बैंकों को मुनाफा
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) का मुनाफा 2022-23 में बढ़कर 1.04 लाख करोड़ रुपये हो गया जो 2014 के 36,270 लाख करोड़ रुपये की तुलना में तीन गुना है।
![]() वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण |
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने शनिवार पंजाब एंड सिंध बैंक के कॉरपोरेट कार्यालय के उद्घाटन अवसर पर कहा कि सरकार की नीतियों के कारण पीएसबी के मुनाफे में वृद्धि दर्ज की गई है। बेशक, बैंकिंग सेक्टर के लिहाज से यह उत्साहजनक आंकड़ा है, लेकिन इसे लेकर सरकार और बैंकों को आराम से बैठकर जश्न नहीं मनाना चाहिए। बैंकिंग क्षेत्र में हाल के समय, बल्कि कहें कि काफी समय से जब-तब कर्मचारियों में असंतोष देखने को मिला है। बैंकों के परस्पर विलयन पर उन्होंने असंतोष जताया तो जब-तब बैंकों के निजीकरण जैसी खबरों पर भी विरोध मुखर किया है। कई बार लगता है कि जैसे बैंकिंग क्षेत्र में कार्यरत लोगों और सरकार के बीच कम्युनिकेशन गैप है।
इससे उत्पादकता यकीनन प्रभावित होती है। इसलिए जरूरी है कि बैंककर्मियों और सरकार के बीच परस्पर विश्वास मजबूत किया जाए। बैंक तंत्र के स्तर पर सवरेत्तम कॉरपोरेट प्रशासन नियमन, नियामक मानदंडों के अनुपालन, विवेकपूर्ण तरलता प्रबंधन, मजबूत परिसंपत्ति-देयता और जोखिम प्रबंधन पर ध्यान देना जारी रहना जरूरी है। बैंकों की कार्यसंस्कृति पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है। सरकारी बैंकिंग तंत्र को गौर करना होगा कि आखिर, क्या कारण हैं कि ग्राहक निजी बैंकों को सरकारी बैंकों के बरक्स तरजीह देने लगे हैं।
अच्छी बात है कि अर्थव्यवस्था में बैंकों और कॉरपोरेट की ‘ट्विन-बैलेंस शीट’ की समस्या दूर हो गई है। सरकार के ठोस प्रयासों से यह संभव हो सका है और ‘ट्विन-बैलेंस शीट’ का लाभ मिल रहा है। ‘ट्विन-बैलेंस शीट’ की समस्या का अर्थ है कि एक ही समय में बैंकों और कॉरपोरेट की वित्तीय सेहत में गिरावट देखने को मिलती है। ऐसी स्थिति में कर्ज देने वाले और कर्ज लेने वाले, दोनों की चिंता बढ़ जाती है। इस कारण दोनों ही पक्षों में अनावश्यक तनाव पैदा हो जाता है, और डूबत ऋण की आशंका उठ खड़ी होती है।
यदि कर्ज लेने वाला इसे चुकाने की स्थिति में हो तो वह स्वत: ही ‘ट्विन-बैलेंस शीट’ से लाभान्वित होता है। बहरहाल, सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र के लिए तमाम पहल की हैं, जिनका फायसा बैंकिंग क्षेत्र को मिल रहा है। इस कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रदर्शन में सुधार देखने को मिला है और बैंक अर्थव्यवस्था की बेहतरी में योगदान देने में पहले से ज्यादा सबल हुए हैं।
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