खौफ में बाजार
मुंबई शेयर बाजार के सूचकांक सेंसेक्स ने खौफ का इजहार कर दिया है। 20 दिसम्बर को इसमें बुरी तरह गिरावट दर्ज की गई।
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एक महीने का हिसाब लगाएं, तो इसमें करीब सात फीसद की गिरावट देखी गई है। एक महीने में सात फीसद की गिरावट सेंसेक्स में तब दिख रही है, जब अर्थव्यवस्था में सुधार की बातें हो रही हैं। जब ऐसी बातें की जा रही हैं कि अर्थव्यवस्था पटरी पर आ रही है। पटरी से उतरने का मामला दरअसल खौफ का मामला है। ओमीक्रोन ने पूरी दुनिया में खौफ पैदा कर दिया है। अर्थव्यवस्था और खास तौर पर शेयर बाजार तो उम्मीदों और आशंकाओं के अतिरेक में ही चलते हैं। खौफ के अतिरेक में शेयर बाजार डूब गया, इससे कई स्तरों पर चिंताएं पैदा हुई हैं।
हाल में शेयर बाजार जब उछल रहा था तो कई कंपनियों ने अपने शेयर जारी किये थे और बहुत आसानी से अपने कारोबार के लिए पूंजी बाजार से जुटा ली थी। पर अब जब बाजार डूब रहा है तब ऐसे बाजार से पूंजी जुटा पाना आसान ना होगा। यानी पूंजी की उपलब्धता पर अवरोध लगेगा। यूं तार्किक तौर पर देखें, तो अभी तक करीब 150 मामले ही ओमीक्रोन के आए हैं, पर इन 150 मामलों के साथ वो दुश्चिताएं दोबारा सिर उठाने लगी हैं जो अप्रैल मई 2021 के हादसों के साथ जुड़ी हैं। जब अस्पताल के बाद अस्पताल लोग भटक रहे थे बेड उपलब्ध नहीं थे, आक्सीजन उपलब्ध नहीं थी। क्या वैसा दोबारा होगा, इस सवाल का जवाब पक्के तौर पर कोई नही दे सकता है।
अभी तक कुल मिलाकर यह साफ हुआ है कि ओमीक्रोन बहुत ही संक्रामक है, बहुत तेज गति से लोगों को शिकार बना लेता है, पर यह मारक नहीं है। यानी जनहानि की चिंता ज्यादा नहीं करनी चाहिए, ऐसा दुनिया भर का हाल का तजुरबा बताता है। पर कुल मिलाकर असावधानी नहीं बरती जानी चाहिए। और सरकारों को भी अपने आपातकालीन इंतजाम समय रहते दुरस्त कर लेने चाहिए।
पर निवेश और खर्च का जो माहौल दोबारा आशंकाओं से ग्रस्त हो गया है, उसे पटरी पर आने में समय लगेगा। संकट के वक्त या संकट की आशंका में लोग खर्च को टालते हैं और बचाकर रखते हैं रकम इस डर से कि पता नहीं कब आपातकाल की जरूरत पड़ जाए। ओमीक्रोन को लेकर जब तक बिलकुल साफ तस्वीर उभर कर नहीं आती, तब तक इसके खौफ को रोकना असंभव है।
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