माफी की मजबूरी

Last Updated 22 Oct 2020 12:18:22 AM IST

मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश की मंत्री इमरती देवी को ‘आइटम’ कहने पर खेद जताया है।


मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ

दरअसल, एक चुनावी में उनकी जुबान फिसल गई और उन्होंने इमरती देवी को इस शब्द से नवाज दिया। चुनावी वेला होने के कारण इसकी तीव्र प्रतिक्रिया हुई। कांग्रेस की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी भाजपा ने तो कमलनाथ के कथन को हाथोंहाथ लपक लिया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मौन पर बैठ गए। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री एवं दलितों की आवाज समझी जाने वाली मायावती ने भी कमलनाथ के कथन का तीव्र विरोध किया। कांग्रेस आला कमान को लगा कि कमलनाथ ने खेद नहीं जताया तो पार्टी का खासा नुकसान हो जाएगा। चूंकि यह चुनावी समय है इसलिए उसके लिए नतीजे प्रतिकूल निकल सकते हैं। न केवल दलित, बल्कि महिला मतदाताओं में इस कथन पर गलत संदेश जाएगा। पार्टी को इतना नुकसान होगा जिसकी भरपाई नहीं हो  सकेगी। हालांकि यह पहली दफा नहीं है, जब कांग्रेस के किसी कद्दावर नेता, बल्कि कहें कि तमाम दलों में ऐसे नेता हैं, के बयान पर बवाल उठा हो।

दिग्विजय सिंह से लेकर बिसाहू लाल, जिन्होंने मध्य प्रदेश में ही अभी कुछ दिन पहले ही घोर विरोधी महिला बयान दिया है, तक तमाम नेता हैं जिन्होंने जब-तब महिलाओं के सम्मान को चोटिल करने वाले बयान दिए हैं और बेहयाई से अपने कहे को तार्किक ठहराने में भी कसर नहीं छोड़ी। मजे की बात यह कि नेता कोई भी हो, किसी भी पार्टी का हो, उसकी पार्टी के आला कमान ने हमेशा ही उसके आपत्तिजनक बयान से पल्ला झाड़ लिया। कहते हुए कि यह निजी बयान है, पार्टी का उससे कुछ लेना देना नहीं। पार्टी की राय वैसी नहीं है, जैसा कि बयान देने वाले की है। लेकिन चुनावी समय है, इसलिए कांग्रेस आला कमान ने तेजी दिखाते हुए कमलनाथ से अपने कहे पर खेद जताने को कहा। क्या इससे विवादास्पद बयान देने का सिलसिला किसी माफी या खेद जताने से थम जाने वाला है। नहीं, क्योंकि यह जानबूझी गलती होती है। यह गलती की जाती है किसी प्रत्याशी को कमतर दिखाने के लिए। श्रेष्ठि वर्ग को वर्ग विशेष के प्रत्याशी के खिलाफ लामबंद करने के लिए और मुददों से ध्यान भटकाने के लिए। किसी पार्टी का आला कमान भी ऐसे बयानों को गंभीरता से नहीं लेता वरना यह बुराई रहने नहीं पाती। कमल नाथ भी खेद तक नहीं जताते लेकिन चुनावी समय है, इसलिए दरपेश थी माफी मंगवाने की विवशता।



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