ऑस्ट्रेलिया में जीत
टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया से वनडे सीरीज हारने के बाद टी-20 सीरीज जीतकर हिसाब बराबर कर दिया है।
ऑस्ट्रेलिया में जीत |
ऑस्ट्रेलिया को हमेशा टफ प्रतिद्वंद्वी माना जाता है और उन्होंने वनडे सीरीज में जिस तरह से पहले दोनों वनडे मैच जीतकर शुरुआत की तो लगा कि इस बार भारत की दाल आसानी से गलने वाली नहीं है। लेकिन भारत ने तीसरे वनडे तक टीम का सही संतुलन बनाकर दौरे पर पहली जीत दर्ज की और फिर पहले दो टी-20 मैच जीतकर अपनी सफलता के झंडे गाड़ दिए। हमने टी-20 सीरीज का आखिरी मैच जरूर हारा पर इस सीरीज से कई पॉजिटिव बातें सामने आई हैं। एक तो टीम को हार्दिक पांडय़ा के रूप में अच्छा फिनिशर मिल गया।
पहले इस जिम्मेदारी को महेंद्र सिंह धोनी बखूवी निभाते रहे थे। लेकिन उनके संन्यास लेने के बाद टीम में एक अच्छे फिनिशर की कमी महसूस की जा रही थी। हार्दिक ने पिछले दिनों संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित हुए आईपीएल में मुंबई इंडियंस के लिए फिनिशर की जिम्मेदारी को बखूवी निभाया था। अब टीम इंडिया में भी इस जिम्मेदारी को संभाल लिया है। जिस तरह धोनी के विकेट पर रहने के समय टीम को जीत का भरोसा रहता था, वह छवि अब इस सीरीज में हार्दिक ने भी बना ली है। वह भी धोनी की तरह विकेट पर जल्दबाजी नहीं दिखाते। उनकी सबसे बड़ी खूबी है कि आड़े-तिरछे शॉट खेलने के बजाय सीधे शॉट खेलकर रन बनाने में विश्वास रखते हैं। सिक्स लगाते समय भी नहीं दर्शाते कि बहुत ताकत लगा रहे हैं।
असल में वह अच्छी टाइमिंग का इस्तेमाल करके बड़े शॉट खेलने में विश्वास रखते हैं। इसी का परिणाम है कि अक्सर विजयी रन छक्के से लगाने में कभी झिझकते नहीं हैं। इस सीरीज का दूसरा पॉजिटिव नटराजन के रूप में जीत दिलाने वाला गेंदबाज मिलना है। आम तौर पर जसप्रीत बुमराह और भुवनेर कुमार की जीत दिलाने वाले गेंदबाज की छवि है। भुवनेर तो काफी समय से चोटों की समस्या से जूझ रहे हैं और बुमराह को टेस्ट सीरीज को ध्यान में रखकर आराम दिया गया। ऐसे में नटराजन ने नपी-तुली गेंदबाजी से धाक जमा ली। वह भविष्य में सबसे छोटे प्रारूप में बुमराह के अच्छे जोड़ीदार बन सकते हैं। दोनों ने छोटे प्रारूप की सीरीजें तो आपस में बांट लीं। असली जंग तो 17 दिसम्बर से टेस्ट सीरीज में दिखने वाली है, जिसे जीतने वाले के सिर ही सेहरा बंधेगा।
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