हिजाब पर हंगामा

Last Updated 08 Feb 2022 12:17:25 AM IST

कर्नाटक में कुछ छात्राओं के हिजाब पहनने को लेकर विवाद गंभीर होता जा रहा है।


हिजाब पर हंगामा

उडुपी के एक जूनियर कालेज से शुरू हुए इस विवाद में राजनीति शुरू हो जाने से माहौल बिगड़ रहा है और इसके सांप्रदायिक रूप ले लेने का खतरा है। विवाद अन्य कालेजों तक फैलने लगा है। जिले में कुंडापुर के कई जूनियर कॉलेज में हिजाब के जवाब में भगवा शॉल निकल आई हैं। दो कॉलेज के विद्यार्थियों ने राज्य शिक्षा विभाग के ड्रेस कोड अनिवार्य करने वाले आदेश की अवहेलना करने की कोशिश की। शहर के वेंकटरमण कॉलेज के छात्रों का एक समूह भगवा शॉल पहने जुलूस निकालते हुए कॉलेज पहुंचा। छात्रों का कहना था कि कि यदि छात्राओं को हिजाब पहनकर कक्षाओं में आने की अनुमति दी जाएगी, तो वे भी शॉल पहनेंगे।

सरकारी पीयू कॉलेज में भी प्राचार्य ने हिजाब पहनकर आई  छात्राओं को सरकार का ड्रेस कोड समझाया, लेकिन छात्राएं हिजाब हटाने पर राजी नहीं हुई, इसके बाद उन्हें एक निर्धारित अलग कक्ष में भेज दिया गया। आहिस्ता-आहिस्ता यह विवादास्पद मुद्दा राज्य भर में फैलता जा रहा है। विजयपुरा जिले के इंडी शहर में, मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने के विरोध में शांतेश्वर पीयूसी कॉलेज और जीआरबी कॉलेज के हिंदू छात्र भगवा शॉल पहनकर आए। स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए दोनों कॉलेजों के प्रबंधन ने छुट्टी घोषित कर दी। विजयपुरा को भाजपा का गढ़ माना जाता है और यह सांप्रदायिक रूप से भी संवेदनशील है।

भद्रावती में भी सरकारी कॉलेज में छात्रों ने हिजाब के खिलाफ भगवा गमछा पहन कर विरोध जताया। हिजाब विवाद के बारे में परेशान करने वाली घटनाओं के बारे में खुफिया एजेंसियां और शिक्षा विभाग हाई अलर्ट पर हैं। उडुपी पुलिस ने 5 फरवरी को हिजाब-केसर शॉल विरोध के दौरान चाकू दिखाने के आरोप में दो लोगों को हिरासत में लिया है। कर्नाटक उच्च न्यायालय मंगलवार को हिजाब विवाद पर मुस्लिम छात्राओं की याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।

राज्य सरकार ने कहा है कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद वे यूनिफॉर्म पर एक नीति तैयार करेंगे। राज्य में हिजाब पहनने पर विवाद की शुरु आत जनवरी महीने में हुई थी। उडुपी जिले के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में 7 छात्राओं को हिजाब पहनने के कारण कक्षा में प्रवेश नहीं दिया गया था। एकाएक शुरू हुआ यह विवाद उचित नहीं है। पढ़ाई में परंपरा के नाम पर खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। सभी राजनीतिक दल इस मामले में निष्पक्ष रवैया अख्तियार करेंगे, यही उम्मीद है।



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