बदलनी होगी रणनीति
आतंकवाद का राक्षस कश्मीर में निर्दोष नागरिकों का पीछा नहीं छोड़ रहा। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद कुछ वक्त के लिए लगा था कि इस पर विराम लग रहा है।
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सुरक्षा बलों को भी आतंकवाद के खिलाफ अपने अभियानों में सफलता मिल रही थी। चिंता की बात है कि आतंकवाद और वीभत्स रूप में लौट आया है। कश्मीर में अब निदरेष नागरिक पहले से ज्यादा आतंकवाद के शिकार हो रहे हैं। पिछले माह श्रीनगर में एक मशहूर दवा डीलर माखन लाल बिंद्रू, दो अध्यापकों और एक प्रवासी चाट विक्रेता की हत्या कर दी गई थी। अब एक और आतंकवादी घटना में सोमवार को श्रीनगर में एक दुकान पर काम करने वाले एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई।
स्थानीय लोग इस बात से हैरान हैं कि शहर में हजारों सुरक्षाकर्मिंयों की मौजूदगी के बावजूद आतंकवादी इस तरह की वारदात को कैसे अंजाम दे पा रहे हैं। शहर के बोहरी कदल इलाके में सोमवार शाम आतंकवादियों ने रोशन लाल मावा नाम के एक कश्मीरी पंडित की परचून की दुकान पर काम करने वाले 45 वर्षीय मोहम्मद इब्राहिम खान की गोली मार कर हत्या कर दी।
यह घटना इस तथ्य के बावजूद हुई कि एक दिन पहले श्रीनगर के ही बटमालू इलाके में आतंकवादियों ने एक पुलिसकर्मी की हत्या कर दी थी और ऐसा हुए 24 घंटे भी नहीं बीते थे। जिस दुकान पर इब्राहिम काम करते थे वो 29 सालों से बंद थी और 2019 में ही दोबारा खुली थी। दुकान के मालिक रोशन लाल मावा 1990 के दशक में घाटी में आतंकवाद की शुरु आत के साथ ही दिल्ली चले गए थे।
मावा मई, 2019 में श्रीनगर वापस आए थे। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का कहना है कि यह घटना दुर्भाग्य से घाटी में टार्गेटेड हत्याओं की श्रृंखला का हिस्सा लगती है। एक ही दिन पहले श्रीनगर के बटमालू इलाके में पुलिस कांस्टेबल तौसीफ अहमद वानी (29 वर्षीय) की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इसके पहले भी श्रीनगर और कश्मीर के कुछ और इलाकों में कई लोगों की हत्याएं हो चुकी हैं, जिनमें अभी तक कम से कम 11 आम नागरिक मारे जा चुके हैं।
पिछले माह की घटनाओं के बाद केंद्र सरकार ने घाटी में अर्धसैनिक बलों के 5,000 अतिरिक्त जवान भेजे थे। श्रीनगर में पिछले महीने से हाई अलर्ट है। हजारों सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी के बावजूद आतंकवादी वारदात कर जा रहे हैं, यह चिंता की बात है। लगता है कि सुरक्षा बलों को इससे निपटने के लिए रणनीति बदलने की जरूरत है।
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