ग्राहकों की शिकायतों को लेकर बैंक कर्मचारियों में संवेदना की कमी: RBI डिप्टी गवर्नर

Last Updated 22 Jul 2025 06:44:36 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे. ने धोखाधड़ी जैसे गंभीर पहलुओं पर ग्राहकों की बढ़ती शिकायतों के बीच बैंक कर्मचारियों में ‘संवेदना की कमी’ पर निराशा जताई है।


आरबीआई प्रवर्तित एनआईबीएम (राष्ट्रीय बैंक प्रबंधन संस्थान) के 12 जुलाई के एक कार्यक्रम में स्वामीनाथन ने कहा, ‘‘स्वचालन बढ़ रहा है लेकिन स्वामित्व कम हो रहा है और ग्राहकों को ‘अंतहीन’ ईमेल और हेल्पलाइन नंबर से जूझना पड़ रहा है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर बैंक कर्मचारियों को व्यवस्था में लोगों का विश्वास बनाए रखना है, तो इन मुद्दों का समाधान जरूरी है।

रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर मंगलवार को स्वामीनाथन के संबोधन को डाला गया।

डिप्टी गवर्नर ने अपने समापन भाषण में कहा, ‘‘ग्राहकों की शिकायतों की संख्या, खासकर डिजिटल माध्यमों से हाल के वर्षों में काफी बढ़ गई है। सोशल इंजीनियरिंग धोखाधड़ी (भरोसे में लेकर गड़बड़ी करना) से लेकर खराब शिकायत निवारण प्रणाली से जुड़ा नुकसान और निराशा वास्तविक है। अक्सर, समस्या उत्पाद या सेवा नहीं होती, बल्कि असली मुद्दा सहानुभूति की कमी है।’’

उन्होंने कहा कि आजकल, केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) समय-समय पर होने वाला एक ‘रस्म’ बनकर रह गया है। उन्होंने बैंक कर्मचारियों से डिजिटल संदर्भ में भी व्यक्तिगत जागरूकता और जिम्मेदारी वापस लाने का तरीका खोजने का आह्वान किया।

स्वामीनाथन ने एटीएम पिन को लेकर वरिष्ठ नागरिकों की परेशानी, ग्रामीण क्षेत्र में कर्ज लेने वालों की ऑनलाइन ऋण चुकाने की चुनौतियों या यूपीआई भुगतान को लेकर छोटे-मोटे कारोबारियों की चिंताओं जैसे उदाहरणों का हवाला देते हुए कहा कि ये केवल सेवा अनुरोध नहीं हैं, बल्कि समय देकर और धैर्य के साथ पेशेवर रुख दिखाकर भरोसा अर्जित करने के अवसर हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी लेन-देन को संभव बनाएगी। लेकिन केवल आप ही संबंध बना सकते हैं और केवल आप ही अपने संस्थान के लिए ग्राहकों का भरोसा अर्जित कर सकते हैं। यही चीज है जो एक ‘बैंकर’ (बैंक कर्मचारी) को एक ऐप से अलग करती है।’’

डिप्टी गवर्नर ने कहा कि एक ‘बैंकर’ को तेजी से काम करना होता है, अनिश्चितताओं को सहना होता है, असफलताओं से उबरना होता है और लंबे समय तक केंद्रित रहना होता है।

उन्होंने बैंक क्षेत्र में में दो वर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू करने वाले छात्रों से कहा, ‘‘आपको तीव्र बदलाव के क्षणों का सामना करना पड़ेगा। इनमें संकट, समयसीमा, लेखा-परीक्षण, नीतिगत बदलाव शामिल हैं। लेकिन आपको धीमी, जटिल प्रक्रियाओं से निपटने के लिए अनुशासन और सहनशक्ति की भी आवश्यकता होगी, जो महीनों या वर्षों में सामने आती हैं।’’

उन्होंने कहा कि सहानुभूति, जिज्ञासा और ईमानदारी ही छात्रों की दीर्घकालिक सफलता निर्धारित करेगी।

स्वामीनाथ ने कहा कि चीजें योजना के अनुसार नहीं चलेंगी, लेकिन अपरिचित परिस्थितियों को स्वीकार करने और अप्रत्याशित परिस्थितियों को सीखने के अनुभवों में बदलने की क्षमता एक छात्र को अलग पहचान दिलाएगी।

स्वामीनाथन ने छात्रों से सतर्क रहने और समय रहते सही रास्ता अपनाने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि आज ‘बैंकिंग’ पहले से कहीं ज्यादा जटिल है और साइबर खतरे, कृत्रिम पहचान, डीपफेक और तृतीय-पक्ष जोखिम जैसी नई चुनौतियां भी हैं।

भाषा
मुंबई


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