समाधान से अभी दूर

Last Updated 11 Dec 2020 01:40:41 AM IST

केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच तीन कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध अभी दूर नहीं हो सका है।


समाधान से अभी दूर

हालांकि इस दिशा में केंद्र सरकार ने किसान संगठनों के पास लिखित प्रस्ताव भेजा था, लेकिन उन्होंने इसे बिल्कुल खारिज कर दिया। तत्पश्चात किसानों ने आंदोलन तेज करने का फैसला किया है। जाहिर है इस गतिरोध के फिलहाल दूर होने की संभावना नहीं है।

लगता था कि सरकार के झुकने पर किसान संगठन भी कुछ झुकेंगे, लेकिन उन्होंने कोई नरमी दिखाने के बजाय अड़ियल रु ख अपना लिया। राजनीतिक हलकों में मोदी सरकार के विरोधी उस पर आरोप लगाते रहे हैं कि वह किसी की नहीं सुनती, लेकिन उसने इन सारी आशंकाओं को निराधार ठहराते हुए लचकता का परिचय दिया। सरकार द्वारा कृषि कानूनों में संशोधन के लिए भेजा जाने वाला प्रस्ताव उसकी इस मन:स्थिति को दशर्ता है कि उसमें लोकतांत्रिक भावनाओं का सम्मान है।

इससे सरकार के उन आलोचकों की आवाज कमजोर पड़ जाएगी, जो सरकार पर अड़ियल रु ख अपनाने का आरोप लगाते रहते हैं। कोई सरकार से उम्मीद करता है कि वह तीनों कृषि कानूनों को रद्द कर दे, तो उसे उसका औचित्य बताना होगा। आखिर ये कानून यों ही नहीं पारित किए गए थे, इसके पीछे लंबी बहस रही है। फिर सरकार किसी दबाव में आकर इन्हें वापस ले ले, तो कल कोई समूह किसी और कानून को वापस लेने का यही तरीका अपना सकता है।

इससे उसकी उस सोच पर चोट पहुंचेगी, जिसके तहत वह राष्ट्र और समाज के जीवन में बदलाव लाने के लिए प्रयत्नशील है। सरकार के प्रस्ताव को खारिज करके किसान संगठनों ने अब अपने उपर दबाव को आमंत्रित कर लिया है। किसान आंदोलन के हित में यही था कि वे इन प्रस्तावों को स्वीकार कर लेते और फिर आगे की रणनीति बनाते। उनकी शायद यह रणनीति होगी कि  दबाव बनाकर सरकार से और ज्यादा पा सकते हैं।

लेकिन आंदोलन जैसे-जैसे लंबा खिंचेगा, इसके नेताओं को अपने समर्थकों में उत्साह बनाए रखने की चुनौती पैदा होगी। अब तक देश में इनके प्रति जो समर्थन और सहानुभूति का भाव रहा है, उसमें कोई कभी आई तो ये सरकार पर अपेक्षित दबाव बनाने की स्थिति में नहीं होंगे। अब तक आंदोलन शांतिपूर्ण और अनुशासित रहा है, आगे इसे इसी तरह बनाए रखने की भी चुनौती होगी।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment