घर से हो सख्ती

Last Updated 06 Apr 2024 12:13:25 PM IST

कलकत्ता उच्च न्यायालय का यह कथन बिल्कुल उचित है कि, संदेशखालि में यदि यौन उत्पीड़न की एक प्रतिशत आरोप सही पाए गए तो यह बेहद शर्मनाक स्थिति होगी।


कलकत्ता उच्च न्यायालय

यौन उत्पीड़न के कथित पीड़ितों के लगभग सौ हलफनामे इसमें शामिल हैं। इसमें जमीन कब्जा के मामले व हिंसा की घटनाएं भी हैं। मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवज्ञानम ने कहा पूरा जिला प्रशासन और सत्तारूढ़ शासन को जिम्मेदारी निभानी होगी। सौ प्रतिशत जिम्मेदारी निभानी होगी।

संदेशखालि में निलंबित तृणमूल नेता शाहजहां शेख व उसके सहयोगियों पर स्थानीय लोगों की जमीनें हड़पने व महिलाओं के यौन शोषण के आरोप हैं। इस पर एक याचिकाकर्ता वकील ने इस घटना की जांच किसी स्वतंत्र एजंसी से कराने की मांग अदालत से की। जिस पर पश्चिम बंगाल के महाधिवक्ता ने विरोध करते हुए दावा किया कि केंद्रीय एजंसियों ने भरोसा खो दिया है।

पशिचम बंगाल के कूचविहार में रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संदेशखालि की घटनाओं का जिक्र करते हुए आासन दिया कि दोषियों को अपना शेष जीवन जेल में बिताना होगा। इस दरम्यान ईडी ने शेख के बैंक खातों समेत उसके स्वामित्व वाले व्यवसायों से जुड़े खातों को फ्रीज करना चालू कर दिया है।

पीड़िताओं ने दिल दहलाने वाली आपबीती सुनाई। उन्हें मजदूरी की आड़ में बुलाया जाता था, परंतु युवा व आकषर्क महिलाओं को मनोरंजन के नाम पर जबरन रोक लिया जाता था। उनके साथ मारपीट होती व अन्य तरीकों से उन्हें प्रताड़ित किया जाता।

हालांकि स्थानीय नेता व ममता बनर्जी के करीबी इसे शुरुआत से ही बंगाल विरोधी प्रचार बता रहे हैं, परंतु यह सिर्फ भाजपा या सीपीएम के दुष्प्रचार का नतीजा नहीं कहा जा सकता। घटना को लेकर राज्य सरकार के भीतर शंका न होती तो वह आनन-फानन शेख को निलंबित करने से हिचकती। ऐसा नहीं कहा जा सकता कि नेतागीरी की आड़ में यह दबंगई केवल बंगाल में ही हो रही है।

वास्तव में इस तरह का अत्याचार राजनीति की छतछ्राया में देश भर में होता रहता है। जिस में जमीनों के कब्जे व बेवजह आम जनता का उत्पीड़न शामिल है। यह गंभीर समस्या है, इस पर दलों के मुखियाओं को सख्ती बरतनी चाहिए और ऐसी हरकतें करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर उदाहरण पेश करना चाहिए।



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