धार्मिक कट्टर विचारधारा के लिए जाने जाते हैं, जिनके पास असीम शक्तियां हैं। मगर वहां की जनता का बड़ा भाग उनके विरोध में भी है, जबकि अमेरिका इजरायल का बड़ा दोस्त माना जाता है। ईरान के पीछे रूस है। इसलिए इस सारे उकसावे के पीछे उसका भी हाथ माना जा रहा है।
अब तक भले ही रूस संतुलित व सतर्क नजर आ रहा था मगर इजरायल की तरफ से बढ़ते हमले के जवाब में दिया गया हो। सवाल है, इजरायल केवल ईरान को धमकाने और परमाणु कार्यक्रमों को निशाना बनाने के लिए तो इतना बड़ा कदम नहीं उठा रहा है। इसके पीछे तेल की कीमतों का भी व्यापक असर देखा जा रहा है। रूस करे या अमरीका, दोनों को युद्ध रोकने के प्रति कूटनीतिक रूप से कदम आगे बढाना होगा। कहीं ऐसा न हो, बंदरों के झगड़े का लाभ बिल्ली उठा ले। बगैर वैश्विक शांति व ईरानी-इजरायली बाशिंदों की जान की परवाह के।
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