उत्साहजनक आकलन
भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि की दर को लेकर आकलन नित बदल रहे हैं।
उत्साहजनक आकलन |
इसलिए कि कोरोना महामारी के चलते छाई अनिश्चितता अर्थव्यवस्था में स्थिरता आने में अभी भी रुकावट बनी हुई है। हालांकि ऐसे संकेत भी मिलने लगे हैं कि अर्थव्यवस्था निकट भविष्य में अच्छे से पटरी पर आ जाएगी। कुछ अर्थवेत्ता तो यहां तक दावा करने लगे हैं कि जल्द ही अर्थव्यवस्था कोरोना पूर्व की स्थिति में आ जाएगी। इसी कड़ी में अब फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जीडीपी में वृद्धि संबंधी जो संशोधित अनुमान जारी किए हैं, उनसे हौसला मिलता है।
उम्मीद बंधती है। कॉरपोरेट भारत में मजबूत सुधार का संकेत मिल रहा है। बाजार में कुल धारणा सकारात्मक है। ऐसे में फिच का संशोधित अनुमान उत्प्रेरक की तरह है। फिच का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी में 9.4 प्रतिशत की गिरावट आएगी। गौरतलब है कि फिच ने ही कुछ समय पहले 10.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान जताया था।
लेकिन चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में उम्मीद से बेहतर सुधार के मद्देनजर रेटिंग एजेंसी को अपने अनुमान में संशोधन करना पड़ा है। वैश्विक परिदृश्य संबंधी अपने आकलन में रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि कोरोना महामारी से पैदा हुई मंदी ने देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है। ऐसे में भारत को अपने बही खाते दुरुस्त करने और दीर्घावधि की योजना को लेकर सतर्कता बरतनी पड़ रही है।
सबसे बड़ी दिक्कत तो यह आ रही है कि भारत में ‘कुछ ज्यादा ही लोकतंत्र है’ जिसके कारण यहां कड़े सुधारों को लागू करना कठित होता है। जैसा कि नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने भी कहा है कि लोकतांत्रिक तकाजों के चलते भारत के संदर्भ में कड़े सुधारों को लागू करना बहुत मुश्किल काम हो जाता है।
हालांकि पहली दफा है जब केंद्र में आरूढ़ मोदी सरकार ने खनन, कोयला, श्रम, कृषि समेत विभिन्न क्षेत्रों में कड़े सुधारों को आगे बढ़ाया है। देश को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए और सुधारों की जरूरत है। इसीलिए मोदी सरकार ने वे तमाम उपायों और नीतियों के क्रियान्वयन पर बल दिया है जिनसे निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन मिले। आत्मनिर्भर भारत अभियान को प्रोत्साहन मिले। इसी से सकारात्मक धारणा बनेगी जो अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा संबल साबित होगी।
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