खुदरा बाजार में अचानक टमाटर की कीमतें आसमान पर
खुदरा बाजार में इस हफ्ते अचानक टमाटर की कीमतें आसमान छूनें लगीं। मानसून से पहले ही आई बरसात ने 30-40 रुपये किलो बिक रहे टमाटर को 100-120 रु. तक पहुंचा दिया।
![]() उछलते टमाटर |
सब्जी विक्रेता और थोक कारोबारी इसका जिम्मेदार आपूर्ति में आ रही बाधाओं को ठहरा रहे हैं। यूं तो बरसात के दौरान सब्जियों की कीमतों में प्रति वर्ष उछाल आता ही है। परंतु बाजार की मांग-आपूर्ति और भंडारण को लेकर होने वाली अराजकता के लिए बिचौलिए और जमाकर्ता भी कम जिम्मेदार नहीं हैं जिन पर कोई लगाम नहीं है। प्रति वर्ष आने वाली इस मौसमी मार को लेकर सरकारी और प्रशासनिक तौर पर होने वाली लापरवाही का नतीजा होता है।
यह सच है कि लगातार हो रही बेमौसमी बरसात ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में भी सब्जियों और फलों की कीमतें कम नहीं होने वाली। अत्यधिक बारिश के कारण हरी तरकारी भी खराब हो जाती है, इसलिए उनकी कीमतें भी खुदरा बाजार में आम आदमी की पहुंच के बाहर हो जाती हैं। थोक बाजार में टमाटर की आवक सीमित हो चुकी है। बता रहे हैं, जहां 30-40 ट्रकों की मांग है, वहां बस 15-20 ट्रक ही माल पहुंच पा रहा है।
उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक जैसे राज्यों में रबी और खरीफ, दोनों फसलों में टमाटर की अच्छी पैदावार होती है। गुजरात में आए चक्रवात के कारण भी इन फसलों को बहुत नुकसान पहुंचा है। साथ ही, जबरदस्त पड़ने वाली गरमी भी सब्जियों की उपज को बाधित करती है। बीती सर्दियों में तेज गरमी से नींबू के फूल जलने के कारण नींबू भी इसी तरह बहुत महंगा हो गया था। भारतीय भोजन में टमाटर उन सब्जियों में शामिल है, जिनका रसोई में बहुत महत्त्व है।
उपभोक्ता मामलों के विभाग के अंतर्गत आने वाले मूल्य निगरानी प्रभाग को समय रहते यह तय करना चाहिए। लगभग हर साल देखने में आता है, जब जबरदस्त पैदावार के चलते किसान सड़कों पर टमाटर और अन्य सब्जियां फेंकने को मजबूर हो जाते हैं। इसका उचित मूल्य न मिलने से वे लागत तक निकालने में भी अक्षम हो जाते हैं। बेशक, उन्हें इस स्थिति से बचाने के पुख्ता इंतजाम होने चाहिए। ऐसी सटीक व्यवस्था हो, जिससे उत्पादकों और उपभोक्ताओं, दोनों को इस तरह की समस्याओं से निजात मिल सके।
Tweet![]() |