वितरण-प्रबंधन की चुनौती
अब भारत समेत दुनिया के कुछ देश जैसे-जैसे कोरोना वायरस के टीके के परीक्षण के आखिरी चरण में पहुंच रहे हैं, वैसे-वैसे जरूरतमंद तक इसके समुचित वितरण और प्रबंधन को लेकर आशंकाएं व्यक्त की जाने लगीं हैं।
वितरण-प्रबंधन की चुनौती |
विश्व के कुछ महामारी विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि दुनिया के बड़े हिस्सों में प्रभावी टीकाकरण कार्यक्रम के लिए पर्याप्त मात्रा में प्रशीतन की कमी है। इसमें मध्य एशिया का अधिकतर हिस्सा, भारत, द.पूर्व एशिया और लैटिन अमेरिका का भी बड़ा इलाका शामिल है। महामारी विशेषज्ञों की आशंकाएं वाजिब हैं। अगर हम भारत की बात करें तो यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों तथा महानगरों की तरह बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। देश का बहुत बड़ा भूभाग ऐसा है जो बस भगवान भरोसे है। कस्बों और गांवों में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति नहीं हो पाती है। जाहिर है इन क्षेत्रों में पर्याप्त प्रशीतन की कल्पना बेमानी है।
यह वैज्ञानिक तथ्य भी है कि कोरोना वायरस के टीके को सुरक्षित रखने के लिए उत्पादन स्थल से लेकर सूई तक लगातार कोल्ड चेन की जरूरत होगी। गरीब और पिछड़े देशों में कोल्ड चेन बनाने की दिशा में अवश्य कुछ प्रगति हुई है। बावजूद इसके दुनिया के करीब साढ़े सात अरब लोगों में से लगभग तीन अरब लोग ऐसे हैं, जिन तक कोरोना का टीका पहुंचाने के लिए तापमान नियंत्रित भंडारण नहीं है। जाहिर है इस वजह से महामारी की मार से सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब और वंचित समूह को सबसे अंत में टीका पहुंच पाएगा। हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने देशवासियों को आश्वस्त किया है कि टीकाकरण के लिए पहले से मजबूत वितरण व्यवस्था बनाई जा रही है। यह काम डिजिटल नेटवर्क एवं डिजिटल हेल्थ आईडी के जरिये किया जाएगा।
लोगों को याद होगा कि इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राजधानी दिल्ली के लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी ने देश को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य योजना की घोषणा की थी। इस योजना के तहत देश के हर नागरिक को एक स्वास्थ्य पहचान दिए जाने की बात थी। इसमें उसके स्वास्थ्य से संबंधित पूरा ब्योरा दर्ज रहेगा। नौकरशाहों ने इस योजना को किस सीमा तक जमीन पर उतार पाया है, इस बारे में अभी तक कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। अब आगे देखना यह है कि यह योजना किस मुकाम तक पहुंची है और इसके तहत सरकार किस तरह जरूरतमंद लोगों तक टीके का समुचित वितरण कर पाती है।
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