एक्शन में एनआईए
देश में चल रहे किसान आंदोलन के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) ने देश विरोधी गतिविधियों में हिस्सा लेने के आरोप में ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा में रहने वाले सोलह लोगों के खिलाफ आतंकवाद रोधी कानून (यूएपीए) के तहत चार्जशीट दाखिल की है।
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ये सभी लोग सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) और अन्य खालिस्तान समर्थक आतंकी संगठन से जुड़े हैं। चार्जशीट में कहा गया है कि अमेरिका से सात, ब्रिटेन से छह और कनाडा से तीन आरोपी खालिस्तान के गठन के लिए रिफरेंडम 2020 के बैनर तले पृथकतावादी अभियान शुरू करने की साजिश में शामिल थे। गौरतलब है कि बीते रविवार को लंदन में भारतीय उच्चायोग के सामने बब्बर खालसा ने भारत में जारी किसान आंदोलन का समर्थन करने के लिए विरोध प्रदशर्न किया था।
विरोध प्रदशर्न में एनआईए की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल बब्बर खालसा के अंतरराष्टीय प्रमुख परमजीत सिंह पम्मा को भी देखा गया। एसएफजे और अन्य खालिस्तानी संगठनों की सक्रियता को देखकर एनआईए को आशंका है कि विभिन्न पृथकतावादी खालिस्तानी संगठन किसान आंदोलन का लाभ उठाने की कोशिश कर सकते हैं। दूसरी ओर एनआईए द्वारा सोलह लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने से ब्रिटेन और अमेरिका सहित अन्य पश्चिमी देश भारत में धार्मिंक स्वतंत्रता और मानवाधिकार के उल्लंघन का मुद्दा उठा सकते हैं।
हाल में अंतरराष्टीय धार्मिंक स्वतंत्रता संबंधी अमेरिकी आयोग ने पाकिस्तान के साथ ही भारत को भी विशेष चिंता का विषय बने देशों की सूची में डालने की सिफारिश की थी। हालांकि अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से भारत के नाम को मंजूरी नहीं दी गई, लेकिन अमेरिका और भारत में एक वर्ग ऐसा है, जो आस लगाए बैठा है कि अमेरिका का नया प्रशासन जम्मू-कश्मीर, नागरिकता संशोधन कानून सहित भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर अधिक सक्रिय भूमिका निभाएगा। संभावना बहुत कम है कि बाइडेन मोदी सरकार को नाखुश करने का जोखिम उठाएंगे।
हालांकि बाइडेन और कमला हैरिस की जोड़ी ने कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति तथा भारत में नागरिक स्वतंत्रता को लेकर ऐसे बयान दिए हैं, जिन्हें मोदी सरकार पसंद नहीं करती और इन मामलों में किसी भी बाहरी देश की नसीहत को स्वीकार नहीं करेगी।
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