राष्ट्रपति का संबोधन
देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं के ईर्द-गिर्द करीब दो महीनों से चल रहे किसान आंदोलन के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 72वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में किसान समुदाय और नये कृषि कानूनों की प्रमुखता से चर्चा की।
राष्ट्रपति का संबोधन |
उनका यह कहना काफी महत्त्वपूर्ण है कि कृषि कानूनों को लेकर आरंभ में कुछ आशंकाएं उत्पन्न हो सकती हैं, लेकिन इसमें संदेह नहीं होना चाहिए कि सरकार किसानों की हितों को लेकर पूरी तरह समर्पित है। उनका कहने का अभिप्राय यह है कि नये कृषि सुधार किसानों के हित में है और अगर उन्हें नये कानूनों को लेकर कुछ आशंकाएं हैं तो सरकार के साथ बैठकर हल निकालने की कोशिश करें।
उन्होंने किसान समुदाय का यह कहते हुए उत्साहवर्धन किया कि इतनी विशाल आबादी वाले देश को खाद्यान्न व डेयरी उत्पादों में देश को आत्मनिर्भर बनाने का श्रेय जाता है। राष्ट्रपति महोदय ने किसानों के साथ-साथ सीमाओं की सुरक्षा करने में सफल रहे वीर जवानों को बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अपने संबोधन में देशवासियों को सुनिश्चित किया कि हमारी थल सेना, वायु सेना और नौ सेना देश की सीमाओं की रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है। पिछले वर्ष जून के महीने में पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी में चीनी सैनिकों की अवांछित कार्रवाइयों का भी जिक्र किया। उन्होंने चीन का नाम लिए बिना कहा कि भारत को विस्तारवादी गतिविधियों का सामना करना पड़ा। हमारे बहादुर जवानों ने नापाक गतिविधियों को नाकाम कर दिया।
इस घटनाक्रम में हमारे 20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए। देशवासी इन अमर जवानों के प्रति कृतज्ञ हैं। राष्ट्रपति महोदय ने पिछले एक वर्ष से कोविड-19 महामारी से जूझ रहे देश की स्थितियों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत कोरोना महामारी और उससे उत्पन्न अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है, लेकिन एक संप्रभु और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे मजबूत राष्ट्र के रूप में भारत ने इस महामारी का जिस तरह से सामना किया, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। उन्होंने बहुत कम समय में सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण कोरोनारोधी टीका विकसित करने के लिए देश के वैज्ञानिकों और चिकित्सकों को बधाई दी। राष्ट्रपति ने स्वदेशी टीका विकसित करने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान का भी उल्लेख किया।
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