बेहतरी की ओर
भारतीय अर्थव्यवस्था में इस वर्ष उत्साहवर्धक सुधार के संकेत हैं।
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यूएन की वर्ल्ड इकनॉमिक सिचुएशन एंड प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट-2021 में कहा गया है कि वर्तमान कैलेंडर वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है। पिछले वर्ष इसमें 9.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। कोविड-19 महामारी से ठप हुई आर्थिक गतिविधियों का सिलसिला जमाए रखने की गरज से सरकार ने तमाम प्रयास किए।
अनेक वित्तीय और मौद्रिक पैकेजों की घोषणा के बावजूद देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट रही। घरेलू खपत में उत्तरोत्तर कमी आई। महामारी को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन तथा कतिपय प्रयासों के चलते ऐसा हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड महामारी के कारण भारत ही नहीं, बल्कि विश्व अर्थव्यवस्था में भी पिछले साल 4.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। अलबत्ता, इस साल इसमें 4.7 प्रतिशत और अगले साल 5.9 प्रतिशत की वृद्धि होने का आकलन है। इसका असर विश्व की तमाम अर्थव्यवस्थाओं विशेषकर विकासोन्मुख अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ना लाजिम है।
सो, उनकी हालत में सुधार की उम्मीद की जा सकती है। उम्मीद इस कारण से भी कि कोविड-19 मामलों में कमी आने से कमोबेश तमाम देशों में स्थिति सामान्य होती जा रही है। भारत के लिए सकारात्मक बात कृषि क्षेत्र में कोविड महामारी के दौरान बनी रही मजबूती भी है। इस दौरान कृषि क्षेत्र ने बढ़िया लचीलापन प्रदर्शित किया। रबी की अच्छी बुआई, अच्छे मानसून, जलाशयों के उच्च स्तर और ट्रैक्टरों की बिक्री में मजबूत वृद्धि से कृषि क्षेत्र में आने वाले समय में मजबूती बनी रहने के संकेत हैं। आगामी दिनों में पेश किए जाने वाले बजट में कृषि क्षेत्र के लिए उत्साहजनक प्रावधान किए जाने की जरूरत है।
खासकर इसलिए कि सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य तय किया हुआ है। महामारी की सर्वाधिक मार उद्योग और सेवा क्षेत्रों पर पड़ी है। एक अनुमान के मुताबिक, 2020-21 के दौरान इन दोनों क्षेत्रों में क्रमश: 10 प्रतिशत और 9.2 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। इसलिए कहना होगा कि बजट में उद्योग और सेवा क्षेत्रों, जो अर्थव्यवस्था के महत्त्वपूर्ण क्षेत्र कहे जाते हैं, के लिए विशेष उपाय करके अर्थव्यवस्था की बेहतरी की तरफ बढ़ा जा सकता है।
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