चीन को खरी-खरी
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा पर चीन की आपत्ति को भारत ने खारिज कर बिल्कुल उसी की भाषा में जवाब दिया है।
चीन को खरी-खरी |
चीन की फितरत हमेशा से ऐसी रही है। विस्तारवाद की नीति को आगे बढ़ाने के लिए चीन किसी भी सीमा तक जा सकता है, किंतु उसे यह समझना होगा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। उस पर अपनी कुटिल नजर रखने का कोई फायदा नहीं होगा।
चीन जितना भी उछल-कूद कर ले, उसे हमेशा विफलता ही हाथ लगेगी। हालांकि भारत को भी बराबर चौकन्ना रहना होगा। पूर्वी लद्दाख में खूनी संघर्ष को हुए डेढ़ साल हो गए हैं, मगर चीन लगातार भारत को उलझाए रखना चाहता है। उसे यह भलीभांति पता है कि यह पहले का भारत नहीं है।
यह बदला हुआ भारत है, जो ‘जैसे को तैसा’ की तर्ज पर जवाब देना जानता है। होना तो यह चाहिए कि चीन को असंबद्ध मुद्दों को जोड़ने की बजाए वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शेष मुद्दों को हल करने का प्रयास करना चाहिए।
हाल के घटनाक्रम पर नजर डालें तो पहले पूर्वी लद्दाख, फिर उत्तराखंड में भारतीय सीमा के अंदर घुसकर तोड़फोड़ करने और अब उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की अरुणाचल की यात्रा पर आपत्ति जताना चीन की सोची समझी साजिश का हिस्सा है।
भारत ने तुरंत उसकी आपत्ति को खारिज कर उसे यह जतला दिया है कि चीन की इस तरह की हरकत को भारत बिल्कुल भी भाव नहीं देता है। देखना है, चीन वास्तव में सीमा विवाद के मसले को कितनी शिद्दत से पटरी पर लाता है।
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