युद्ध टलने की उम्मीद
समूचे विश्व के लिए मंगलवार का दिन राहत की खबर लेकर आया जब रूस ने ऐलान किया कि यूक्रेन सीमा पर तैनात अपने कुछ सैनिकों को वापस बुला रहा है।
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इस ऐलान के साथ ही बाजारों में भी रौनक लौटने लगी। भारत में भी शेयर बाजारों ने दस महीने की सबसे बड़ी गिरावट के अगले ही दिन आठ हजार करोड़ रुपये के नुकसान की भरपाई कर ली। सेंसेक्स 1700 से ज्यादा अंक चढ़कर 58142 पर बंद हुआ यानी कारोबार में 3% की बढ़ोतरी हुई। इसी तरह निफ्टी भी 3% उछाल के साथ 17352 अंक पर बंद हुआ। हालांकि पूरी तरह चिंता खत्म होने जैसी बात अभी भी नहीं है क्योंकि नाटो फोर्स के चीफ ने कहा है कि उन्हें रूस के सैनिकों के लौटने के संकेत नहीं मिले हैं।
इस बीच, भारत ने रूस और यूरोप के मध्य स्थित यूक्रेन में रह रहे अपने नागरिकों से कहा है कि जरूरी न हो तो यूक्रेन में न रुकें। दरअसल, अमेरिका के यह कहने पर दुनिया भर में हलचल मच गई थी कि रूस 15 फरवरी के बाद कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है। उनकी बात को इस बात से बल मिला कि रूस ने यूक्रेन की सीमा पर भारी सैन्य साजो-सामान के साथ अपने एक लाख 30 हजार से ज्यादा सैनिकों की तैनाती कर दी थी। विरोध में अमेरिका और ब्रिटेन, जो नाटो के सदस्य हैं, ने भी अपनी फोर्स भेजनी शुरू कर दी थी। हालात जंग के बन गए थे। दरअसल, रूस नाटो की ओर यूक्रेन की बढ़ती नजदीकी से नाराज है। उसे शंका है कि यूक्रेन कहीं नाटो का सदस्य न बन जाए।
बहरहाल, यूक्रेन की सीमा पर तनाव कम होने के संकेत के बीच जरूरी हो गया है कि हालात सामान्य बनाने के लिए कूटनीतिक प्रयास और तेज किए जाएं। इसी से गलतफहमी, जो भी हैं, दूर की जा सकेंगी। रूस ने जो नरम रुख दिखाया है, वह फ्रांस और जर्मनी के प्रमुखों के प्रयासों का ही नतीजा कहा सकता है। इन दोनों देशों के प्रमुख बढ़कर मध्यस्थता कर रहे हैं।
हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि नाटो, अमेरिका समेत 27 से ज्यादा यूरोपीय देशों का शक्तिशाली सैन्य संगठन, यूक्रेन और रूस के बीच पनपी गलतफहमी को दूर किया जाए। नाटो देश अपनी किसी भी सदस्य पर हमला होने की सूरत में एकजुटता के लिए प्रतिबद्ध हैं। क्रेमलिन से मिले संकेतों से उत्साहित कई यूरोपीय नेता कूटनयिक प्रयासों में जुट गए हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द ही बातचीत से तनाव कम होगा और शांति बहाली भी होगी।
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