चीन से फिर तनातनी
चीन की चालबाजी का एक बार फिर पर्दाफाश हुआ है। पिछले साल लद्दाख में हिंसा फैलाने के बाद अब पड़ोसी देश ने सिक्किम में खुराफात को अंजाम दिया है।
चीन से फिर तनातनी |
खबर है कि 20 जनवरी को सिक्किम के नाकु ला में चीन और भारतीय सैनिकों के बीच मामूली झड़प हुई। हालांकि दोनों सेनाओं के स्थानीय कमांडरों ने तय प्रोटोकॉल के तहत विवाद को सुलझा लिया। चीन भरोसे के काबिल कभी नहीं रहा है। उसका अतीत हमेशा से दागदार रहा है। दोस्ती या बातचीत की आड़ में वह अपना ‘खेल’ खेलने से बाज नहीं आता है। आश्चर्य की बात है कि एक तरफ भारत के साथ वह पूर्वी लद्दाख में पिछले साल से चल रही तनातनी, गतिरोध और भारी तनाव को कम करने के लिए 9वें दौर की बातचीत कर रहा है और दूसरी तरफ सिक्किम में अमर्यादित और अनैतिक कामों को अंजाम भी दे रहा है। हर बार की तरह वह भारत के इलाके को अपना बता कर उसे अपने कब्जे में करने की न केवल साजिश रचता है, बल्कि उसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए सैन्य बल का इस्तेमाल करने से नहीं चूकता है। दरअसल, चीन भारत को सीमा विवाद में उलझाए रखना चाहता है।
उसे इस बात का आभास भली-भांति हो चुका है कि भारत अब मजबूत हो चला है। वैश्विक तौर पर भी भारत की छवि बेहतर हुई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में धमक और निवेश के मामले में भी भारत ने दमखम का प्रदर्शन किया है। लिहाजा, चीन को लगता है कि ऐसा ही रहा तो भारत को पछाड़ना मुश्किल हो जाएगा। भारत भी चीन की चाल से वाकिफ है। यह भी मालूम है कि भारत को ढाई मोच्रे पर लड़ाई के लिए तैयार रहने की जरूरत है। चीन, पाकिस्तान और नेपाल भी भारत के खिलाफ साजिशें रचते रहे हैं। ऐसे में भारत को चीन के खिलाफ कारगर तरीके से कार्रवाई करनी होगी। उसे चीन की चाल में नहीं फंसना होगा। अभी तक चीन की चाल यही रही है कि एक तरफ वह बातचीत का सिरा खोले रखता है, तो दूसरी तरफ एक नया मोर्चा भी खोल देता है यानी कि वह किसी भी मसले का स्थायी हल भी नहीं खोजता है वहीं वार्ता की मेज पर बैठकर दिखाना भी चाहता है कि हम तो शांति चाहते हैं। बहरहाल, बेहतर यही होगा कि दोनों देश इस विवाद का राजनीतिक हल तलाशें। यह जितनी जल्दी हो, उतना ही अच्छा होगा।
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