हम किसी से कम नहीं
कोरोना विषाणु महामारी के विरुद्ध लड़ाई में भारत को आशावादी नजरिया रखने के लिए अनेक कारक हैं।
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ब्रिटेन की बोरिस जॉनसन की सरकार ने भारत की पहली स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन को मान्यता दे दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस टीके को आपातकालीन इस्तेमाल की सूची में शामिल करने के बाद ब्रिटिश सरकार ने यह निर्णय लिया है। कोवैक्सीन टीके की दोनों खुराक लेकर ब्रिटेन की यात्रा करने वालों को अब वहां पृथकवास में नहीं रहना होगा।
ब्रिटेन पिछले महीने भारत में निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना रोधी वैक्सीन कोविडशील्ड को अपने अनुमोदित सूची में शामिल किया था। इस उपलब्धि से पूरी दुनिया में संदेश गया है कि 21वीं शताब्दी में भारत की वैज्ञानिक प्रगति की रफ्तार किसी भी विकसित देश से कम नहीं है।
हालांकि इस तथ्य के बावजूद पश्चिमी दुनिया भारतीय प्रतिभा और वैज्ञानिकता को दोयम दज्रे के रूप में देखती है। यही वजह है कि पश्चिमी देशों के प्रभाव में रहने वाली संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन को काफी विलंब से मान्यता दी। ब्रिटेन ने भी कोविशील्ड को मान्यता देने में काफी आनाकानी की थी। भारत के लिए यह भी बड़ी उपलब्धि है कि 96 देशों ने भारत के साथ कोरोना टीकाकरण प्रमाणपत्र को परस्पर मान्यता देने पर सहमति जताई है।
इन देशों में अमेरिका सहित करीब सभी यूरोपीय देश शामिल हैं। उम्मीद की जा रही है कि दुनिया के अन्य देश भी भारत के टीकाकरण प्रमाणपत्र को जल्द ही मान्यता देंगे। महामारी के संदर्भ में भारत के आशावादी रुख का बड़ा कारण यह भी है कि कोरोना के नये मामलों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है जबकि यूरोप के देशों में मामले बढ़ रहे हैं। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि हम इस महामारी के प्रति लापरवाह हो जाएं।
केंद्र सरकार भी लगातार चेतावनी जारी कर रही है कि अगले तीन महीने काफी महत्त्वपूर्ण हैं। इसलिए टीकाकरण अभियान और तेज करना होगा। स्कूल खुल गए हैं। जाहिर है कि सरकार को हमेशा सचेत रहने की जरूरत है।
अस्पतालों और प्राथमिक चिकित्सालयों की सुविधाओं को और समुन्नत बनाने पर विशेष ध्यान देना होगा। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे नागरिकों को कोरोना से बचाव के नियमों का कड़ाई से पालन करने के लिए प्रोत्साहित करते रहें।
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