Parliament Monsoon Session: संसद के मॉनसून सत्र में आज पेश किया जाएगा राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक

Last Updated 23 Jul 2025 10:02:12 AM IST

Parliament Monsoon Session: भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई - BCCI) भी राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक का हिस्सा होगा जिसे बुधवार को संसद में पेश किया जाना है।


संसद के मॉनसून सत्र में आज पेश किया जाएगा राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक

खेल मंत्रालय के एक विसनीय सूत्र ने मंगलवार को यह जानकारी दी। बीसीसीआई भले ही सरकार से वित्तीय मदद पर निर्भर ना हो लेकिन उसे प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल बोर्ड से मान्यता लेनी होगी।

सूत्र ने कहा, ‘सभी राष्ट्रीय महासंघों की तरह, बीसीसीआई को भी इस विधेयक के अधिनियम बन जाने के बाद देश के कानून का पालन करना होगा। वे मंत्रालय से वित्तीय मदद नहीं लेते लेकिन संसद का अधिनियम उन पर लागू होता है।’ सूत्र ने कहा, ‘बीसीसीआई अन्य सभी एनएसएफ की तरह एक स्वायत्त निकाय बना रहेगा लेकिन उनसे जुड़े विवादों का निपटारा प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल पंचाट करेगा। यह पंचाट चुनाव से लेकर चयन तक के खेल मामलों से जुड़े विवाद का समाधान निकाय बन जाएगा।’

उन्होंने कहा, ‘इस विधेयक का मतलब किसी भी एनएसएफ पर सरकारी नियंत्रण नहीं है। सरकार सुशासन सुनिश्चित करने में एक सूत्रधार की भूमिका निभाएगी।’     

क्रिकेट (टी20 प्रारूप) को 2028 में लॉस एंजिल्स में होने वाले ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया है और इस तरह से बीसीसीआई पहले ही ओलंपिक आंदोलन का हिस्सा बन चुका है।

खेल प्रशासन विधेयक का उद्देश्य समय पर चुनाव, प्रशासनिक जवाबदेही और खिलाड़ियों के कल्याण के लिए एक मजबूत खेल ढांचा तैयार करना है। राष्ट्रीय खेल बोर्ड (एनएसबी) को पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा। इसके पास व्यापक अधिकार होंगे कि वह शिकायतों के आधार पर या ‘अपने विवेक’ से चुनावी अनियमितताओं से लेकर वित्तीय गड़बड़ी तक के उल्लंघनों के लिए खेल संघों को मान्यता प्रदान करे या निलंबित भी करे। 

इस विधेयक में प्रशासकों की आयु सीमा के पेचीदा मुद्दे पर कुछ रियायत दी गई है जिसमें 70 से 75 वर्ष की आयु के लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई है बशत्रे संबंधित अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं आपत्ति नहीं करें। एनएसबी में एक अध्यक्ष होगा और इसके सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी। यह नियुक्तियां एक खोज-सह-चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाएंगी।  चयन समिति में अध्यक्ष के तौर पर कैबिनेट सचिव या खेल सचिव, भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के महानिदेशक, दो खेल प्रशासक (जो किसी राष्ट्रीय खेल संस्था के अध्यक्ष, महासचिव या कोषाध्यक्ष के रूप में काम कर चुके हों) और एक प्रतिष्ठित खिलाड़ी शामिल होगा जो द्रोणाचार्य, खेल रत्न या अजरुन पुरस्कार विजेता हो। 

सूत्र ने कहा, ‘यह एक खिलाड़ी-केंद्रित विधेयक है जो स्थिर प्रशासन, निष्पक्ष चयन, सुरक्षित खेल और शिकायत निवारण के साथराष्ट्रीय खेल संघों का वित्तीय लेखा-जोखा और बेहतर कोष प्रबंधन सुनिश्चित करेगा।’  उन्होंने कहा, राष्ट्रीय खेल पंचाट यह सुनिश्चित करेगा कि अदालती मामलों में देरी के कारण खिलाड़ियों के करियर को कोई नुकसान न हो। अभी भी अदालतों में 350 विभिन्न मामले चल रहे हैं जहां मंत्रालय भी एक पक्ष है। इसे समाप्त करने की आवश्यकता है।’ जैसा कि पिछले साल जारी किए गए मसौदे में उल्लेख किया गया था, बोर्ड के पास राष्ट्रीय खेल महासंघों को मान्यता देने और किसी राष्ट्रीय खेल महासंघ के निलंबित होने की स्थिति में व्यक्तिगत खेलों के संचालन के लिए तदर्थ पैनल गठित करने का अधिकार होगा। 

इसे भारत में खिलाड़ियों के कल्याण के लिए अंतरराष्ट्रीय खेल संस्थाओं के साथ मिलकर काम करने और अंतरराष्ट्रीय मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय खेल महासंघों को दिशा निर्देश जारी करने का भी अधिकार होगा। ये सभी काम अब तक आईओए के अधिकार क्षेत्र में थे जो एनएसएफ से संबंधित मामलों के लिए नोडल निकाय के रूप में कार्य करता था।  बोर्ड को किसी भी राष्ट्रीय संस्था की मान्यता रद्द करने का अधिकार दिया गया है जो अपनी कार्यकारी समिति के चुनाव कराने में विफल रहती है या जिसने ‘चुनाव प्रक्रियाओं में घोर अनियमितताएं’ की हैं। आईओए ने परामर्श के चरण में बोर्ड का कड़ा विरोध किया था और इसे सरकारी हस्तक्षेप बताया था जिससे अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) द्वारा प्रतिबंध लग सकते हैं।

संशोधित राष्ट्रीय डोपिंग रोधी अधिनियम भी पेश होगा

विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) के सुझाव के मुताबिक बदलाव को शामिल करते हुए संशोधित राष्ट्रीय डोपिंग रोधी अधिनियम  संसद में पेश किया जाएगा। वाडा ने राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) के कामकाज में ‘सरकारी हस्तक्षेप’ पर आपत्ति जताई थी।

यह अधिनियम मूल रूप से 2022 में पारित किया गया था, लेकिन वाडा की आपत्तियों के कारण इसके कार्यान्वयन को रोकना पड़ा था। विश्व संस्था ने खेलों में डोपिंग रोधी इकाई पर नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय बोर्ड के गठन पर आपत्ति जताई थी।

इस बोर्ड में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष और दो सदस्य शामिल होने थे। इसे नाडा की देखरेख और उसे निर्देश जारी करने के लिए भी अधिकृत किया गया था। 

वाडा ने इस प्रावधान को एक स्वायत्त निकाय में सरकारी हस्तक्षेप करार देते हुए खारिज कर दिया था। ऐसे में संशोधित विधेयक में वाडा-अनुरूप होने के लिए इस प्रावधान को हटा दिया गया है।

भाषा
नई दिल्ली


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