गॉड को प्यारे ‘हैंड ऑफ गॉड’
हैंड ऑफ गॉड के नाम से मशहूर डिएगो माराडोना गॉड को प्यारे हो गए। वह 60 साल के थे और उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हुआ है।
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उन्हें नैसर्गिक प्रतिभा के मामले में सबसे उम्दा फुटबालर माना जाता है। एकतरफ उन्होंने तेज दिमाग और पैरों की चपलता से शानदार फुटबाल खेल को और शानदार बनाया। वहीं दूसरी तरफ उनका जीवन नशीले दवाओं, अल्कोहल के इस्तेमाल की वजह से हमेशा ही मुश्किलों से घिरा रहा। अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स की धूल भरी सड़कों पर फुटबाल खेलने की शुरुआत करने वाले इस फुटबालर ने इतनी ऊंचाइयां हासिल कीं कि जिसकी कोई सीमा नहीं थी। उनकी महान फुटबालर पेले से यह तुलना की जाती रही कि दोनों में महान कौन। यही वजह थी कि 2000 में फीफा ने इन दोनों खिलाड़ियों को ही सदी का सर्वश्रेष्ठ फुटबालर चुना था। माराडोना ने 1986 में अज्रेटीना को विश्व कप जिताने में अहम भूमिका अदा की थी।
इस जीत में उन्होंने हाथ से ही गोल जमा दिया था, जिसे हैंड ऑफ गॉड का नाम दिया गया था। वह अर्जेंटीना के लिए 91 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले और 34 गोल जमाए। उन्होंने चार विश्व कप खेलने की उपलब्धि हासिल की और 16 विश्व कप मैचों में अर्जेंटीना की कप्तानी की। माराडोना मात्र पांच फुट और पांच इंच के थे, पर मैदान में अपनी चपलता की वजह से गोल्डन ब्यॉय के नाम से मशहूर थे। उनका गेंद पर नियंत्रण, पासिंग और ड्रिब्लिंग कमाल की थी। वह 2010 के विश्व कप के लिए 2008 में अज्रेटीनी टीम के कोच बनाए गए।
पर वह कोच के रूप में अपनी प्रतिष्ठा की झलक नहीं दिखा सके और अर्जेंटीना क्वार्टर फाइनल में जर्मनी के हाथों बुरी तरह से हार गया। माराडोना के बारे में यह कहा जाता है कि वह प्रतिद्वंद्वी खतरा क्षेत्र में हों और हलचल न मचे, यह संभव नहीं था। 1986 के विश्व कप फाइनल में जब उनकी टीम फाइनल में जर्मनी से खेलने उतरी, तो जर्मन कोच बेकनबाउर ने अपने खिलाड़ियों से माराडोना को खतरा क्षेत्र से दूर रखने को कहा। खेल समाप्ति से 10 मिनट पहले तक 2-2 की बराबरी तक जर्मन खिलाड़ी इस जिम्मेदारी को निभाने में सफल भी रहे। लेकिन तभी माराडोना ने बाएं पैर के प्रहार से बुरुचागा को पास दिया और उन्होंने गोल भेदकर अर्जेंटीना को चैंपियन बना दिया। फुटबाल का यह दिग्गज हमेशा याद किया जाएगा।
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