पांव पखारने की करुणा
मध्य प्रदेश में पूरी मानवता को शर्मसार करने वाली एक निंदनीय घटना हुई। इसमें सत्तारूढ़ भाजपा के एक विधायक के मदान्ध प्रतिनिधि ने आदिवासी युवक पर पेशाब करने का घिनौना काम किया।
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इसके वायरल वीडियो ने देश के आम से लेकर खास जनमानस तक को झकझोर कर रख दिया। सभी ने एक स्वर से सभी संचार माध्यमों पर चौतरफा निंदा की। प्रवेश शुक्ला नामक युवक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई। इससे एक बात साबित हुई कि देश की सहज मानवीय चेतना सबल, निष्पक्ष और जाग्रत है। वह दलविहिन है और समझौतापरस्त नहीं है। आखिर इसके बाद कानून के दायरे में रह कर सरकार ने वह सारा कुछ किया। प्रवेश पर एनएसए लगाया गया।
बुलडोजर चलाने की मांग पर उसके अवैध निर्माण पर इसे भी चलाया गया। एक हद तक लोगों ने माना कि त्वरित न्याय हुआ और आगे भी सुनवाई के बाद सजा मिलनी ही है। हालांकि प्रदेश की विपक्षी कांग्रेस को इतने से संतोष नहीं हुआ और वह इस मुद्दे के साथ लंबा चलना चाहती है। उसके लिए इस घोर घृणित कर्म ने आसन्न चुनावी राज्य में आदिवासी वोटों के ध्रुवीकरण का अनायस ही मजबूत अवसर दे दिया है। इस समुदाय में उसके विधायक भाजपा से बहुत अधिक हैं। मध्य प्रदेश में आदिवासियों की सहानुभूति दलों के सिर पर सत्ता का सेहरा बांधती रही है। फिलहाल उनका आशीर्वाद कांग्रेस के साथ है। भाजपा और उसकी सरकार में बढ़ी हताशा की यह दूसरी बड़ी वजह है।
यह निर्णायक फैक्टर है। इसने करुणाद्र्र मुख्यमंत्री शिवराज चौहान को वह सब भी करने पर विवश किया, जिसकी अपेक्षा या मांग उनसे नहीं की गई थी। चौहान को उस पीड़ित आदिवासी युवक को सुदामा बताते हुए पांव पखारने पड़े और उसकी मानवीय गरिमा बहाली के लिए पेड़ लगाना पड़ा।
कहा जा सकता है कि उस आदिवासी युवक के साथ हुए क्रूर पािक कर्म के प्रायश्चित करने और उसके आहत स्वाभिमान पर मलहम लगाने के लिए इससे अधिक क्या किया जा सकता है। हो सकता है,मामा ने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर यह सब किया हो। यह भी संभव है कि उन्हें यह प्रेरणा अपने नेता एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिली हो, जो भारत के सपनों के शिल्पकारों के साथ ऐसा व्यवहार कर उनका मान बढ़ाते हैं। पर अच्छा यही होता कि मौसम चुनावी होता या सामान्य, आदमी के साथ आदमी जैसा सलूक किया जाता।
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