समयानुकूल दिशा निर्देश
राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक के दौरान उनके द्वारा दी गई चेतावनी के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कोरोना पर अंकुश लगाने के लिए दिशा-निर्देश में बदलाव किया है।
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नए दिशा निर्देश के दो लक्ष्य हैं- कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अब तक अर्जित की गई उपलब्धि को बनाए रखना और कुछ राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना के नए उभार से निपटना। इसके तहत राज्य और केंद्र शासित प्रदेश रात्रिकालीन कर्फ्यू जैसी पाबंदियां लगा सकते हैं, लेकिन निषिध क्षेत्र के बाहर लॉकडाउन लगाने के पहले केंद्र की मंजूरी लेनी होगी। चूंकि भीड़ भरे बाजार चिंता के नए विषय बनते जा रहे हैं, इसलिए स्वास्थ्य मंत्रालय से आगंतुकों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया बनाने के लिए कहा गया है। कार्यस्थलों पर भी सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने के लिए सलाह दी गई है।
केंद्र द्वारा उठाया गया यह कदम अप्रत्याशित नहीं है, क्योंकि पिछले कुछ दिनों में देश के कुछ राज्यों, खासकर उत्तर भारत के, में जिस प्रकार पॉजिटिविटी दर में बढ़ोतरी हो रही थी, वह चिंता पैदा करने लगी थी। कुछ राज्यों में यह दस प्रतिशत से उपर जा चुकी थी। देश के कुछ बड़े शहर भी इस प्रवृत्ति से अछूते नहीं रह गए थे। पॉजिटिविटी दर में बढ़ोतरी इस बात का संकेत था कि लोगों में संक्रमण बढ़ रहा है और उस अनुपात में जांच नहीं की जा रही है। महामारी पर नियंत्रण के लिए लक्ष्य समूह की पहचान और जांच आवश्यक है। यह अच्छी बात है कि अब केंद्र और राज्य सरकारें इस बारे में सचेत हो गई हैं और आवयक कदम उठा रही हैं। राजस्थान के बाद पंजाब के शहरों में रात्रिकालीन कर्फ्यू लगाने का फैसला इसी दिशा में उठाया गया कदम है।
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड जैसे राज्य भी कोई न कोई कदम उठा रहे हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में इस बात का पूरा ध्यान रखा जा रहा है कि अर्थव्यवस्था की गति पर इन उपायों का कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। यह किसी से छिपा नहीं है कि लॉकडाउन के कारण राज्य और समाज दोनों को परेशानियों का सामना करना पड़ा था। अब यह राज्य और समाज के हित में नहीं होगा कि अंधाधुंध लॉकडाउन लगाया जाए। राज्य को राजस्व चाहिए, तो समाज को रोजगार और कारोबार। शायद यही कारण है कि मौजूदा दिशा निर्देश में निषिध क्षेत्र के बाहर लॉकडाउन के लिए केंद्र की इजाजत लेने की व्यवस्था की गई है।
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