मणिुपर के हालात पर प्रधानमंत्री की दखल

Last Updated 28 Jun 2023 01:30:09 PM IST

राहत की बात है कि प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने विदेश प्रवास से लौटने के कुछ घंटे बाद ही मणिुपर (Manipur) के हालात पर कैबिनेट की बैठक बुला ली। उन्होंने राज्य में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने के निर्देश दिए हैं।


मणिुपर के हालात पर प्रधानमंत्री की दखल

केवल विपक्ष को ही नहीं पूरे देश को लग रहा था कि मणिपुर की विकराल होती जा रही समस्या में सीधे प्रधानमंत्री के स्तर से दखल होनी चाहिए थी। तो सामुदायिक हिंसा में जानमाल की इतनी क्षति नहीं हुई होती। इसलिए कि इस मसले का हल विशुद्ध राजनीतिक स्तर पर निकाला जाना है। मेइती की एसटी का दर्जा दिए जाने की मांग है, जिसे जनजाति कूकी समुदाय अपने हक पर डाका पड़ना मानते हैं। यही फसाद की जड़ है।

अब इसका निदान आपसी सहमति से या दोनों समुदायों की परस्पर बैठक या एक निष्पक्ष आयोग के गठन से ही निकाला जा सकता है। इस बारे में राज्य स्तर पर कदम उठाए गए हैं। एक आयोग बना है। फिर भी हिंसा की लपटें नहीं नरम पड़ी हैं तो इसका मतलब राज्य-नेतृत्व पर वहां के दोनों समुदायों का भरोसा नहीं होना है। प्रधानमंत्री की बैठक लेने के दो दिन पहले ही गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री बिरेन सिंह को समुदायों से बातचीत के निदेर्ंश के साथ भेजा था। लेकिन कूकी उनसे बातचीत ही नहीं करना चाहते हैं।

उनका आरोप है कि कूकी समुदाय के जानमाल की बड़ी क्षति के लिए बिरेन की लापरवाही कसूरवार है। उधर, बहुसंख्यक आबादी मेइती भी, जहां से बिरेन आते हैं, वे भी उन पर विास नहीं करती। तो जब वहां नेतृत्व पर भरोसा नहीं है तो फिर बातचीत किससे और कैसे होगी? फिर भी बिरेन वार्ता की मेज पर दोनों को एक साथ लाने और इसमें सफल होने विास कर रहे हैं। ऐसे में केंद्र को चाहिए कि वह वस्तुस्थिति की समीक्षा ठीक से करे और इसे अपनी प्रतिष्ठा का सवाल न बनाते हुए बिरेन की रवानगी करे।

वहां का नेतृत्व उन्हें दे, जिन पर दोनों समुदायों का विास हो। इसलिए कि कूकियों के संगठन आईटीएलएफ में 10 विधायक हैं, जिनमें सात भाजपा के हैं और ये सब अपने लिए एक पृथक प्राधिकरण (राज्य के समकक्ष) की मांग कर रहे हैं। यह कहां तक मुफीद है, इसकी भी समीक्षा तभी होगी, जब कोई बातचीत होगी। बिरेन इसकी कोशिश कर लें, फेल होने पर प्रधानमंत्री कोई दूरगामी फैसले लें। इसमें वे हिचकेंगे नहीं, मणिपुर की यह अपेक्षा उसे और जलने या विस्थापन का दंश झेलने से बचाएगा। अमन-चैन कायम करेगा और उसे फिर से मुख्यधारा में जोड़ेगा।



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