वंशवाद पर प्रहार

Last Updated 14 Jan 2021 12:32:28 AM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजनीति में वंशवाद पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा है कि यह लोकतंत्र में ‘तानाशाही’ का एक रूप है, जो देश पर ‘अक्षमता का बोझ’ बढ़ा देता है।


वंशवाद पर प्रहार

प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरे राष्ट्रीय युवा संसद महोत्सव के समापन सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि वंशवाद की वजह से राजनीति में आगे बढ़े लोगों को लगता है कि उनके पहले की पीढ़ियों के भ्रष्टाचार का हिसाब नहीं हुआ तो उनका भी कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। प्रधानमंत्री मोदी ने राजनीतिक वंशवाद को लोकतंत्र का ‘सबसे बड़ा शत्रु’ करार देते हुए इसे जड़ से उखाड़ फेंकने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि अब वह समय नहीं रहा कि ‘सरनेम’ की बदौलत चुनाव जीता जा सके। वे दिन तो लद चुके हैं। प्रधानमंत्री की नजर में इस बुराई के खात्मे के लिए जरूरी है कि युवा बढ़-चढ़कर राजनीति में आगे आएं। कारण, ऐसे लोगों के सामने कोई राजनीतिक विरासत नहीं, बल्कि नये आदर्श होते हैं। विरासत में राजनीति न होने से उन पर अपने आचार-विचार और लक्ष्य सब कुछ विरासती राजनीति के हिसाब से करने का दबाव नहीं होता। प्रधानमंत्री मोदी ने एक तरह से राजनीति की शुचिता और स्वच्छता का पैगाम दे दिया है। अरसे से देश का अवाम इस समस्या से दो-चार रहा है।

इस कदर कि आज लोकतंत्र में उसके पास ठोस विपक्ष जैसा कुछ नहीं रह गया है। यह चिंताजनक स्थिति है। कारण, यदि लोकतांत्रिक व्यवस्था में मजबूत विपक्ष नदारद होगा तो सरकार के निरंकुश होने का खतरा उठ खड़ा होता है। कमोबेश प्रत्येक राजनीतिक दल विरासती राजनीति की गिरफ्त में रहा है। क्षेत्रीय दलों में तो इस किस्म की राजनीति बेहद प्रभावी रही है। इसका नुकसान यह होता है कि संसद के चुनाव में कई बार किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिल पाता। गठबंधन की सरकार बनानी पड़ जाती है। गठबंधन के सहयोगी घटक प्राय: मुख्य पार्टी को ब्लैकमेल करने पर आमादा रहते हैं। भ्रष्टाचार में भी लिप्त हो जाते हैं। ऐसे में अवाम ठगा-सा महसूस करता है। कटु सत्य है कि सत्ताधारी पार्टी ही नहीं, बल्कि तमाम छोड़े-बड़े दलों में पुत्र या परिवार मोह के चलते सक्षम और प्रभावी विपक्ष से देश का अवाम वंचित रह जाता है। अब, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न केवल असल समस्या बताई है, बल्कि युवाओं की राजनीति में आमद के रूप में इसका समाधान भी सुझाया है।



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