मणिपुर हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट गंभीर
सप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मणिपुर हिंसा मामले (Manipur Violence) में पुलिस कार्रवाई और सुस्त जांच पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि वहां तंत्र पूरी तरह फेल हो गया है।
![]() मणिपुर पर अदालत गंभीर |
कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। कोर्ट ने महिलाओं को भीड़ के हवाले करने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई को लेकर भी सवाल पूछा तो हिंसा मामले में दर्ज लगभग 6500 एफआईआर में मात्र सात गिरफ्तारियां होने पर भी सवाल उठाए। हालांकि सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने स्पष्ट किया कि सात गिरफ्तारियां महिलाओं की नग्न परेड के वीडियो के मामले में हुई है।
बहरहाल, पुलिस की जांच में ‘सुस्तीपन’ पर नाखुश शीर्ष अदालत ने आदेश दिया कि मणिपुर के डीजीपी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में होने वाली सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से पेश हों और कोर्ट के सवालों के जवाब दें। प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी परदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र की तीन सदस्यीय पीठ ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान इस बात पर हैरान थी कि घटना को तीन महीने हो गए हैं, और कई मामलों में रिपोर्ट तक दर्ज नहीं हुई है।
पीठ ने इन सभी 6,500 एफआईआर के मामले में कोर्ट में एक चार्ट दाखिल कर अपराध की प्रकृति और की गई कार्रवाई का पूरा ब्योरा पेश करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि वह पूरे मामले की प्रकृति को जानने-समझने के बाद ही उचित आदेश दे पाएगा। बेशक, मणिपुर के हालात चिंताजनक हैं, और इस मुद्दे पर संसद में मंगलवार को लगातार ग्यारहवें दिन भी सरकार और विपक्ष में तीखा टकराव जारी रहा।
लोक सभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान मणिपुर पर सरकार को घेरने का इंतजार कर रहे विपक्ष ने राज्य सभा में नियम-267 के तहत नोटिसों को लगातार खारिज किए जाने को तानाशाही करार दिया। मणिपुर के हालात पर राजनीति गरमाई हुई है, और अदालत भी वहां के घटनाक्रम खासकर पुलिस की ‘सुस्ती’ से खुश नहीं है। लेकिन लगता है कि अदालत तमाम विकल्पों पर गौर कर रही है।
इस क्रम में उसने मणिपुर के घटनाक्रम पर गौर करने के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की एक कमेटी गठित करने का संकेत दिया है और सीबीआई जांच को लेकर संशय जैसी स्थिति पर भी ध्यान दिया है। सर्वोच्च अदालत का कहना है कि इतने ज्यादा मामलों की जांच सीबीआई को नहीं दी जा सकती। बहरहाल, अगली सुनवाई में मणिपुर के डीजीपी को तलब करने का मकसद ही यह है कि हालात को जान-समझ कर किसी ठोस निर्णय पर पहुंचा जाए।
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