कुंवारों को भी भत्ता
हरियाणा सरकार ने अब अविवाहितों को प्रति माह 2,750 रुपये की पेंशन देने का निर्णय लिया है। इनमें विधवा व विधुर भी शामिल हैं।
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ऐसा करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य बन गया है। इस अविवाहित पेंशन स्कीम के दायरे में 45 से 60 आयु वाले स्त्री-पुरुष होंगे, जिनकी वाषिर्क आय 1.80 लाख से कम हो। विधुर व विधवा के लिए आयु सीमा 40 से 60 है पर उनकी वाषिर्क आय 3 लाख से कम होनी चाहिए। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने करनाल में आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम में यह ऐलान किया। वहां इस दायरे में आने वाले अविवाहित पुरुषों व महिलाओं की संख्या तकरीबन 65 हजार है, जबकि विधवाओं-विधुरों की संख्या 5,687 है।
इस योजना से सरकार पर 20 करोड़ रुपये का मासिक बोझ पड़ेगा। बावजूद इसके एकाकीपन झेलने वालों को राहत जरूर मिलेगी। सरकार द्वारा तय राशि की सीमा हालांकि 15 हजार रुपये से कम मासिक आय वाले कुंवारों पर लागू होगी। इस वर्ग के लिए पौने तीन हजार रुपये की मदद कोई मायने नहीं रखती। मगर जिन राज्यवासियों के पास आमदनी का कोई सहारा नहीं है और जो बिल्कुल अकेले हैं या परिवार पर आश्रित हैं। उनके लिए यह पेंशन बहुत राहतकारी होगी।
खासकर किन्हीं कारणों से अविवाहित रह गयीं या बेवा स्त्रियों के लिए यह रकम विशेष मददगार साबित हो सकती है। बशत्रे जरूरतमंदों के चयन में कोताही न हो और सुपात्रों को इसके लिए भटकना न पड़े। अपने यहां सरकारें बेहतर योजनाओं का ऐलान तो कर देती हैं। परंतु लाभार्थियों तक उनका पहुंचना दुष्कर हो जाता है। वे महीनों सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते रह जाते हैं या दलालों के चंगुल में फंसकर लाभ के बंदरबांट पर मजबूर हो जाते हैं।
हमें यह नहीं भूलना है कि हरियाणा में स्त्री-पुरुष के अनुपात में सर्वाधिक अंतर होने के कारण विवाह के लिए लड़कियों का अकाल भी रहा है। ऐसे में सरकार की यह सदाशयता स्वागतेय है। इसके साथ ही इन सब लोगों का स्वास्थ्य बीमा कर वृद्धावस्थाजन्य बीमारियों के इलाज का भी जिम्मा लेना चाहिए। विशेषकर सरकारी अस्पतालों व चिकित्सा केन्द्रों में इनके लिए अतिरिक्त व्यवस्था हो ताकि वे निश्चिंत हो कर बेहतर स्वास्थ्य लाभ ले सकें।
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